बाघ पकड़ने को अब हनी ट्रैप : पिंजरे के अंदर खुद बैठकर ट्रैंकुलाइज करेगी टीम, वन विभाग के बांधे पड़वे का कर चुका है शिकार

UPT | वन विभाग को चकमा देकर बाघ ने फिर किया शिकार

Jan 07, 2025 10:39

खास बात है कि इस बार बाघ ने ग्रामीणों के पालतू पशु या जंगल के किसी अन्य वन्यजीव को शिकार नहीं बनाया बल्कि उस पड़वे को मारकर खा गया, जो पिंजरे के पास उसे पकड़ने के लिए बांध गया था। ऐसे में वन विभाग की रणनीति ही सवालों के घेरे में आ गई है।

Lucknow News : शहर के रहमानखेड़ा इलाके में वन विभाग तमाम कोशिशों के बावजूद बाघ को पकड़ने में नाकाम साबित हो रहा है। आलाधिकारी लगातार विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलकर नई-नई रणनीति तैयार कर रहे हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व से बुलाई गई दो हथिनियों के साथ भी कॉम्बिंग की जा रही है। लेकिन, बाघ महकमे को चकमा देकर हर बार निकल जाता है। इस बार उसने दसवां शिकार कर डाला और पूरी टीम देखते रह गई। 

वन विभाग की टीम को चकमा देकर किया शिकार
खास बात है कि इस बार बाघ ने ग्रामीणों के पालतू पशु या जंगल के किसी अन्य वन्यजीव को शिकार नहीं बनाया बल्कि उस पड़वे को मारकर खा गया, जो पिंजरे के पास उसे पकड़ने के लिए बांध गया था। ऐसे में वन विभाग की रणनीति ही सवालों के घेरे में आ गई है। उधर दहशत के साए में जी रहे ग्रामीण अब आक्रोशित हो गए हैं। बाघ की जो लोकेशन अब तक ट्रेस हुई है, उससे सामने आया है कि वह दुगौली, मीठे नगर और मंडौली बेहता नाला के आस पास सबसे ज्यादा सक्रिय है। इसी तरफ के जंगलों से उसका सबसे ज्यादा आवाजाही देखने को मिल रही है। इसलिए अब यहां ज्यादा फोकस किया जा रहा है। 



बाघ को फंसाने के लिए 'हनी ट्रैप' की तरकीब
वन विभाग के लगाए पिंजरे के पास ट्रैप कैमरों ने बाघ की तस्वीरें कैद की हैं। लेकिन, अब तक वन विभाग की घेरेबंदी और हथिनियों की मदद से बनाई गई रणनीति सफल नहीं हो सकी है। मंगलवार को विशेषज्ञ बाघ को पकड़ने के लिए 'हनी ट्रैप' का सहारा ले रहे हैं। बाघिन की आवाज और मूत्र के माध्यम से उसे आकर्षित करने की योजना बनाई जा रही है। प्रभागीय निदेशक सितांशु पांडेय के अनुसार, पिंजरे में बाघिन का मूत्र डाला गया है और मादा बाघ की दहाड़ की रिकॉर्डिंग को लाउडस्पीकर से बजाया जा रहा है। उम्मीद है कि यह तरकीब बाघ को मेटिंग के लिए आकर्षित कर सकती है और उसे ट्रैप करने में मददगार साबित होगी।

पिंजरे के अंदर से ट्रैंकुलाइज करने की योजना
वन विभाग ने बाघ को नुकसान पहुंचाए बिना पकड़ने की योजना बनाई है। विशेषज्ञ डॉक्टर पिंजरे के अंदर सुरक्षित रूप से बैठकर ट्रैंकुलाइज गन का इस्तेमाल करेंगे। इससे बाघ को बेहोश कर उसे सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया जा सकेगा। अधिकारियों के अनुसार, बाघ को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे के बाहर अब भैंस के पड़वा को बांधा गया है। पिंजरे को छिपाते हुए उसके अंदर ही विशेषज्ञ डॉक्टर बैठेंगे। वह सुरक्षित रहते हुए पिंजरे के अंदर से बाघ को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश करेंगे। इससे बाघ को बिना नुकसान हुए पकड़ने की योजना है।

ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश
बाघ के लगातार शिकार और वन विभाग की असफलताओं से ग्रामीणों में डर के साथ आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि विभाग की गतिविधियां बाघ को सतर्क कर रही हैं, जिससे वह स्थान बदलने में सफल हो रहा है। उनका कहना है कि बाघ को पकड़ने के लिए ड्रोन कैमरों, ट्रैप कैमरों और अन्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बावजूद बाघ पकड़ में नहीं आ सका। इससे साफ है कि कहीं कोई कमी हैं इस बीच वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर जाकर अभियान का नेतृत्व करने को कहा है।

घने कोहरे ने बढ़ाई चुनौती, मादा हाथियों का इस वजह से किया जा रहा प्रयोग
बाघ को पकड़ने में मौसम भी खलनायक बन रहा है। घना कोहरा होने की वजह से कॉम्बिंग अभियान देर से शुरू हो पा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, मादा हाथी सुलोचना और डायना की मदद से विशेषज्ञ डॉक्टर और महावतों ने जंगलों में पगचिह्न की तलाश की है। हालांकि बाघ से आमना सामना नहीं होने के कारण उसकी स्पष्ट लोकेशन का पता नहीं चल पा रहा है। बाघ को पकड़ने के लिए मादा हाथियों का इस्तेमाल करने के पीछे भी इसे रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि मादा हाथी नर हाथी की तुलना में अधिक शांत और संयमित होती हैं। वे विषम परिस्थितियों में बेहतर तरीके से काम करती हैं और बाघ को आक्रामक होने से रोकने में मददगार होती हैं।

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