NHM UP Jobs : यूपी में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के 7400 पदों पर होगी भर्ती, लखनऊ में 71 पद खाली

UPT | NHM

Jan 07, 2025 12:58

लखनऊ में 252 जन आरोग्य मंदिर संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से 71 केंद्रों पर सीएचओ के पद खाली हैं। इन पदों के खाली होने के कारण मरीजों को इलाज में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

Lucknow News : प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए 7,400 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) के पदों पर भर्ती की जाएगी। यह भर्ती राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से कराई जाएगी। भर्ती प्रक्रिया के तहत परीक्षा तीन प्रमुख जिलों लखनऊ, नोएडा और वाराणसी में आयोजित होगी।

लखनऊ में बनाए जाएंगे 30 परीक्षा केंद्र
लखनऊ में सीएचओ परीक्षा के लिए करीब 30 परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। हालांकि, अभी परीक्षा की तिथि की घोषणा नहीं की गई है। परीक्षा केंद्रों पर कितने अभ्यर्थी उपस्थित होंगे, इसकी जानकारी भी फिलहाल स्पष्ट नहीं है।



71 केंद्रों में सीएचओ पद खाली
लखनऊ में 252 जन आरोग्य मंदिर संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से 71 केंद्रों पर सीएचओ के पद खाली हैं। इन पदों के खाली होने के कारण मरीजों को इलाज में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। टेली-कंसल्टेंसी और स्क्रीनिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य सीएचओ की जिम्मेदारी होते हैं, जो वर्तमान में प्रभावित हो रहे हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगा बढ़ावा
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. एनबी सिंह के अनुसार, जन आरोग्य मंदिरों में सीएचओ की नई भर्ती से मरीजों को इलाज में सहूलियत होगी। सीएचओ टेली-कंसल्टेंसी, बीमारियों की स्क्रीनिंग और प्राथमिक उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस भर्ती प्रक्रिया से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।

परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण जारी
लखनऊ, नोएडा और वाराणसी में बनाए गए परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। निरीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा की तिथि घोषित की जाएगी। इसके बाद अभ्यर्थियों को केंद्र आवंटित किए जाएंगे। स्वास्थ्य महकमे के अनुसार, प्रदेश में सीएचओ की नियुक्ति से ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी। खासकर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जन आरोग्य मंदिरों में सीएचओ की कमी को पूरा करने में यह भर्ती महत्वपूर्ण साबित होगी। यह भर्ती प्रक्रिया न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाएगी, बल्कि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम होगी। 
 

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