प्रशांत कुमार को 30 मई के बाद मिलेगा सेवा विस्तार! सीनियर अफसरों की डीजीपी बनने की हसरत रह जाएगी अधूरी

UPT | CM Yogi Adityanath-DGP Prashant Kumar

Nov 06, 2024 11:10

अगर नियमावली को लेकर किसी तरह की कोई कानूनी अड़चन नहीं आई और सुप्रीम कोर्ट में 14 नंवबर को होने वाली सुनवाई में सवाल नहीं उठे तो प्रशांत कुमार का कार्यकाल सेवानिवृत्त होने के बाद बढ़ना तय माना जा रहा है। इसकी वजह से कई सीनियर अफसरों के डीजीपी बनने का सपना चकनाचूर हो जाएगा।

Lucknow News : योगी बैठक में 'पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024' को मंजूरी मिलने के साथ कई वरिष्ठ आईपीएस अफसरों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। प्रदेश के मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार अगले वर्ष 30 मई को सेवानिवृत्त होंगे। जिस तरह से योगी सरकार ने नई निमयावली को मंजूरी दी है, उससे तस्वीर पूरी तरह साफ है कि इसका लाभ डीजीपी प्रशांत कुमार को ही मिलेगा। 

प्रशांत कुमार का कार्यकाल बढ़ना तय
अगर नियमावली को लेकर किसी तरह की कोई कानूनी अड़चन नहीं आई और सुप्रीम कोर्ट में 14 नंवबर को होने वाली सुनवाई में सवाल नहीं उठे तो प्रशांत कुमार का कार्यकाल सेवानिवृत्त होने के बाद बढ़ना तय माना जा रहा है। इसकी वजह से कई सीनियर अफसरों के डीजीपी बनने का सपना चकनाचूर हो जाएगा। आईपीएस कैडर में आने के बाद हर अफसर का सपना होता कि वह अपने राज्य का डीजीपी बने। लेकिन, पिछले कुछ समय से सरकारें अपने पसंदीदा अफसर को ये इस पद की जिम्मेदारी सौंपने के लिए वरिष्ठ अफसरों की अनदेखी कर रही हैं। प्रशांत कुमार के मामले में भी यही किया गया।



प्रशांत कुमार के लिए 16 वरिष्ठ अफसरों को किया जा चुका है सुपरसीड
वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को इस पद पर नियुक्त किए जाने के समय 16 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को सुपरसीड किया गया था। जनवरी 2024 में विजय कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था। इस सूची में मुकुल गोयल, आनंद कुमार, शफी अहसान रिजवी, आशीष गुप्ता, आदित्य मिश्रा, पीवी रामाशास्त्री, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, रेणुका मिश्रा, बिजय कुमार मौर्या और सत्य नारायन सावत जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

मनोनयन समिति गठन करने का निर्णय
अब उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने डीजीपी के चयन के लिए मनोनयन समिति के गठन का फैसला किया है। नई नियमावली के अनुसार, मनोनयन समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा नामित एक अधिकारी, यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या नामित अधिकारी, अपर मुख्य सचिव (गृह) और बतौर डीजीपी कार्य कर चुके एक सेवानिवृत्त डीजीपी शामिल होंगे। इस समिति का उद्देश्य उपयुक्त व्यक्ति का चयन कर डीजीपी पद पर नियुक्ति करना है। समिति केवल उन अधिकारियों के नामों पर विचार करेगी जिनकी सेवानिवृत्ति में छह माह से अधिक समय शेष हो। इसके तहत वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार की स्थायी नियुक्ति पर मुहर लगने की संभावना है। अगर उन्हें यह जिम्मेदारी मिलती है, तो वे 31 जनवरी 2026 तक डीजीपी पद पर बने रहेंगे। ये उनकी मूल सेवानिवृत्ति तारीख 30 मई 2025 से आठ महीने अधिक है।

योगी सरकार में आठ डीजीपी की तैनाती
योगी सरकार बनने के बाद से प्रदेश में अब तक आठ डीजीपी तैनात किए जा चुके हैं, जिनमें से केवल चार स्थायी थे। कैबिनेट के इस निर्णय से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अधिकारियों में माने जाने वाले प्रशांत कुमार को भी ओम प्रकाश सिंह की तरह दो वर्ष तक डीजीपी पद संभालने का अवसर मिलेगा। ऐसा होने पर कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बिना डीजीपी बने ही सेवानिवृत्त होंगे।

कई वरिष्ठ अधिकारी रह जाएंगे बिना डीजीपी बने
नई नियमावली के अनुसार, प्रशांत कुमार की सेवानिवृत्ति तक अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की डीजीपी बनने की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी। इनमें प्रमुख अधिकारी पीवी रामाशास्त्री, आदित्य मिश्रा, संदीप सालुंके, दलजीत सिंह चौधरी, विजय कुमार मौर्या, एमके वशाल, तिलोत्तमा वर्मा, आलोक शर्मा, अभय कुमार प्रसाद, दीपेश जुनेजा और नीरा रावत शामिल हैं। इन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के बाद जुलाई 2026 के बाद ही नए डीजीपी के चयन के लिए नए नामों पर विचार किया जा सकेगा।

अन्य राज्यों में भी कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति पर विवाद
उत्तर प्रदेश के अलावा आठ अन्य राज्यों में भी कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किए गए हैं, जिनमें उत्तराखंड, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर में कार्यवाहक डीजीपी आरआर स्वैन को अगस्त में स्थायी डीजीपी नियुक्त किया गया था। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों को कार्यवाहक डीजीपी बनाने के खिलाफ अवमानना नोटिस भी जारी किया था।

यूपी सरकार ने नियमावली से खत्म की स्थायी डीजीपी चयन में खींचतान
योगी सरकार ने डीजीपी के चयन और नियुक्ति की नई नियमावली बनाकर स्वयं स्थायी डीजीपी नियुक्त करने का रास्ता निकाला है। नई नियमावली के तहत डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार डीजीपी को पद से हटाने के अधिकार का प्रयोग कर सकती है यदि वह किसी आपराधिक मामले में संलिप्त हो, भ्रष्टाचार में लिप्त हो, या अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल हो।

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