यूपी में विद्यालय प्रबंध समितियों का पुनर्गठन : शैक्षिक योजनाओं की गुणवत्ता की निगरानी का होगा दायित्व

UPT | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

Nov 16, 2024 17:30

शिक्षा व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने विद्यालय प्रबंध समितियों (एसएमसी) के पुनर्गठन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। यह कदम बच्चों के अधिकार और शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है।

Lucknow News : शिक्षा व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने विद्यालय प्रबंध समितियों (एसएमसी) के पुनर्गठन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। यह कदम बच्चों के अधिकार और शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है। वर्तमान शैक्षिक सत्र 2022-23 के लिए गठित एसएमसी का कार्यकाल 30 नवंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद नई समितियां 1 दिसंबर से कार्यशील हो जाएंगी।

शिक्षा प्रणाली को बनाया जाएगा सशक्त
सरकार का उद्देश्य पुनर्गठित समितियों के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना और अभिभावकों को विद्यालय विकास में शामिल करना है। इससे शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और सशक्त बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, बेसिक शिक्षा विभाग और समग्र शिक्षा के तहत चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा।



आरटीई कानून के तहत अनिवार्य है समिति का गठन
विद्यालय प्रबंध समिति का गठन निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई) और उत्तर प्रदेश निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के तहत अनिवार्य है। यह प्रदेश के सभी विद्यालयों पर लागू होता है, सिवाय गैर अनुदानित विद्यालयों के।

समितियों में सामाजिक समरसता पर फोकस
नई समितियों में कुल 15 सदस्य होंगे, जिनमें से 11 सदस्य अभिभावक होंगे, और इनमें 50% महिलाएं होंगी। शेष 4 सदस्य स्थानीय प्राधिकारी, एएनएम, लेखपाल और प्रधानाध्यापक अथवा प्रभारी होंगे। समिति में एससी, एसटी, ओबीसी और कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि सामाजिक समरसता बनी रहे।

24 माह का कार्यकाल और पारदर्शिता में वृद्धि
हर समिति का कार्यकाल 24 माह का होगा, जिससे शिक्षण प्रक्रिया और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। आपातकालीन परिस्थितियों में (जैसे महामारी) कार्यकाल में संशोधन किया जा सकता है। समितियों के गठन को पारदर्शी बनाने के लिए अभिभावकों की खुली बैठकें आयोजित की जाएंगी और विवाद होने पर गोपनीय मतदान कराया जाएगा।

जिला स्तर पर तय होंगी समिति गठन की तिथियां
नई समितियों के गठन के लिए तिथियां जिला स्तर पर तय की जाएंगी, और मुनादी के माध्यम से अभिभावकों को सूचित किया जाएगा। यदि किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है या वह न्यायालय से दंडित होता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। रिक्त पदों को आम सहमति से भरा जाएगा।

बच्चों का नामांकन-उपस्थिति करना होगा सुनिश्चित 
बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि समितियों का मुख्य कार्य विद्यालय की निगरानी करना, विकास योजना तैयार करना, बच्चों का नामांकन और उपस्थिति सुनिश्चित करना, शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर ध्यान देना और मिड-डे मील योजना की गुणवत्ता की निगरानी करना होगा। इसके अलावा, समितियों को वित्तीय मामलों में भागीदार बनाया जाएगा और निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए उपसमितियां गठित की जाएंगी।

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