लखीमपुर खीरी से आया डबल चैंबर पिंजरा : बिना शिकार किए बाघ को फंसाने की तैयारी, मचान पर टीम कर रही इंतजार

UPT | लखनऊ में अब बाघ को नए सिरे से पकड़ने की कवायद

Jan 08, 2025 06:33

बीच रहमानखेड़ा से लगभग 20 किलोमीटर दूर बारातीखेड़ा गांव के खेतों में भी हिंसक जानवर के पगचिह्न मिले हैं। ग्रामीणों के अनुसार झाड़ियों से गुर्राहट की आवाजें सुनाई दी गई हैं। खेतों में पगचिह्न मिलने की पुष्टि की गई है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि ये चिह्न बाघ के ही हैं।

Lucknow News : शहर के रहमानखेड़ा इलाके में बाघ को पकड़ने की कवायद जारी है। तमाम कोशिशों के बावजूद वन विभाग की भारी भरकम टीम को बाघ को पकड़ने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दुधवा से बुलाई गई दो मादा हाथियों के जरिए कॉम्बिंग में बाघ फिलहाल नजर नहीं आ सका है। लेकिन, उसका शिकार करने का सिलसिला जारी है। बाघ अपनी भूख शांत करने के लिए अलग-अलग मौकों पर ग्रामीणों के पशुओं से लेकर अन्य वन्य जीवों का शिकार कर रहा है। यहां तक की वह उस पड़वे का भी शिकार कर चुका है, जिसे उसे पकड़ने के लिए वन विभाग ने बांधा था। ऐसे में अब नई रणनीति अपनाई जा रही है।

पहले चैंबर में पड़वा, दूसरा खाली
वनाधिकारियों ने बाघ को पकड़ने के लिए लखीमपुर खीरी से खास डबल चैंबर वाला पिंजरा मंगाकर लगाया है। यह पिंजरा अपनी विशेष संरचना के कारण बाघ को बिना किसी शिकार के ही कैद कर सकता है। पिंजरे में दो अलग-अलग चैंबर हैं। पहले चैंबर में भैंस का पड़वा बांधा गया है, जबकि दूसरे चैंबर में बाघ के प्रवेश के लिए व्यवस्था की गई है। जैसे ही बाघ अंदर पैर रखेगा, पिंजरे का दरवाजा अपने आप बंद हो जाएगा।



बाघ के शिकार का इंतजार, मचान पर तैनात टीम
इसके साथ ही वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रैक करने के लिए पिंजरे के पास मचान पर निगरानी टीम तैनात की है। टीम का उद्देश्य है कि अगर रात के समय बाघ आता है, तो उसे ट्रैंकुलाइज करके सुरक्षित तरीके से पकड़ा जा सके। बाघ ने पड़वा का शिकार किया था, लेकिन मंगलवार को वह गंध के कारण वहां से भाग गया।

संस्थान के भीतर ही मौजूद है बाघ
वन विभाग की जांच में सामने आया है कि बाघ केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के बाहर नहीं गया है। बाघ के ताजा पगचिह्न संस्थान के अंदर ही पाए गए। टीम ने चौथे ब्लॉक के पास शिकार किए गए पड़वे का शव रखा, ताकि बाघ दोबारा वहां आए। वन विभाग के अफसरों के अनुसार हथिनी सुलोचना और डायना का जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल किया जाएगा। सभी जगह उनके जरिए कॉम्बिंग करने की जरूरत नहीं है। संस्थान के अंदर टीम ने कॉम्बिंग की। अधिकारियों ने बताया कि टीम ने बाघ के मूवमेंट वाले जोन पर विशेष ध्यान दिया। इसी क्षेत्र में बाघ ने पहले पड़वे का शिकार किया था और नए पगचिह्न भी यहीं मिले हैं।

20 किमी दूर बारातीखेड़ा में मिले पगचिह्न
इस बीच रहमानखेड़ा से लगभग 20 किलोमीटर दूर बारातीखेड़ा गांव के खेतों में भी हिंसक जानवर के पगचिह्न मिले हैं। ग्रामीणों के अनुसार झाड़ियों से गुर्राहट की आवाजें सुनाई दी गई हैं। खेतों में पगचिह्न मिलने की पुष्टि की गई है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि ये चिह्न बाघ के ही हैं। इस बीच वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने बाघ को शीघ्र पकड़ने और क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है।

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