कानपुर आईआईटी : भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का मनाया जश्न, संविधान की ऐतिहासिक यात्रा का भी किया वर्णन

UPT | भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाया जश्न

Nov 27, 2024 19:58

कानपुर के आईआईटी संस्थान में आज भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मनाया गया।इस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के विधिक प्रकोष्ठ (Legal Cell) ने संविधान की प्रस्तावना का संयुक्त पाठ आयोजित किया।

Kanpur News : कानपुर के आईआईटी संस्थान में आज भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मनाया गया।इस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)  के विधिक प्रकोष्ठ (Legal Cell) ने संविधान की प्रस्तावना का संयुक्त पाठ आयोजित किया। उप रजिस्ट्रार (विधि) प्रकल्प शर्मा द्वारा समन्वित इस कार्यक्रम की शुरुआत भारत की संवैधानिक यात्रा और संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डालने वाले संक्षिप्त परिचय के साथ हुई।

आईआईटी के निदेशक ने किया उद्घाटन 
संस्थान के शिक्षक, छात्र और कर्मचारी भारतीय संविधान के स्थायी आदर्शों का सम्मान करने के लिए एकत्र हुए और इस अवसर को बड़े उत्साह और देशभक्ति के साथ मनाया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन कानपुर आईआईटी के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने किया, जिन्होंने संविधान की प्रस्तावना का एक प्रेरक पाठ किया, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में भाग लिया।

संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों और अंतिम उद्देश्यों की दिलाई याद 
उप निदेशक प्रो. ब्रज भूषण ने हिंदी में संविधान की प्रस्तावना पढ़कर कार्यक्रम को समृद्ध किया और प्रतिभागियों को संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों और अंतिम उद्देश्यों की याद दिलाई। श्रोताओं को संबोधित करते हुए प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित किया और इसे देश के लोकतंत्र और प्रगति की नींव बताया। उन्होंने विविधता में एकता को बढ़ावा देने और नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की इसकी अद्वितीय क्षमता पर प्रकाश डाला।

संविधान की ऐतिहासिक यात्रा का किया वर्णन 
इस कार्यक्रम में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड मनीष पालीवाल ने संविधान की ऐतिहासिक यात्रा का वर्णन किया गया।, इसके मौलिक विचारों और समय के साथ इसके विकास पर चर्चा की गई।पालीवाल ने प्रतिभागियों को संवादात्मक सत्रों में भी शामिल किया, जिसनें वर्तमान संवैधानिक बन्दुओं पर चर्चा को बढ़ावा दिया और सत्र को बौद्धिक रूप से और आकर्षक बनाया। 

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