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आज भी लखनऊ में जिन्दा है इतिहास आज भी लखनऊ में जिन्दा है इतिहास, इन जगहों का जरूर करें विजिट

Media | Lucknow Tourist Place

Dec 08, 2023 13:04

लखनऊ को कबाब और नवाब का शहर कहा जाता हैं। जो अपने साहित्य, संस्कृति और वास्तुकला के लिए देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। लखनऊ गोमती नदी के किनारे स्थित है। लखनऊ एक ऐसा शहर हैं जो अपने आकर्षक पर्यटन स्थलों से पर्यटकों के चेहरे पर एक अनोखी मुस्कान छोड़ देता हैं।

Lucknow Tourist Place: लखनऊ को कबाब और नवाब का शहर कहा जाता हैं। जो अपने साहित्य, संस्कृति और वास्तुकला के लिए देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। लखनऊ गोमती नदी के किनारे स्थित हैं। लखनऊ एक ऐसा शहर है, जो अपने आकर्षक पर्यटन स्थलों से पर्यटकों के चेहरे पर एक अनोखी मुस्कान छोड़ देता हैं। यह शहर समृद्ध औपनिवेशिक इतिहास से लेकर संग्रहालयों तक आधुनिक शहर की सादगी की भव्यता को एक साथ प्रदर्शित करता हैं। 

बड़ा इमामबाड़ा या भूल भुलैया

बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर हैं। इसे भूल भुलैया भी कहते हैं। इसे आसिफ उददौला ने बनवाया था। यह मुस्लिमों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान हैं। हर साल मुहर्रम के धार्मिक त्योहार को मनाने के लिए यहां भारी संख्या में लोग आते हैं। बता दे भूल भुलैया प्रकोष्ठों और मार्गों का ऐसा जाल है जो भ्रम में डाल देता है तथा जिसके कारण विकास मार्ग का ज्ञान होना कठिन होता हैं। इसका आधुनिक रूप व्यूह हैं। प्रतिध्वनि के माध्यम से आप सैकड़ो फिट दूर किसी के फुस्फुसाने की ध्वनि सुन सकते हैं। यह इसके स्थापत्य का एक विशेष गुण हैं।

चिड़ियाघर

लखनऊ चिड़ियाघर या लखनऊ जू शहर में घूमने की एक अच्छी जगह हैं। जो वन्यजीव उत्साही लोगों का सबसे पसंदीदा स्थान हैं। यह चिड़ियाघर 71.6 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ हैं। जिसको 1921 में वेल्स के राजकुमार हिज रॉयल हाइनेस की यात्रा की याद में स्थापित किया गया था। इस जू को पहले वेल्स के राजकुमार के रूप में जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदल दिया गया था। लखनऊ चिड़ियाघर में रॉयल बंगाल टाइगर, व्हाइट टाइगर, लायन, वुल्फ, ग्रेट पाइड हॉर्नबिल, गोल्डन तीतर और सिल्वर तीतर जैसे कुछ आकर्षक जानवरों और पक्षियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता हैं। 

अंबेडकर मेमोरियल पार्क

अंबेडकर मेमोरियल पार्क लखनऊ का प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक हैं। जिसे भीमराव अंबेडकर कांशी राम और बसपाई की याद में बनाया था। जिन्होंने समानता और मानवीय न्याय के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया था। सात अरब रुपये के बजट के साथ बना यह पार्क लखनऊ में देखने की सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं।

दिलकुशा कोठी

दिलकुशा कोठी पहले एक शिकार लॉज था, जिसें बाद में ग्रीष्मकालीन महल के रूप में बदल दिया गया था। इस महल का निर्माण 1800 में मेजर गोर द्वारा बारोक शैली में किया गया था, जिसने आजादी के पहले युद्ध के समय कई बड़े प्रभावों का सामना किया था और इस वजह से इसके कुछ टावर और दीवार ही सही स्थिति में हैं।

ब्रिटिश रेजीडेंसी

ब्रिटिश रेजीडेंसी में 1857 के विद्रोह के दौरान कई अंग्रेजों ने शरण ली थी। यह किला अब खंडहर के रूप बदल गया हैं। यहां के कब्रिस्तान के पास कई सैकड़ों अंग्रेजों की कब्रें हैं। जो घेराबंदी के दौरान मारे गए थे। अब यह खंडहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित हैं।

नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन

नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन को पहले वेल्स जूलॉजिकल गार्डन के रूप जाना जाता था। यह लखनऊ में स्थति एक एक विशाल प्राणि उद्यान हैं। इस गार्डन क्षेत्र में ट्रेकिंग करने के लिए प्रकाश चिह्नित ट्रेल्स हैं। यह गार्डन लखनऊ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल हैं, जो नियमित पर्यटकों और स्थानीय लोगों के साथ फोटोग्राफी और जूलॉजी के छात्रों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं।

जामा मस्जिद

लखनऊ शहर के हुसैनाबाद तहसीलगंज में जामा मस्जिद स्थित हैं। जिसे राजा मोहम्मद अली शाह बहादुर ने बनवाया था। ऊंचे चौकोर मंच पर इस मस्जिद का निर्माण दिल्ली की जामा मस्जिद को पार करने के लिए करवाया था। यह मस्जिद चूने के प्लास्टर के साथ एक फैंसी सजावट का द्वारा करती हैं।

डिज्नी वाटर वंडर पार्क

डिज़्नी वाटर वंडर पार्क कानपुर-लखनऊ रोड के पास 20 एकड़ भूमि में फिला हुआ हैं। यह पार्क पूरी तरह से मनोरंजन, भोजन और रोमांच से भरा हुआ हैं जो पर्यटकों के लिए कई तरह की गतिविधियों की पेशकश करता हैं। यह पार्क लखनऊ शहर के सबसे पसंदिता पार्कों में से एक हैं।

छत्तर मंजिल

छत्तर मंजिल को लोकप्रिय रूप से अम्ब्रेला पैलेस के नाम से भी जाना जाता हैं। इसका निर्माण नवाब गाजी उद्दीन हैदर ने करवाया था और बाद में अवध के शासक और उनकी पत्नियों ने इसका उपयोग किया था। छत्तर मंजिल इंडो-यूरोपियन-नवाबी वास्तुकला का एक शानदार नमूना हैं जो गोमती नदी के तट पर स्थित हैं। इस इमारत में बड़े-बड़े भूमिगत कमरे हऔर विशाल गुंबद हैं।

छोटा इमामबाड़ा

इमामबाड़ा हुसैनाबाद मुबारक छोटा इमामबाड़ा का दूसरा नाम हैं। अवध के तीसरे नवाब मोहम्मद अली शाह ने इमामबाड़ा का निर्माण कराया था। इस स्थान पर शिया मुसलमान मुहर्रम के दौरान शोक का मौसम मनाते हैं। 

बावली

बावली, जिसे अक्सर शाही हम्माम कहा जाता हैं। इसमें एक पांच मंजिला बावड़ी हैं। बावड़ी और गोमती के बीच सीधी पहुंच मौजूद हैं। पांच मंजिलों में से तीन पानी के ऊपर हैं और दो नीचे हैं।

आसफ़ी मस्जिद

नवाब आसफ़ुद्दौला ने बड़ा इमामबाड़ा के अंदर आसफ़ी मस्जिद बनवाई। मस्जिद पूरी तरह से गैर-लोहे सामग्री से बनाई गई थी। बड़ा इमामबाड़ा के गेट के दाहिनी ओर मस्जिद हैं।

रूमी दरवाजा

अंग्रेजों के अनुसार रूमी दरवाजा को तुर्की गेट भी कहा जाता हैं। रूमी दरवाजा और बड़ा इमामबाड़ा के बीच की दूरी 0.3 किलोमीटर दूर हैं। 

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