ऊर्जा मंत्री ने की PPP मॉडल की तारीफ : सरकार का निजीकरण से इनकार, DVVNL-PuVVNL पर अनुपूरक बजट में मिला आधा हिस्सा होगा खर्च

UPT | UPPCL

Dec 17, 2024 20:36

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिजली विभाग को पीपीपी मॉडल के तहत विकसित करने का विचार किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई योजना थी और आज यह कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लागू हो रही है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) को निजी हाथों में सौंपे जाने के मामले में सरकार स्पष्ट तौर पर जवाब नहीं दे रही है। एक तरफ ऊर्जा मंत्री एके शर्मा मंगलवार को विधानसभा में निजीकरण की पैरोकारी करते नजर आए तो दूसरी ओर सरकार ने सपा विधायक डॉ. रागिनी सोनकर के पूछे सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार ने डिस्कॉम्स के निजीकरण के संबंध में कोई निर्णय नहीं किया है। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इस पर सवाल उठाए हैं। 

ऊर्जा मंत्री और सरकार के जवाब से उठे सवाल
एसोसिएशन की मंगलवार को आयोजित बैठक में अब तक के आंदोलन की रूपरेखा पर विचार विमर्श किया गया। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि विधानसभा में एक विधायक के जवाब में कहा जाता है कि वर्तमान में प्रदेश सरकार ने डिस्काम के निजीकरण के संबंध में कोई निर्णय नहीं किया है। वहीं दूसरी तरफ ऊर्जा मंत्री विधानसभा में कहते हैं पीपीपी मॉडल को नाकारना पूरी तरह उचित नहीं है। सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि पावर ऑफिसर एसोसिएशन का प्रतिनिधमंडल जब ऊर्जा मंत्री से मिला तो उन्होंने कहा पीपीपी मॉडल उनके संज्ञान में ही नहीं है। इसलिए संगठन से इस पर अभी वार्ता करना उचित नहीं है। एसोसिएशन ने कहा कि सवाल यह है आरक्षण पर कुठाराघात जब भी होता है तो सभी की बोलती बंद क्यों हो जाती है।



प्रदेश सरकार की तरफ से नहीं दिया गया उचित जवाब 
एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार, प्रभाकर, गजेंद्र सिंह और विनय कुमार ने कहा कि आज जिस प्रकार से विधानसभा में दलित व पिछड़े वर्गों के आरक्षण का मामला उठा वह बहुत गंभीर मामला है। लेकिन, प्रदेश सरकार की तरफ से कोई भी उचित जवाब नहीं दिया गया, जिससे पूरे देश व प्रदेश में दलित व पिछड़े वर्ग के अधिकारी व कर्मचारी बड़ा जन आंदोलन तैयार करने के लिए बाध्य होंगे।

अनुपूरक बजट में ऊर्जा क्षेत्र के लिए 8587.27 करोड़ 
पावर ऑफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि इसके साथ ही बेहद दुर्भाग्य की बात है कि आज अनपूरक बजट 17865 करोड़ का था, जिसमें से लगभग 8587.27 करोड़ ऊर्जा क्षेत्र में दिया गया। इसमें  इंगित किया गया कि इससे लाइन लॉस कम होगा और भी अन्य योजनाओं में लाभ मिलेगा। एसोसिएशन ने सवाल उठाया कि जिन बिजली कंपनियों को निजी क्षेत्र में दिया जाना है, उसे पर अनुपूरक बजट का आधा हिस्सा खर्च किया जा रहा है। इसके पहले केंद्र सरकार ने आरडीएसएस में 44 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की। इस तरह सब मिलाकर पुरानी गाड़ी को नया करके पुराने भाव में बेचना पूरी तरह गलत है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

सपा विधायक डॉ. रागिनी ने विधानसभा में उठाया निजीकरण का मुद्दा
दरअसल सपा विधायक डॉ. रागिनी ने नियम 51 के तहत कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार पावर कारपोरेशन ने यह घोषणा की है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का प्राईवेट पब्लिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत निजीकरण किया जाएगा। इन दोनो निगमों में 21-21 जनपद आते हैं। इस मॉडल में 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों के पास होंगे, जिससे यह पूरी तरह निजी क्षेत्र के नियंत्रण में आ जाएंगे। डॉ. रागिनी ने कहा कि यह बेहद खेद का विषय है कि सबसे पहले उत्तर प्रदेश में पदोन्नतियों में आरक्षण का अधिकार छीना गया और अब उत्तर प्रदेश में दो बिजली निगमों का निजीकरण करके अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति व पिछड़े वर्गों के आरक्षण पर कुठारघात करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने दोनों ऊर्जा निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की। इस पर सरकार की ओर से इसका खंडन किया गया। 

ऊर्जा मंत्री का तर्क : पीपीपी मॉडल से बदलेगी तस्वीर
दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली विभाग की योजनाओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के महत्व को बताते हुए इसे क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी कदम बताया। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बिजली विभाग को पीपीपी मॉडल के तहत विकसित करने का विचार किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई योजना थी और आज यह कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लागू हो रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब से हाईवे में पीपीपी मॉडल आया है, तब से स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है। ऐसे में बिजली विभाग में भी इसे लागू करना एक सकारात्मक कदम होगा।

पीपीपी मॉडल को नकारना सही नहीं
ऊर्जा मंत्री ने विपक्ष के विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसी क्षेत्र में सुधार की संभावना है, तो उसे नकारना उचित नहीं है। टोरंट कंपनी से बातचीत की जा रही है और इसकी गुणवत्ता की जांच के बाद ही इसे चुना गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नोएडा में सब्सिडी खत्म करने का कोई विचार नहीं है। पीपीपी मॉडल पर मंत्री का साफ कहना था कि यह विकास के लिए एक आधुनिक और जरूरी पहल है।

कर्मचारियों के हित होंगे सुरक्षित
ऊर्जा मंत्री ने कर्मचारियों के हितों को लेकर विपक्ष की शंकाओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कर्मियों को मैं आश्वस्त करता हूं कि उनके हितों की सुरक्षा की जाएगी। चाहे वे संविदा कर्मी, ठेका कर्मी हों या फिर सरकारी कर्मचारी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह प्रक्रिया पूरी सावधानी और पारदर्शिता से चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जब पूरी योजना संपन्न हो जाएगी, तब इसे सभी के सामने रखा जाएगा और फिर लागू किया जाएगा। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के विधायकों ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया। हालांकि, सपा के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह और विधायक पल्लवी पटेल ने इस बहिष्कार में शामिल होने से इनकार कर दिया। 

सपा विधायक ओम प्रकाश सिंह और एके शर्मा के बीच चले व्यंग के बाण
इसके अलावा सपा विधायक ओम प्रकाश सिंह ने भी बिजली के मुद्दे पर ऊर्जा मंत्री को घेरा। सपा विधायक ओम प्रकाश सिंह सहित नफीस अहमद, आरके वर्मा और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने सरकार पर बिजली आपूर्ति और इससे संबंधित अन्य सेवाओं में अक्षमता का आरोप लगाया। ओम प्रकाश सिंह ने ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा पर तंज कसते हुए कहा कि बिजली मंत्री जब किताब पढ़े तो गुजरात चले गये और अब हम लोगों को तंग करने आये हैं। दरअसल एके शर्मा भारतीय प्रशासनिक सेवा के गुजरात कैडर के 1988 बैच के अफसर थे। ओमप्रकाश सिंह ने तंज भरे लहजे में कहा कि चुनाव लड़कर आएंगे तो समझ में आएगा। 
इसके बाद ऊर्जा मंत्री ने उन पर भी पलटवार किया और कहा कि आपके समय में बिजली का आना एक न्यूज बनती थी और वर्तमान सरकार में बिजली का जाना एक न्यूज बनती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी माने जाने वाले एके शर्मा को लेकर सिंह ने कहा कि आप नेता सदन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कुछ सीखिए, हम समझ रहे हैं कि आपकी वकालत कहीं और से है। उन्होंने कहा कि मैं सबसे कम दिल्ली जाने वाले नेताओं में हूं और हमारे व मुख्यमंत्री जी के बीच मंथरा वाला काम नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि हम जो भी करते हैं प्रधानमंत्री के आशीर्वाद और मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन और नेतृत्व में करते हैं।

Also Read