ED Action: कानपुर में 7377 करोड़ का लोन फ्रॉड, 23 बैंकों को लगाया चूना, ईडी ने 32 करोड़ की 86 संपत्तियां की जब्त

UPT | सांकेतिक तश्वीर

Nov 06, 2024 14:33

कानपुर में 23 बैंकों से 7377 करोड़ के लोन का फर्जीवाड़ा सामने आया है। करोड़ों के लोन ने इं बैंकों कमर तोड़कर रख दी। ईडी में लक्ष्मी कॉटसिन कंपनी पर कार्रवाई करते हुए 32 करोड़ की 86 संपत्तियों को जब्त किया है। यह कार्रवाई लखनऊ के जोनल कार्यालय द्वारा की गई है।

Short Highlights
  • लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड के मालिकों ने 23 बैंकों से 7377 करोड़ का लोन फ्रॉड।
  • ईडी ने 32 करोड़ की 86 संपत्तियों को जब्त किया।
  • कंपनी के संचालकों ने छत्तीसगढ़ में खरीदी थी कृषि भूमि।
Kanpur News: यूपी के कानपुर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का एक्शन देखने को मिला है। कानपुर की लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड कंपनी की 32 करोड़ रूपए की 86 संपत्तियों को जब्त कर लिया है। कंपनी ने बैंक ऑफ इंडिया के कंसोर्टियम वाले 23 बैंकों से 7377 करोड़ रूपए का लोन लेकर हड़प लिया था।

लक्ष्मी कॉटसिन कंपनी के संचालकों ने छत्तीसगढ़ के भाटपारा और बलौदा बाजार में 86 कृषि भूमि 32 करोड़ रूपए में खरीदी थी। जिसे ईडी लखनऊ के जोनल कार्यालय ने जब्त कर लिया है। ये संपत्तियां, उसके कर्मचारियों और स्थानीय आदिवासियों के नाम पर खरीदी गई थीं। नई दिल्ली सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम राजीव खुराना ने 01 जून 2021 को कंपनी के खिलाफ शिकायत की थी।

सीबीआई ने दर्ज किया था मुकदमा 
इसके बाद सीबीआई ने कंपनी के अध्यक्ष और सह प्रबंधक निदेशक डॉ माता प्रसाद अग्रवाल और संयुक्त प्रबंधक निदेशक पवन कुमार अग्रवाल, उपप्रबंधक निदेशक देवेश नारायण गुप्ता, अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ 2010 से 2018 की अवधि के दौरान धोखाधड़ी, गबन का मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने भी मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 
जांच में सामने आया कि लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड ने कपड़ों का कारोबार करने के लिए 23 बैंकों के कंसोर्टियम से संपर्क साधा जिसमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मुख्य था। बैंकों की रकम वापस नहीं होने पर कंपनी के खातों को एनपीए घोषित कर दिया गया। बैंक की फोरेंसिक ऑडिट में पता चला कि कंपनी ने बैंक की रकम हड़पने के लिए फर्जी इंवेट्री रेकार्ड बनाए।

संपत्तियां हुईं थीं नीलाम 
एनसीएलटी के आदेश पर कंपनी की 265.44 करोड़ की संपत्तियों को नीलाम कर दिया गया। जांच में सामने आया कि लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड के कुछ फंड को इसके अन्य समूह की कंपनी मेसर्स श्री लक्ष्मी पॉवर लिमिटेड में डायवर्ड किया गया। इस फंड को आगे बलौदा बाजार में उनके आईसीआईसीआई बैंक खाते के जरिए अलग-अलग व्यक्तियों को डायवर्ट किया गया। इसके बाद कंपनी के भरोसेमंद कर्मचारियों और स्थानीय आदिवासियों के नाम पर जमीनों को. ख़रीदा गया।

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