CAG की रिपोर्ट में हुआ खुलासा : YEIDA पर उठाए सवाल, बसपा काल में बिना अनुमति के भूखंड आवंटन

UPT | Yamuna Expressway Industrial Development Authority

Dec 21, 2024 13:44

उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) पर आरोप है कि उसने प्रदेश सरकार की अनुमति के बिना भू उपयोग में बदलाव कर भूखंडों का आवंटन किया...

Noida News : यूपी के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) पर आरोप है कि उसने प्रदेश सरकार की अनुमति के बिना भू उपयोग में बदलाव कर भूखंडों का आवंटन किया। यह भू उपयोग परिवर्तन वर्ष 2009 और 2010 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के शासन के दौरान किए गए थे। YEIDA ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (NCRPB) से अनुमोदन लिए बिना महायोजना 2031 के पहले चरण का कार्य भी शुरू कर दिया। इसके चलते, प्राधिकरण ने सरकारी और निजी भूमि को उच्च मूल्य पर अधिग्रहित किया, जिसके लिए उसे 128 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च उठाना पड़ा। इसके अलावा, भूमि अधिग्रहण में अत्यधिक देरी के कारण YEIDA को 188.64 करोड़ रुपये का नुकसान भी हुआ।

कैग ने की कार्रवाई की मांग
दरअसल, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा की गई जांच में YEIDA के कामकाज पर गहरी नजर डाली गई। CAG ने 2005-06 से लेकर 2020-21 तक के कार्यों की समीक्षा की और रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की। CAG ने यह सिफारिश की कि भू उपयोग में बदलाव कर भूखंड आवंटित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि महायोजना 2031 के अनुमोदन के नौ साल बाद भी 52 में से 29 सेक्टरों के लेआउट तैयार नहीं किए जा सके हैं, जिससे विकास कार्यों में देरी हो रही है।



महायोजना 2031 के लिए चार शहरों का चुनाव
CAG रिपोर्ट के अनुसार, YEIDA ने महायोजना 2031 के दूसरे चरण के लिए चार शहरी केंद्रों की पहचान की थी, जिनमें से केवल अलीगढ़ और मथुरा की योजनाओं को ही अंतिम रूप दिया गया है। जबकि हाथरस और आगरा की योजनाएं अभी तक अधूरी हैं। CAG ने यह भी कहा कि महायोजना के अभाव में अनियोजित और अव्यवस्थित विकास होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इसके साथ ही, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भी विलंब हुआ, जिससे व्यय में वृद्धि हुई। YEIDA द्वारा सालाना योजना की कमी के कारण आवंटित धन का पूरा उपयोग नहीं हो सका।

सरकारी भूमि अधिग्रहण में प्रावधानों का उल्लंघन
वहीं कंट्रोलर और महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि YEIDA ने सरकारी भूमि के अधिग्रहण में प्रावधानों का उल्लंघन किया और भूमि स्वामियों को सुनवाई के अधिकार से वंचित कर दिया। इसके साथ ही, CAG ने यह भी स्पष्ट किया कि YEIDA ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के प्रावधानों का पालन नहीं किया। इस प्रक्रिया में देरी के कारण 36 प्रस्ताव फंसे हुए हैं। YEIDA ने पहले से अधिग्रहित सरकारी भूमि को फिर से ऊंची दरों पर अधिग्रहित किया, जिससे 128.02 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया।

योजना के दूसरे चरण का कार्य अधूरा
गौरतलब है कि YEIDA के कार्यों में अनुशासनहीनता और मंजूरी के बिना भू उपयोग परिवर्तन के कारण भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। CAG की रिपोर्ट ने इन दोषों को स्पष्ट किया है और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महायोजना 2031 में कई सेक्टरों के लेआउट तैयार नहीं किए गए हैं और योजना के दूसरे चरण का कार्य भी अधूरा है, जिससे प्रदेश में अनियोजित विकास हो सकता है।

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