लखनऊ में सरोगेसी के लिए दूसरा आवेदन : बेटे की हो चुकी मौत, इस वजह से मां बनना नामुमकिन, जानें नियम

UPT | प्रतीकात्मक तस्वीर

Nov 06, 2024 12:00

दंपती के आवेदन करने के बाद समिति ने पत्नी की चिकित्सीय जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इन जांचों में यह निर्धारित किया जाएगा कि क्या पत्नी गर्भधारण के लिए अयोग्य हैं। अगर चिकित्सीय प्रमाणों से साबित होता है कि पत्नी गर्भधारण के लिए फिट नहीं हैं, तो ही सरोगेसी के लिए अनुमति दी जाएगी।

Lucknow News : लखनऊ के जानकीपुरम में रहने वाले एक दंपती ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में सरोगेसी यानी किराए की कोख के लिए अनुमति का आवेदन दाखिल किया है। यह जनपद में सरोगेसी का दूसरा आवेदन है। इससे पहले एक डॉक्टर द्वारा किए गए आवेदन को नियमों में कमी के चलते निरस्त कर दिया गया था। इस बार दंपती ने अपनी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आवेदन किया है, जिसमें उन्होंने पत्नी की चिकित्सीय स्थिति का हवाला दिया है कि वह गर्भधारण करने में असमर्थ हैं।

एकलौते बेटे की मौत के बाद उठाया सरोगेसी का कदम
जानकीपुरम निवासी इस दंपती का एकलौता बेटा अब नहीं रहा, जिसने हाल ही में आत्महत्या कर ली थी। पत्नी की बच्चेदानी को पहले ही चिकित्सा कारणों से निकाल दिया गया है, जिससे गर्भधारण असंभव हो गया है। ऐसे में दंपती ने अपने परिवार को आगे बढ़ाने और मातृत्व का अनुभव पाने के लिए सरोगेसी का सहारा लेने का निर्णय किया। आवेदन पत्र में पति ने स्पष्ट किया है कि यह उनकी पत्नी की चिकित्सीय स्थिति के चलते अनिवार्य है और उन्हें सरोगेसी की इजाजत दी जाए।



अनुमति के लिए डीएम की अध्यक्षता वाली समिति का गठन
सरोगेसी की अनुमति के लिए राज्य के नियमों के अनुसार एक विशेष समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता जिले के जिलाधिकारी करते हैं। यह पांच सदस्यीय समिति सरोगेसी के आवेदन की जांच-पड़ताल करती है। इसमें डीएम, सीएमओ, केजीएमयू के स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष, रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष, और अभियोजन निदेशक शामिल होते हैं। यह समिति आवेदन की विस्तृत समीक्षा के बाद ही सरोगेसी के लिए अनुमति देती है।

पत्नी की मेडिकल जांच अनिवार्य
दंपती के आवेदन करने के बाद समिति ने पत्नी की चिकित्सीय जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इन जांचों में यह निर्धारित किया जाएगा कि क्या पत्नी गर्भधारण के लिए अयोग्य हैं। अगर चिकित्सीय प्रमाणों से साबित होता है कि पत्नी गर्भधारण के लिए फिट नहीं हैं, तो ही सरोगेसी के लिए अनुमति दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अनुमति के लिए कई चरणों की कड़ी जांच पड़ताल की जाती है, ताकि सरोगेसी का दुरुपयोग न हो।

कौन हो सकता है सरोगेट मां?
सरोगेसी कानून के तहत, सरोगेट मां का दंपती के साथ रिश्तेदार होना आवश्यक है। इसके अलावा, यह महिला विवाहित होनी चाहिए और उसकी उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए। साथ ही, सरोगेट मां के पास पहले से कम से कम एक बच्चा होना अनिवार्य है। इन सभी शर्तों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी और कई प्रकार की जांच प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं।

स्वास्थ्य विभाग को रिकॉर्ड भेजना जरूरी
नए सरोगेसी अधिनियम के तहत, अब आईवीएफ केंद्रों द्वारा किए जाने वाले सभी सरोगेसी और स्पर्म डोनेशन प्रक्रियाओं का रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग को भेजना अनिवार्य हो गया है। इससे पहले आईवीएफ केंद्रों पर ऐसे मामलों का कोई भी लेखा-जोखा नहीं रखा जाता था। स्वास्थ्य विभाग इन आंकड़ों की जांच करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरोगेसी के मामलों में कोई भी व्यक्ति प्रोफेशनल डोनर नहीं है। इस नियम के कारण अब प्रोफेशनल डोनर्स और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

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