UP News : डीजीपी चयन नियमावली को चुनौती देगी आजाद अधिकार सेना, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी का आरोप

UPT | Amitabh Thakur

Nov 10, 2024 00:43

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि आजाद अधिकार सेना इस नियमावली को शीघ्र ही हाई कोर्ट में चुनौती देगी। उनका कहना है कि यूपी सरकार की इस नई नियमावली से सिर्फ वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के हक को नुकसान होगा, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली और कानून का भी उल्लंघन करेगी।

Lucknow News : आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार की जारी की गई डीजीपी (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) चयन और नियुक्ति नियमावली 2024 को चुनौती देने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को प्रमुख जिम्मेदारी सौंपते हुए वरिष्ठतम तीन आईपीएस अफसरों के बीच चयन का निर्देश दिया था। लेकिन, उत्तर प्रदेश सरकार इस आदेश की अनदेखी कर रही है।

डीजीपी चयन के लिए 'मनचाही कमेटी' गठित करने का आरोप
अमिताभ ठाकुर ने शनिवार को आरोप लगाया कि यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को दरकिनार करते हुए डीजीपी चयन के लिए एक 'मनचाही कमेटी' गठित की है, जो सीधे तौर पर यूपीएससी को संस्तुति भेजने की बजाय चयन का जिम्मा संभालेगी। इसके अलावा, वरिष्ठतम तीन आईपीएस अफसरों की बजाय पे-मैट्रिक्स 16 के तहत सभी आईपीएस अफसरों में से डीजीपी का चयन करने की बात की जा रही है।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खिलवाड़
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि इस नई नियमावली के तहत यूपी सरकार किसी भी जूनियर आईपीएस अफसर को डीजीपी के पद पर तैनात कर सकती है, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है। उनके अनुसार, इस तरह से चयन प्रक्रिया में मनमानी की जा सकती है और यह पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होगा।

आजाद अधिकार सेना की कानूनी चुनौती
अमिताभ ठाकुर ने कहा कि आजाद अधिकार सेना इस नियमावली को शीघ्र ही हाई कोर्ट में चुनौती देगी। उनका कहना है कि यूपी सरकार की इस नई नियमावली से सिर्फ वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के हक को नुकसान होगा, बल्कि यह न्यायिक प्रणाली और कानून का भी उल्लंघन करेगी।

उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मिल चुकी है मंजूरी 
दरअसल योगी सरकार ने राज्य स्तर पर डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) की नियुक्ति के लिए 'पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024' को हाल ही में मंजूरी दी है। इस निर्णय के बाद डीजीपी की नियुक्ति में राज्य सरकार की पूरी भूमिका होगी और इस चयन प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए एक मनोनयन समिति का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे।

मनोनयन समिति का गठन और कार्य
नवीन नियमावली के तहत, एक उच्च स्तरीय मनोनयन समिति बनाई जाएगी, जिसमें मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा नामित एक अधिकारी, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनके द्वारा नामित कोई अधिकारी, अपर मुख्य सचिव (गृह) और एक सेवानिवृत्त डीजीपी शामिल होंगे, जो पहले इस पद पर कार्य कर चुके हैं। यह समिति केवल उन्हीं अधिकारियों के नामों पर विचार करेगी, जिनकी सेवानिवृत्ति में कम से कम छह माह का समय बाकी हो। इस समिति का मुख्य उद्देश्य उपयुक्त और योग्य अधिकारी का चयन कर डीजीपी पद पर नियुक्ति करना होगा।

डीजीपी का कार्यकाल और पद से हटाने की शर्तें
नए नियमों के तहत, डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष निर्धारित किया गया है। हालांकि, यदि डीजीपी किसी आपराधिक मामले में संलिप्त हो, भ्रष्टाचार में लिप्त हो, या अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल हो, तो राज्य सरकार के पास उसे पद से हटाने का अधिकार होगा। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि केवल जिम्मेदार और सक्षम अधिकारियों को डीजीपी के पद पर नियुक्त किया जाए। 

Also Read