Meerut News : धान में टुंग्रो वायरस की पहचान के लिए किसान करें ये छोटा सा उपाय, नुकसान से बचेगी फसल

UPT | खरीफ की फसल धान में पतियों पर जंग

Aug 24, 2024 20:34

हरे फुदके की रोकथाम से टंग्रो वायरस का प्रसार रुकता है। हरे फुदके का नियंत्रण करने के लिए थियामेथोक्साम 25% (Thiamethoxam 25% WDG) 80 ग्राम प्रति एकड़

Short Highlights
  • खरीफ की फसल धान पर इन दिनों पत्तियों पर जंग के धब्बे
  • सही समय पर उपचार नहीं मिलने पर पैदावार पर पड़ता है असर
  • धान में ये लक्षण जिंक की कमी के कारण होता है।  
Meerut News : इन दिनों खरीफ की फसल धान में पतियों पर जंग लगने की तरह धब्बे की शिकायतें कृषि विभाग के पास पहुंच रही है। इसके पीछे दो वजह हैं पहली पौधों को जिंक की कमी का महसूस होना और दूसरी टंग्रो वायरस की वजह से धान की पत्तियों पर धब्बे आना। ऐसे में किसानों को इन धब्बों की पहचान जरूरी है। वरना किसानों की धान की फसल को समय पर सही उपचार नहीं मिल पाने से पूरी फसल को नुकसान होता है। 

टंग्रो वायरस का प्रकोप रहता है
कृषि पादप सुरक्षा रोग एक्सपर्ट डॉक्टर मुनीष कुमार शर्मा बताते हैं कि धान के पौधों में आजकल के मौसम में टंग्रो वायरस का प्रकोप रहता है। जिसके कारण धान के पौधों की पत्तियों पर जंग (पीली और नारंगी) लगने की तरह धब्बे दिखते हैं। यह वायरस हरे फुदके से फैलता है।

धान के पौधों पर यह लक्षण जिंक की कमी के बाद दिखाई देते हैं। कई बार किसान जिंक की कमी महसूस करते हुए पौधों को जिंक देते हैं। लेकिन धब्बों की असल वजह टंग्रो वायरस होती है। ऐसे में किसानों को इन धब्बों की पहचान करनी जरूरी है। उसके बाद ही फसल को उपचार देना चाहिए। किसान अपने ही घर पर छोटा सा उपाय कर पहचान कर सकते हैं।

संक्रमित पौधे की पत्ती के ऊपरी 10 सेंटीमीटर हिस्से को काट लें
उन्होंने बताया कि संक्रमित पौधे की पत्ती के ऊपरी 10 सेंटीमीटर हिस्से को काट लें। इसके बाद उसमें 10 ml टिंचर आयोडीन को 140 ml पानी में घोलकर पत्ती को उल्टा कर एक घंटे तक पानी में डूबा रहने दें। उसके बाद निकाल कर साफ पानी से धोएं। अगर पत्ती में नीले रंग की धारियां दिखने लगे तो ये इसकी पुष्टि है कि पत्तियों पर दिख रहे जंग के धब्बे टंग्रो वायरस की वजह से हैं। ऐसे में उसका समय पर उचित प्रबंध करें।

वायरस की रोकथान के लिए करें ये उपचार 
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि हरे फुदके की रोकथाम से टंग्रो वायरस का प्रसार रुकता है। हरे फुदके का नियंत्रण करने के लिए थियामेथोक्साम 25% (Thiamethoxam 25% WDG) 80 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। या फिर इमिडाक्लोप्रिड 100 (Imidacloprid) ml प्रति एकड़ के हिसाब से दवा छिड़के। 

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