दिव्यांग महिला को अस्पताल के बाहर ही देना पड़ा बच्चे को जन्म : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बछरावां में लापरवाही आई सामने

UPT | अस्पताल के बाहर प्रसूता के परिजन।

Dec 29, 2024 14:35

रायबरेली के बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है। परिजनों ने बताया कि प्रसूता की डिलवरी अस्पताल में नहीं, बल्कि बाहर खुले में हुई, जब स्वास्थ्य कर्मियों ने समय पर उपचार नहीं किया।

Raebareli News : रायबरेली के बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही का एक नया मामला सामने आया है, जहां प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक दिव्यांग महिला को अस्पताल में इलाज नहीं मिल सका और अंततः उसने सड़क पर बच्चे को जन्म दिया। इस घटना से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठ रहे हैं।



दिव्यांग महिला की प्रसव पीड़ा, अस्पताल में कोई महिला चिकित्सक नहीं मिली
बीते शनिवार की रात को ग्राम हसनगंज नीम टीकर निवासी जय देवी (20 वर्ष) को प्रसव पीड़ा के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बछरावां लाया गया। प्रसूता के पति विशाल के अनुसार, उन्होंने अस्पताल में महिला चिकित्सक की तलाश की, लेकिन वहां कोई महिला डॉक्टर मौजूद नहीं थी। स्टाफ नर्स द्वारा शुरू में इलाज किया गया, और बताया गया कि बच्चे की धड़कन नहीं सुनाई दे रही है। इस पर परिवार वालों ने सलाह दी कि उन्हें किसी अन्य अस्पताल ले जाएं, लेकिन परिवार के सदस्य इस सलाह से सहमत नहीं हुए और प्रसूता को अस्पताल में ही बेंच पर लिटा दिया।

प्रसव पीड़ा के बढ़ने पर स्वास्थ्य कर्मियों से मदद की गुहार
जब प्रसूता की प्रसव पीड़ा और बढ़ गई, तो उसके परिवार ने एक बार फिर से स्वास्थ्य कर्मियों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की। जब अस्पताल में कोई राहत नहीं मिली, तो विशाल अपनी दिव्यांग पत्नी को लेकर अस्पताल के बाहर चला आया। जैसे ही वह सड़क पर आया, प्रसव पीड़ा और बढ़ गई, और वहीं सड़क पर ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया। आसपास के लोगों ने किसी तरह जच्चा और बच्चे को संभाला।

स्वास्थ्य कर्मियों ने बाद में मदद की, लेकिन पैसे की मांग भी की
जब स्वास्थ्य कर्मियों को इस घटना की जानकारी मिली, तो वे तुरंत जच्चा और बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने के लिए दौड़े। हालांकि, परिवार का आरोप है कि स्वास्थ्य कर्मियों ने उनके साथ व्यवहार में कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई और इसके बाद भी 500 रुपये की मांग की गई। इसके साथ ही उन्हें 1200 रुपये और देने की बात भी की गई।

सीएमओ से संपर्क में असफलता, प्रशासन की उपेक्षा का आरोप
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। जब इस घटना की जानकारी सीएमओ डॉ. नवीन चंद्रा को देने के लिए उनका फोन मिलाया गया, तो उनका सीयूजी नंबर नहीं उठा। इससे स्पष्ट होता है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस गंभीर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।

यह घटना बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, इस तरह की घटनाएं साबित करती हैं कि प्रशासनिक स्तर पर सुधार की सख्त जरूरत है। 

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