यूपी उपचुनाव : पहले ही तैयार हो चुकी थी मतों के ध्रुवीकरण की पटकथा, बसपा लड़ाई से दिखी बाहर, भाजपा-सपा के बीच सीधी टक्कर

UPT | UP By Election

Nov 21, 2024 07:29

उपचुनाव  इसलिए भी खास रहा, क्योंकि इस बार पहली बार सत्तापक्ष की ओर से मतदान के दिन सपा पर ताबड़तोड़ हमले किए गए। खुद अखिलेश यादव ने भी मोर्चा संभाला और भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उपचुनाव को जाति, धर्म से जोड़ने का भरसक प्रयास किया गया। बुर्के के नाम पर मतदान के दिन जमकर राजनीति की गई, जिससे मतों का ध्रुवीकरण किया जा सके। वैसे इसकी शुरुआत सीएम योगी के 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे के साथ ही हो गई थी।

Lucknow News : प्रदेश में उपचुनाव के लिए कई महीनों से जनसंपर्क और जनसभाओं में कड़ी मेहनत करने के बाद प्रत्याशी अब 23 तारीख को परिणाम आने का इंतजार कर रहे हैं। बुधवार को मतदान संपन्न होने के बाद से ही सियासी दल और उनके प्रत्याशी हार-जीत की संभावना को लेकर अपने समर्थकों के साथ चर्चा में मशगूल रहे। इस बात की जानकारी जुटाई गई कि उनके लोगों ने मतदान किया या नहीं और विरोधी प्रत्याशी की रणनीति धरातल पर असर दिखाने में सफल हुई या नहीं। फिलहाल सत्तापक्ष से लेकर विरोधी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।   

उपचुनाव में पहली बार मैदान में उतरी बसपा नहीं बना सकी माहौल
इससे इतर सियासी माहौल की बात करें तो मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा उम्मीदवारों के बीच ही देखने को मिला। पहली बार उपचुनाव लड़ने वाली बसपा माहौल बनाने में काफी पिछ़ड़ती नजर आई। उसके उम्मीदवारों को लेकर जोश नजर नहीं आया। हालांकि पार्टी नेता मतदाताओं के बीच उनके पक्ष में अंडर करंट होने का दावा कर रहे हैं। उपचुनाव  इसलिए भी खास रहा, क्योंकि इस बार पहली बार सत्तापक्ष की ओर से मतदान के दिन सपा पर ताबड़तोड़ हमले किए गए। खुद अखिलेश यादव ने भी मोर्चा संभाला और भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उपचुनाव को जाति, धर्म से जोड़ने का भरसक प्रयास किया गया। बुर्के के नाम पर मतदान के दिन जमकर राजनीति की गई, जिससे मतों का ध्रुवीकरण किया जा सके। वैसे इसकी शुरुआत सीएम योगी के 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे के साथ ही हो गई थी, जिसके बाद सपा की ओर से एक के बाद एक कई पोस्टर जारी कर अपने इरादे साफ कर दिए गए थे। इस बार सपा के निशाने पर यूपी पुलिस भी रही और निर्वाचन आयोग को शिकायत पर कार्रवाई भी करनी पड़ी।



दलित मतों का बंटवारा तय करेगा जीत-हार के समीकरण
सियासी विश्लेषकों के मुताबिक जो माहौल नजर आया, उससे बसपा मुख्य लड़ाई से बाहर दिख रही है। उसे पहली बार उपचुनाव लड़ने का कोई फायदा मिलता नजर नहीं आया। अधिकतर सीटों पर भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली। अहम बात है कि कई जगह दलित मतों में बंटवारा हुआ, जिसने परिणामों की संभावित तस्वीर साफ नजर नहीं आ रही है। कुंदरकी जैसे क्षेत्रों में भाजपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने  की जानकारी मिल रही है, इससे विपक्ष भी हैरान हे। वहीं अन्य सीटों पर भी कांटे की टक्कर देखने को मिली।

सीसामऊ : भाजपा-सपा की कड़ी प्रतिस्पर्धा
कानपुर की सीसामऊ सीट पर इस बार भी सपा और भाजपा के बीच जोरदार मुकाबला है। 2022 में सपा ने यह सीट 5,826 वोटों के अंतर से जीती थी, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में 8 प्रतिशत की गिरावट ने सियासी गणित उलझा दी है। यहां बसपा पूरी तरह से गायब दिखी, और निर्दलीय प्रत्याशियों का असर भी बेहद सीमित रहा। सीसामऊ में 49.1 प्रतिशत मतदान हुआ है।

कटेहरी : दलित वोटरों का निर्णायक योगदान
कटेहरी उपचुनाव में पहले त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद थी, लेकिन मतदान के बाद नजर आ रहा है कि भाजपा और सपा के बीच सीधा संघर्ष है। बसपा के प्रत्याशी का प्रदर्शन सपा और भाजपा के समीकरण को बिगाड़ सकता है। दलित वोटर यहां जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। कटेहरी में इस बार 56.9 प्रतिशत मतदान संपन्न हुआ है।

फूलपुर : इलाकों के हिसाब से बदला समीकरण
प्रयागराज की फूलपुर सीट पर भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला। कुछ क्षेत्रों में सपा मजबूत दिखी, तो कुछ में भाजपा का प्रभाव रहा। यहां दलित और पिछड़ा वर्ग के वोट परिणाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। फूलपुर में इस बार 43.4 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 

मीरापुर : मुस्लिम और दलित वोटों का बिखराव
मीरापुर सीट पर मुस्लिम और दलित वोटरों में बिखराव दिखा। सपा और रालोद के बीच मुख्य मुकाबला नजर आया, जबकि बसपा और अन्य दल तीसरे स्थान की लड़ाई लड़ते दिखे। मुस्लिम बहुल गांवों में सपा और रालोद के बीच विभाजन ने स्थिति को और जटिल बना दिया। मीरापुर में 57.01 प्रतिशत मतदान संपन्न हुआ।

मझवां : कांटे की टक्कर में भाजपा-सपा
मझवां सीट पर भाजपा और सपा के बीच बेहद नजदीकी मुकाबला नजर आया। यहां बसपा के वोट भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। भाजपा ने हर वर्ग का समर्थन मिलने का दावा किया है, जबकि सपा भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। मझवां में 50.04 प्रतिशत मतदान हुआ है।

कुंदरकी : मुस्लिम वोटों में बंटवारा, भाजपा ने की सेंधमारी
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर मुस्लिम मतदाता 65 प्रतिशत हैं, लेकिन यहां भाजपा ने सपा के वोट बैंक में सेंध लगाई है। भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने मुस्लिम इलाकों में भी समर्थन हासिल किया। इसके साथ ही अन्य मुस्लिम प्रत्याशियों के होने से सपा के वोटों में बिखराव हुआ। कुंदरकी में 57.7 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 

करहल : भाजपा-सपा के बीच दिलचस्प मुकाबला
करहल सीट पर भाजपा के अनुजेश सिंह और सपा के तेजप्रताप यादव के बीच सीधा मुकाबला है। बसपा ने अपने परंपरागत वोट बैंक पर भरोसा किया है, लेकिन मुख्य संघर्ष भाजपा और सपा के बीच ही है। करहल में 54.1 प्रतिशत मतदान हुआ है।

खैर : भाजपा की बढ़त के आसार
अलीगढ़ की खैर सीट पर भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई है। भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर ने मजबूत पकड़ बनाई है। यहां बसपा का असर नगण्य नजर आया और सपा के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। खैर में 46.3 प्रतिशात मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
 

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