लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा साल में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र महीने में, जिसे चैती छठ कहते हैं, दूसरा कार्तिक महीने में आता है, जिसे बड़े स्तर पर धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है।
Nov 05, 2024 13:16
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा साल में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र महीने में, जिसे चैती छठ कहते हैं, दूसरा कार्तिक महीने में आता है, जिसे बड़े स्तर पर धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है।
Kanpur News: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा साल में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र महीने में, जिसे चैती छठ कहते हैं, दूसरा कार्तिक महीने में आता है, जिसे बड़े स्तर पर धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित खास त्योहार है, जो चार दिनों का होता है।
पूरे देश मे मनाया जाता है छठ पर्व...
छठ पूजा का पर्व भारत ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी लोग मनाते हैं। इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है। फिर, खरना और अगले दिन संध्या अर्घ्य के बाद उषा अर्घ्य के साथ इस महापर्व का समापन होता है। पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर, दिन मंगलवार से हो रही है। 8 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद व्रत का पारण किया जाएगा। इसी के साथ महापर्व का समापन हो जाएगा।
छठ पूजा के 36 घंटे के व्रत में क्या करें
व्रती को छठ पूजा के दौरान नहाय खाय के बाद से अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। इसमें निर्जला व्रत रखने का विधान है।
छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इसके लिए सूर्यास्त से थोड़ा पहले ही छठ घाट पर पहुंचे। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या सूप का इस्तेमाल करना चाहिए। छठ पूजा की टोकरियों या सूप में फल, फूल, गन्ने, पकवान आदि को पूरी पूजा सामग्रियों के साथ अच्छी तरह से रखें। साथ ही सूप या टोकरी पर सिंदूर लगा होना चाहिए। छठ पूजा के दौरान मिट्टी के बर्तनों का ही इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है।
छठ पूजा के व्रत में क्या न करें...
छठ पर्व के दौरान प्लास्टिक के बर्तनों का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। छठ पर्व के दौरान व्रती महिलाओं और घर के अन्य सदस्यों को भी लहसुन प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। छठ पर्व के चारों दिन तामसिक भोजन और मदिरा का सेवन बिल्कुल न करें। इससे छठी मैया नाराज हो सकती हैं।इस पवित्र व्रत का पारण सूर्यदेव को अर्घ्य दिए बिना नहीं करना चाहिए। छठ पर्व के दौरान पूजा का प्रसाद बनाते समय झूठा नहीं करना चाहिए। किसी भी चीज और पूजा सामग्री को बिना हाथ धोए नहीं छूना चाहिए।
छठ पूजा की शाम को क्यों भरी जाती है कोसी..
कोसी भरने की परंपरा प्राचीन समय से चलती आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले सीता मईया ने छठ पूजा की थी और कोसी भराई की थी। छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर व्रती महिलाएं घर आकर परिवार के साथ कोसी भरती हैं। ऐसा कहा जाता है कि कोसी भराई मन्नत का प्रतीक है। अगर किसी दंपत्ति को संतान नहीं है, तो छठ पूजा का व्रत बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। वहीं जब भक्तों की पूरी हो जाती है, तो पूरे परिवार के सुखी जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए कोसी भरते हैं। कोसी मुख्य रूप से भक्त अपने घर के छत पर या फिर घाट के किनारे भी करते हैं।