यूपी पुलिस भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा : सॉल्वर ​गैंग के जरिए दारोगा बने सात अभ्यर्थी, फिंगर प्रिंट से खुला राज

UPT | यूपी पुलिस भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा।

Nov 22, 2024 18:48

पुलिस भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सॉल्वर गैंग की मदद से सात लोगों ने दारोगा के पद पर नियुक्ति हासिल की। इनमें दो महिला अभ्यर्थी शामिल हैं।

Lucknow News : पुलिस भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सॉल्वर गैंग की मदद से सात लोगों ने दारोगा के पद पर नियुक्ति हासिल की। इनमें दो महिला अभ्यर्थी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने इन सभी के खिलाफ हुसैनगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। भर्ती बोर्ड के इंस्पेक्टर ने थाने में तहरीर दी। पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है। 

अंगुली की छाप से हुआ खुलासा
पुलिस भर्त में फर्जीवाड़े का खुलासा अंगुली की छाप (fingerprint) के सत्यापन के दौरान हुआ। पुलिस भर्ती बोर्ड ने 2023 में चयनित अभ्यर्थियों का अंगुली की छाप का सत्यापन किया। जिसमें परीक्षा और शारीरिक परीक्षण में शामिल अभ्यर्थियों के फिंगर प्रिंट मैच नहीं हुआ। इस गड़बड़ी का खुलासा फिंगर प्रिंट ब्यूरो की 13 अक्टूबर 2023 को आई रिपोर्ट के बाद हुआ।



बड़े गिरोह का हाथ होने की आशंका
भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बोर्ड ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। पुलिस गहनता से जांच कर रही है कि इस फर्जीवाड़े में कौन-कौन लोग शामिल हैं और क्या इसमें किसी बड़े गिरोह का हाथ है। इसके साथ ही भर्ती बोर्ड अब भर्ती प्रक्रियाओं में नई तकनीकों और सुरक्षा उपायों को अपनाने पर भी विचार किया जा रहा है। ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को पूरी तरह से रोका जा सके।

इन सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
यूपी पुलिस भर्ती में फर्जीवाड़े के मामले में बुलंदशहर के निर्भय सिंह जादौन, एटा की कु. मालती, मेरठ निवासी रोहित कुमार, आगरा निवासी कु. ज्योति, गोरखपुर निवासी घनश्याम जयसवाल, महराजगंज निवासी सुधीर कुमार गुप्ता और अलीगढ के रहने वाले गौरव कुमार पर एफआईआर दर्ज हुई है।

विशेष समिति कर रही जांच
यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड ने 2020-21 में सब-इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर और अग्निशमन अधिकारी के पदों के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की थी। जांच में पता चला कि सात अभ्यर्थियों ने परीक्षा में धोखाधड़ी करते हुए अलग-अलग परीक्षा केन्द्रों पर  सॉल्वर गैंग की मदद से अपनी जगह डमी उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठाया था। इस मामले की जांच अब भर्ती बोर्ड द्वारा गठित एक विशेष समिति द्वारा की जा रही है, जो हाईकोर्ट के निर्देश पर काम कर रही है।

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