दूधेश्वर नाथ महादेव का 570 प्रकटोत्सव : भगवान का भव्य श्रृंगार कर 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया

UPT | दूधेश्वर नाथ मंदिर में भगवान दूधेश्वर का प्रकटोत्सव कार्यक्रम में भजन गायक भीष्म कपूर को सुनते महंत नारायण गिरी महाराज।

Nov 15, 2024 14:04

जब टीले की खुदाई की गई तो  दिव्य शिवलिंग निकलने पर यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया, जो आज सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध

Short Highlights
  • महाराजश्री व मंदिर समिति के उपाध्यक्ष अनुज गर्ग ने अभिषेक किया
  • भजन गायक भीष्म कपूर ने भजनों से भगवान दूधेश्वर की महिमा का बखान किया 
  • भगवान दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मंदिर में सुबह से भक्तों का तांता लगा 
Dudheshwar Nath Mahadev Math temple  : भगवान दूधेश्वर का प्रकटोत्सव बैकुंठ चतुर्दशी पर सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मठ मंदिर में धूमधाम से मनाया गया। भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। कई शहरों से भक्त भगवान का अभिषेक करने व मंदिर के पीठाधीश्वरए श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज से आशीर्वाद लेने के लिए आए।

प्रातः 3 बजे भगवान दूधेश्वर की धूप आरती
मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि शुक्रवार को प्रातः 3 बजे महाराजश्री के पावन सानिध्य में भगवान दूधेश्वर की धूप आरती व दीप आरती कर श्रृंगार किया गया। दीप आरती व दीप आरती रमेश गिरि व मंगल गिरि ने की। भगवान का श्रृंगार रोहित त्रिपाठी व मोहित ने किया।

भगवान दूधेश्वर का भव्य श्रृंगार
सांय को भगवान दूधेश्वर का भव्य श्रृंगार दूधेश्वर  श्रृंगार समिति के अध्यक्ष विजय मित्तल ने किया।  भगवान को 108 प्रकार के भोग अर्पित किए गए। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज व दूधेश्वर मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग के पुत्र व समिति के उपाध्यक्ष अनुज गर्ग ने भगवान की पूजा-अर्चना व अभिषेक किया।

भजनों से भगवान दूधेश्वर की महिमा का गुणगान
सांय 7.30 बजे से मंदिर परिसर में भजन संध्या का आयोजन हुआ। जिसमें भजन गायक भीष्म कपूर व उनकी मंडली ने भजनों से भगवान दूधेश्वर की महिमा का गुणगान कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। महाराजश्री ने बताया कि दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर अपने आप में ऐतिहासिक महत्व रखता है।

स्वयंभू यानि स्वयं प्रकट हुए भगवान दूधेश्वर नाथ
स्वयंभू यानि स्वयं प्रकट हुए भगवान दूधेश्वर नाथ के शिवलिंग का कलयुग में प्राकट्य सोमवार कार्तिक शुक्ल की वैकुन्ठी चतुर्दशी संवत् 1511 वि० तदनुसार 3 नवंबर 1454 ई० को हुआ था। मंदिर की रावण केपिता ऋषि विश्वेश्रवा ने की थी। रावण भगवान दूधेश्वर की पूजा.अर्चना से ही सोने की लंका प्राप्त हुई थी।

दूधेश्वर की कृपा और मठ के सिद्ध संत-महंतों के निर्मल आशीर्वाद
इतिहास गवाह है कि भगवान् दूधेश्वर की कृपा और मठ के सिद्ध संत-महंतों के निर्मल आशीर्वाद से लाखों लोग कष्टों से मुक्ति पा चुके हैं और अपने जीवन को धन्य बना चुके हैं। यह सिलसिला त्रेता युग से आज तक निरंतर जारी है। पहले यहां पर टीला था, जहां पर निकटवर्ती गांव की गाय चरने के लिए आती थीं। टीेले पर  पहुंचते ही गायों के थनों से स्वतः ही दूध निकलने लगता था।

टीले की खुदाई की गई तो  दिव्य शिवलिंग निकलने
इसकी जानकारी मिलने पर जब टीले की खुदाई की गई तो  दिव्य शिवलिंग निकलने पर यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया, जो आज सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। मंदिर में छत्रपति शिवाजी ने भी पूजा-अर्चना की और उन्होंने 400 वर्ष पूर्व मंदिर का जीर्णोद्वार भी कराया। उसके बाद प्रसिद्ध समाज सेवी व परम धार्मिक शिव चरण अनुरागी धर्मपाल गर्ग ने अपने माता-पिता की याद में बने  श्री आत्माराम नर्वदा देवी चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग श्री दूधेश्वर नाथ महादेव मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार कराया है।

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