Gonda News : 68 वर्ष बाद लौटे त्रिजुगी, 17 की उम्र में छोड़ा था घर, जानें कहां और कैसे गुजरे 51 साल...

UPT | नल से पानी लेते त्रिजुगी नारायण।

Nov 06, 2024 11:43

गोंडा जिले के कौड़िया थाना क्षेत्र के जेठपुरवा ग्राम पंचायत के गोसाईपुरवा गांव के रहने वाले त्रिजुगी नारायण 68 साल की उम्र में एक अनोखी कहानी लेकर घर लौटे हैं। वे 51 साल पहले 17 साल की उम्र में घर से अचानक गायब हो गए...

Gonda News : गोंडा जिले के कौड़िया थाना क्षेत्र के जेठपुरवा ग्राम पंचायत के गोसाईपुरवा गांव के रहने वाले त्रिजुगी नारायण 68 साल की उम्र में एक अनोखी कहानी लेकर घर लौटे हैं। वे 51 साल पहले 17 साल की उम्र में घर से अचानक गायब हो गए थे। घरवालों ने उनकी बहुत तलाश की, लेकिन कोई भी सुराग नहीं मिला। इतने सालों तक उनका कोई पता नहीं चल पाने पर परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी। त्रिजुगी नारायण के बारे में सोचते-सोचते उनका नाम भी धीरे-धीरे गांव में खत्म हो गया था। घरवालों ने त्रिजुगी नारायण के गायब होने के बाद उनकी ज़मीन पर कब्जा कर लिया था। उन्हें अब कभी लौटने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन, अब 68 साल की उम्र में त्रिजुगी नारायण ने अपने घर लौटकर सभी को चौंका दिया है।

श्रीलंका से ऐसे हुई वापसी
त्रिजुगी नारायण की कहानी बेहद दिलचस्प और कठिनाई से भरी हुई है। उनके गायब होने के 32 साल बाद गांव के कुछ लोग दिल्ली में उन्हें देख पाए थे। तब वे दिल्ली में काम की तलाश में थे, लेकिन घर लौटने का उनका कोई इरादा नहीं था। इसके बाद एक युवक उन्हें नौकरी दिलवाने का झांसा देकर श्रीलंका ले गया। लेकिन, श्रीलंका पहुंचने के बाद उन्हें वहां कोई काम नहीं मिला और युवक उन्हें छोड़कर वापस चला गया। त्रिजुगी नारायण ने वहां समुद्र तट पर 30 साल तक अपना जीवन किसी तरह बिताया। इस दौरान उन्हें भारतीय मूल के एक व्यक्ति से मदद मिली, जिसने उनकी कहानी सुनी और उन्हें आंध्र प्रदेश के हैदराबाद पहुंचा दिया।

एक हफ्ते तक हैदराबाद में भटके
हैदराबाद में त्रिजुगी नारायण एक हफ्ते तक भटकते रहे, लेकिन फिर किसी तरह उन्होंने दिल्ली तक का किराया जमा किया और ट्रेन से दिल्ली पहुंच गए। वहां उनका सामना गोंडा के एक व्यक्ति से हुआ, जिसने उनकी भाषा को पहचान लिया और बताया कि वह गोंडा का रहने वाला है। इस युवक ने त्रिजुगी नारायण की मदद की और उन्हें गोंडा भेजने का बंदोबस्त किया। जब त्रिजुगी नारायण गोंडा स्टेशन पहुंचे तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि अब ट्रेनें बदल चुकी थीं, क्योंकि उन्हें उस समय की कोयला वाली ट्रेन याद थी।

स्टेशन पर गांव के लोग पहचान गए
गोंडा स्टेशन पर पहुंचने के बाद त्रिजुगी नारायण ने जब अपना गांव और कौड़िया का नाम लिया, तो गांव के कुछ लोग तुरंत उन्हें पहचान गए और सूचना उनके परिवार तक पहुंचाई। फिर उनके भाई गोंडा स्टेशन आए और उन्हें घर लेकर पहुंचे। परिवार के लोग त्रिजुगी नारायण के घर लौटने से बहुत खुश हैं। उनके भाई अब उनके बाल और दाढ़ी ठीक करा रहे हैं, ताकि उनका चेहरा पहचानने योग्य हो सके। यह अद्भुत और प्रेरणादायक कहानी यह बताती है कि कभी-कभी जीवन के सबसे कठिन समय में भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। त्रिजुगी नारायण के घर लौटने से न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है।

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