गोवा में ब्लैकलिस्टेड की गई दो बिजली कंपनियों को यूपी में मिला हजारों करोड़ों का टेंडर : UPPCL में खुलासे के बाद हड़कंप

UPT | स्मार्ट प्रीपेड मीटर

Sep 05, 2024 19:44

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत मेसर्स जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को भी लगभग 7200 करोड़ का काम मिला है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर पाने वाली कंपनियां ने मेसर्स एचपीएल को भी सैकड़ों करोड़ का आर्डर दिया है। गवर्नमेंट ऑफ गोवा इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट ने इन दोनों मीटर निर्माता कंपनियों को गोवा के अंतर्गत स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर में भाग लेने से रोक लगा दी है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाली दो कंपनियों मेसर्स जीनस और एचपीएल को गवर्नमेंट ऑफ गोवा इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट ने काली सूची में डाल दिया है। ये दोनों कंपनियां वहां ब्लैक लिस्ट कर दी गई हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में जीनस के पास लगभग 7200 करोड़ रुपए का काम है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस गंभीर मामले की जानकारी उत्तर प्रदेश विद्युत पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) प्रबंधन व बिजली कंपनियों को दी। इसके बाद अफसरों को जवाब देते नहीं मिल रहा है। इतने बड़े मामले की उनको भनक तक नहीं लगी और कंपनियों ने यूपी में हजारों करोड़ों का काम हासिल कर लिया। अधिकारियों को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि इन कंपनियों को किस आधार पर काली सूची में डाला गया है। ऐसे में यूपी में स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं।

सच्चाई सामने आने तक स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक की मांग
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि किसी प्रदेश में यदि कोई भी स्मार्ट मीटर निर्माता ब्लैक लिस्टेड कंपनी है और वह उत्तर प्रदेश में मीटर लगा रही है, तो सबसे पहले उसकी छानबीन होनी चाहिए। जब तक सही स्थिति का खुलासा नहीं हो जाए, तब तक मीटर लगाने पर रोक लगनी चाहिए। साथ ही ये भी पता करना चाहिए कहीं कंपनी घटिया क्वालिटी के चलते तो काली सूची में नहीं डाली गई है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यह प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए बहुत बड़ा गंभीर मामला है कि क्या कोई स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी जो दूसरे राज्य में ब्लैक लिस्ट हो गई है, वह उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा सकती है। इसकी गहराई में छानबीन के बाद तत्काल पावर कारपोरेशन प्रबंधन निर्णय ले। यह बहुत ही गंभीर मामला है और कंपनियों को इसकी खबर तक नहीं है।
 

मेसर्स जीनस को आगरा में मिला 7200 करोड़ का काम, मेसर्स एचपीएल भी आर्डर लेने में सफल
देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में सभी बिजली कंपनियों में लगभग 27000 करोड़ की लागत से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम कई देशों के बड़े निजी घरानों को मिला है। उसी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत मेसर्स जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को भी लगभग 7200 करोड़ का काम मिला है। वहीं दूसरी तरफ अन्य कंपनियों को जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम मिला है, उसके अंतर्गत मेसर्स एचपीएल इलेक्ट्रिक पावर लिमिटेड भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही है। अवधेश वर्मा ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम आगरा में जहां मेसर्स जीनस को बुधवार को लगभग 7200 करोड़ का का स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का आर्डर मिला है, वहीं दूसरी स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर पाने वाली कंपनियां ने मेसर्स एचपीएल को भी सैकड़ों करोड़ का आर्डर दिया है।

गोवा में दोनों दागी कंपनियां किसी टेंडर में नहीं ​हो पाएंगी शामिल
अवधेश वर्मा ने बताया कि उपभोक्ता परिषद जब गवर्नमेंट ऑफ गोवा के टेंडर पोर्टल गोवा के स्मार्ट प्रीपेड मीटर टेंडर की स्थिति को अध्ययन कर रहा था तो सामने आया कि गवर्नमेंट ऑफ गोवा इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट ने इन दोनों मीटर निर्माता कंपनियां मेसर्स जीनस व मेसर्स एचपीएल को गोवा के अंतर्गत स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर में भाग लेने से रोक लगा दी है। साथ ही कहा है कि ये दोनों कंपनियां ना तो गोवा सरकार के किसी टेंडर में भाग लेंगी और ना ही केंद्र सरकार के स्मार्ट प्रीपेड मीटर के किसी टेंडर में ही हिस्सा ले सकेंगी। साथ ही कहा है कि यह दोनों कंपनियां ब्लैक लिस्ट कर दी गई हैं।

5 अगस्त को काली सूची में डाला, एक महीने तक सोए रहे यूपी में जिम्मेदार अफसर
गवर्नमेंट ऑफ गोवा इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट ने जो ब्लैक लिस्टिंग का ऑर्डर टेंडर पोर्टल वेबसाइट पर पब्लिक डोमेन में डाला गया है, उसमें दोनों कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने की तारीख 5 अगस्त 2024 है। ऐसे में सवाल उठता है कि दूसरे राज्य में ब्लैकलिस्टेड कंपनी क्या उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा सकती है और यदि नहीं लगा सकती है तो उसे पर बिजली कंपनियों ने अभी तक क्या कार्रवाई की ? हैरानी वाली बात है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों को इसकी जानकारी तक नहीं थी, जब उपभोक्ता परिषद ने उनको इससे अवगत कराया तो बिजली कंपनियों में हड़कंप मच गया।

गहराई से छानबीन की मांग
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस गंभीर मामले की जानकारी उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन, मध्यांचल प्रबंधन व पूर्वाचल, दक्षिणांचल प्रबंधन को भी दे दी है और उनसे अनुरोध किया है कि इस गंभीर मामले की छानबीन की जाए, क्योंकि उत्तर प्रदेश में हजारों करोड़ के टेंडर का मामला है।

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