Chitrakoot News : मंदिरों के मुद्दे पर टकराव, रामभद्राचार्य बोले- मोहन भागवत हमारे अनुशासक नहीं... 

UPT | मुंबई में कथा का वाचन करते जगद्गुरु रामभद्राचार्य।

Dec 24, 2024 12:41

यूपी के संभल में मंदिरों के जीर्णोद्धार और उनसे जुड़े विवादों को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर संत समाज में असहमति जताने का दौर जारी है। तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आरएसएस प्रमुख मोहन...

Chitrakoot News : यूपी के संभल में मंदिरों के जीर्णोद्धार और उनसे जुड़े विवादों को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर संत समाज में असहमति जताने का दौर जारी है। तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान को खारिज करते हुए कहा, 'मोहन भागवत हमारे अनुशासक नहीं हैं, बल्कि हम उनके अनुशासक हैं।

जगद्गुरु ने मुंबई में दिया बयान
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने यह बयान मुंबई में कथा के दौरान दिया। रामभद्राचार्य ने कहा कि मंदिरों को लेकर संघर्ष जारी रहेगा, क्योंकि यह आस्था और प्रमाण का मामला है। मंदिर के प्रमाण मिलते हैं तो वहां मंदिर ही होना चाहिए, चाहे यह संघर्ष वोट से हो या कोर्ट से। इससे पहले, ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी मोहन भागवत के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि भागवत राजनीति के हिसाब से अपनी सुविधानुसार बयान देते हैं।  

क्या कहा था मोहन भागवत ने
संभल में मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच मोहन भागवत ने कहा था कि राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का विषय था, इसलिए उसका निर्माण जरूरी था। लेकिन हर नए मामले को उठाना सही नहीं है। उन्होंने कहा, 'कुछ लोग नए विवाद खड़े करके हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह स्वीकार्य नहीं है। भारत को एक साथ रहने का संदेश देना जरूरी है।

शंकराचार्य की आपत्ति
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जिन मंदिरों को आक्रमणकारियों ने नष्ट किया, उनकी सूची बनानी चाहिए और एएसआई से उनका सर्वे करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदुओं पर अत्याचार हुआ है और उनके मंदिर तोड़े गए हैं। अगर हिंदू अपने मंदिरों का जीर्णोद्धार चाहते हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

संत समाज में बंटवारा
मोहन भागवत के बयान ने संत समाज में मतभेद पैदा कर दिए हैं। जहां कुछ संत उनकी बात का समर्थन कर रहे हैं, वहीं रामभद्राचार्य और अविमुक्तेश्वरानंद जैसे बड़े संत इससे असहमति जता रहे हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विवाद आगे क्या मोड़ लेता है।

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