नोटों की बरसात करने वाली चने की खेती : किसान इन बातों का रखेंगे ध्यान तो होगी बंपर पैदावार, जिला कृषि अधिकारी से जानें विधि

UPT | चना की खेती

Nov 22, 2024 16:49

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार मोटा अनाज पैदा करने को लेकर बल देते रहते हैं। इसमें मुख्यतः चने की खेती भी आती है कुछ समय से देखा जाए तो अब किसान पारंपरिक खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं....

Short Highlights
  • बीजों को बोने से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगोकर करें बुवाई
  • दानेदार दोमट मिट्टी में बंपर होती है चने की फसल

 

Hardoi News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार मोटा अनाज पैदा करने को लेकर बल देते रहते हैं इसमें मुख्यतः चने की खेती भी आती है। कुछ समय से देखा जाए तो अब किसान पारंपरिक खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। दालों की खेती के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए हरदोई में जिला कृषि उपनिदेशक किसानों के साथ बैठक कर उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चने की खेती अगर सही तरीके से देखरेख में की जाए तो यह बंपर उत्पादन के साथ में किसानों पर नोटों की बरसात करने वाली साबित हो सकती है। 

इन बातों को ध्यान में रखकर करें चने की खेती 
हरदोई जिले के जिला कृषि उपनिदेशक नंदकिशोर ने बताया कि चने की खेती दिसंबर के मध्य तक की जाती है। इसका बीज प्रति एकड़ 35 से 40 किलो इस्तेमाल किया जाता है। बीजों को बन से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगोकर बुवाई करना लाभप्रद होता है। इससे बीज की अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है। बीज बोने से पहले खेत की अच्छी तरीके से जुताई कर ली जाती है। चना दानेदार दोमट मिट्टी में अच्छा होता है। यह रेतीली या चिकनी मिट्टी में भी हो सकता है। मिट्टी का पीएच मान 7 सबसे उपयुक्त माना जाता है। चने को मेढ़ बनाकर बीजों के बीच की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर उपयुक्त मानी गई है। बीच की गहराई 10 सेंटीमीटर सही रहती है। भारत के कई एरिया में इसकी विजाई पोरा तकनीक से भी की जाती है। 


खेत में खरपतवार नियंत्रित बीज को उपचारित कर करें बिजाई
कृषि प्रसार भवन के वैज्ञानिक बताते हैं कि चना के बीज को उपचारित करने के लिए ट्राईकोडरमा प्रति एकड़ 2.5 किलो और गोबर की खाद को मिट्टी में मिला दिया जाता है। ऐसा करने से फफूंदी से किसान को छुटकारा मिल जाता है। उन्होंने बताया कि समय-समय पर चने के पौधे की देखरेख से और कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर की जाने वाली खेती अच्छी चने की फसल देती है। चने की फसल को पानी देने का तरीका बिजाई से पहले एक पानी दिया जाता है, इससे बीजों के अंकुरण में काफी मदद मिलती है। दूसरा पानी चने के पेड़ में फूल आने के समय दिया जाता है और तीसरा पानी फलियों के आने के समय दिया जाता है और उसके बाद में किसान भाई आवश्यकता अनुसार पानी दे सकते हैं। फसल की कटाई के समय जब पौधा भूरे रंग का दिखाई देने लगता है तो उसे काट कर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है और फिर किस अपने तरीके से चने की झड़ाई कर सकता है।

कम लागत में अधिक मुनाफा देती है चने की फसल 
कृषि वैज्ञानिक सुरेश कुमार बताते हैं कि चना कम लागत में अधिक पैदावार देता है। एक एकड़ में चने की खेती में 10 क्विंटल से अधिक पैदावार होती है। कुछ किसान तो अच्छी देखरेख से 15 कुंतल तक चना पैदा कर लेते हैं। चने की फसल 100 दिनों में पूरी तरीके से तैयार हो जाती है। किसान हरा चना बाजार में बेचकर लाभ कमा सकता है। चने का बंपर उत्पादन किसान को मालामाल कर देता है। यह पौष्टिक खनिज विटामिन से भरपूर अन्न है।

चने में प्लांट बेस्ड प्रोटीन का है खजाना 
आयुर्वैदिक डॉक्टर रेखा वर्मा बताती है कि चना इंसानी शरीर के लिए ताकत का खजाना है। 100 ग्राम चने में 19 ग्राम प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। इसके बाहरी हिस्से में अत्यधिक प्रोटीन होता है। इसमें विटामिन, फाइबर, आयरन, कार्बोहाइड्रेट जैसे महत्वपूर्ण प्रोटीन पाए जाते हैं। यह ब्लड शुगर के लेवल को मेंटेन रखना है। यह हीमोग्लोबिन को भी बढ़ता है। बढ़ती उम्र के साथ चना बॉडी को मेंटेन रखता है। खास बात यह है कि अंकुरित चने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है, इसे हर उम्र के व्यक्ति को सेवन करने की जरूरत है।

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