स्वच्छ घाट प्रतियोगिता 2.0 : छठ महापर्व पर घाटों की सफाई- सौंदर्यीकरण के लिए 8 नवंबर तक आयोजित होंगी प्रतिस्पर्धा

UPT | स्वच्छ घाट प्रतियोगिता 2.0

Nov 06, 2024 16:32

प्रतियोगिता के अंतर्गत घाटों पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए अर्पण कलश स्थापित किए गए हैं, जिससे लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़े। इसके साथ ही, घाटों को 'नो प्लास्टिक जोन' घोषित किया गया है ताकि प्लास्टिक और थर्माकोल के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जा सके।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार छठ महापर्व के मौके पर प्रदेश भर में स्वच्छ घाट प्रतियोगिता 2.0 का आयोजन कर रही है। इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य घाटों पर स्वच्छता, सौंदर्यीकरण और प्लास्टिक मुक्त वातावरण को सुनिश्चित करना है। यह प्रतियोगिता 8 नवंबर 2024 तक आयोजित की जाएगी, जिसमें विभिन्न निकायों के बीच प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए कई गतिविधियां की जा रही हैं।

स्वच्छता के प्रति जागरूकता का प्रयास
प्रतियोगिता के अंतर्गत घाटों पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए अर्पण कलश स्थापित किए गए हैं, जिससे लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़े। इसके साथ ही, घाटों को 'नो प्लास्टिक जोन' घोषित किया गया है ताकि प्लास्टिक और थर्माकोल के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जा सके। इस दौरान घाटों पर शौचालयों और स्नान घरों की स्थापना की जा रही है। इन सुविधाओं का नियमित रखरखाव भी सुनिश्चित किया जा रहा है। स्वच्छ सारथी क्लब, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, एनजीओ और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से इन सुविधाओं को मजबूत किया जा रहा है।



नवाचार और सौंदर्यीकरण
घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए विभिन्न नवाचार गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। घाटों पर कूड़े के उचित निपटान के लिए डस्टबिन की व्यवस्था की गई है ताकि घाट क्षेत्र हमेशा स्वच्छ बना रहे। इसके साथ ही, घाटों की स्वच्छता में अधिकतम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

सामाजिक संगठनों की सक्रिय भूमिका
इस स्वच्छता अभियान में एनजीओ, सीएसओ और अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं सक्रिय रूप से शामिल हैं। ये संगठन घाटों पर सफाई अभियान चला रहे हैं और स्थानीय लोगों को स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक कर रहे हैं। इस पहल के माध्यम से सरकार न केवल घाटों की स्वच्छता को बढ़ावा दे रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारी भी बढ़ा रही है।

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