यूपी में गोसंरक्षण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती : राज्य में 6708 ग्रामीण गो-आश्रय स्थल संचालित 

UPT | यूपी में गोसंरक्षण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती।

Nov 28, 2024 15:43

उत्तर प्रदेश में गोवंश के संरक्षण और देखरेख के लिए कई योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। जिससे न केवल गोवंश का कल्याण हो रहा है, बल्कि किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश में गोवंश के संरक्षण और देखरेख के लिए कई योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। जिससे न केवल गोवंश का कल्याण हो रहा है, बल्कि किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है। यूपी में कुल 6708 ग्रामीण गो-आश्रय स्थल संचालित किये जा रहे हैं। इनमें गोवंश की देखभाल के लिए 100 प्रतिशत टैग्ड गोचर भूमि का उपयोग किया गया है, जो 9091.21 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। इस भूमि पर हरित चारा उत्पादन को प्राथमिकता दी गई है, जिससे गोवंश के पोषण की समस्याओं का समाधान किया जा सके।

हरित चारा उत्पादन में वृद्धि
टैग्ड गोचर भूमि में से 5465.93 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर हरित चारा बोया गया है, जो कुल क्षेत्रफल का 60.12 प्रतिशत है। इसमें, 1007.99 हेक्टेयर क्षेत्र में नेपियर घास की खेती की गई है, जबकि 4457.93 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर बरसीम और ज्वारी चारे का उत्पादन हुआ है। यह प्रयास गोवंश के लिए पौष्टिक आहार सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।



इन जनपदों में सर्वाधिक गो-आश्रय स्थल 
प्रदेश में सर्वाधिक गो-आश्रय स्थल जनपद जालौन (396), हरदोई (357), हमीरपुर (319), बांदा (309) चित्रकूट (306), बदायूं (297) उन्नाव (291), महोबा (266) में हैं, जहां बड़े पैमाने पर हरे चारे का उत्पादन किया जा रहा है। 

7404.41 कुंतल बीज का आवंटन
प्रदेश सरकार ने किसानों को ज्वारी चारा बीज का वितरण करते हुए 7404.41 कुंतल बीज का आवंटन जिलों में किया है। साथ ही, 810.80 कुंतल प्रमाणित बरसीम चारा बीज भी प्रदान किया गया है। इन प्रयासों का उद्देश्य गो-आश्रय स्थलों को चारा उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बनाना और किसानों को चारे की खेती के लिए प्रेरित करना है।

जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा
गोवंश आधारित जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को नेपियर रूट स्लिप्स (जड़ें) का भी वितरण किया जा रहा है। अब तक 35 लाख जड़ों का आवंटन किया जा चुका है। इससे न केवल जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

गोसंरक्षण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
सरकार के इन प्रयासों से न केवल गोवंश को संरक्षित करने में सफलता मिली है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी साबित हो रहा है। गो-आश्रय स्थलों से मिलने वाला गोबर और मूत्र जैविक खाद के रूप में उपयोग हो रहा है, जिससे किसानों को सस्ते और प्रभावी उर्वरक मिल रहे हैं। यूपी सरकार का प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और सतत विकास के लक्ष्य को भी साकार कर रहा है।

Also Read