अबॉर्शन कराने के लिए पूर्व बॉस पर झूठे रेप का आरोप : 5 करोड़ की मांग, जेल भेजा और फिर सच्चाई ने लिया नया मोड़ 

UPT | सांकेतिक फोटो

Nov 15, 2024 14:38

गाजियाबाद में एक युवती ने 22 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान अबॉर्शन की अनुमति पाने के लिए अपने पूर्व बॉस पर रेप का झूठा आरोप लगाकर 5 करोड़ रुपये की मांग की। मांग पूरी न होने पर कारोबारी को जेल भिजवा दिया गया। और सच्चाई कुछ और ही निकली।

Ghaziabad News : गाजियाबाद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवती ने 22 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान अबॉर्शन की अनुमति पाने के लिए अपने पूर्व बॉस पर रेप का झूठा आरोप लगाकर 5 करोड़ रुपये की मांग की। मांग पूरी न होने पर कारोबारी को जेल भिजवा दिया गया। बाद में जांच में इस साजिश का पर्दाफाश हुआ। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर जांच हुई और सच्चाई सामने आने पर युवती को जेल भेजा गया। साथ ही लापरवाह पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है।


22 सप्ताह की गर्भवती थी युवती
दिल्ली निवासी इस युवती ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ बने शारीरिक संबंधों से गर्भवती होने के बाद अबॉर्शन का रास्ता खोजा। भारतीय कानून के अनुसार, 20 सप्ताह से अधिक गर्भावस्था का अबॉर्शन केवल विशेष परिस्थितियों में, जैसे रेप की स्थिति में हो सकता है। इसी कानून का फायदा उठाने के लिए युवती ने अपने एक्स बॉस पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई।

बुराड़ी थाने में दर्ज कराई थी शिकायत
युवती ने दिल्ली के बुराड़ी थाने में 4 फरवरी, 2023 को कारोबारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि 10 मई, 2022 को वैशाली स्थित फ्लैट में नशीली कोल्ड ड्रिंक पिलाकर उसके साथ गलत काम किया गया। बाद में, 16 जून, 2022 को हथियार दिखाकर दुष्कर्म किया गया। चूंकि घटनास्थल गाजियाबाद में था, बुराड़ी थाने ने यह मामला गाजियाबाद के कौशांबी थाने को ट्रांसफर कर दिया। कौशांबी थाना पुलिस ने कारोबारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

5 करोड़ रुपये की मांग, रुपये नहीं मिलने पर जाना पड़ा जेल 
युवती ने कारोबारी से मुकदमा वापस लेने के एवज में 5 करोड़ रुपये की मांग की। कारोबारी ने रकम देने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया। जेल में 94 दिन बिताने के बाद कारोबारी ने जमानत पाई। कारोबारी का यह भी आरोप है कि पुलिस ने केस कमजोर करने के नाम पर उसकी पत्नी से 32 लाख रुपये वसूल किए।

पुलिस कमिश्नर की जांच से खुली साजिश
जेल से बाहर आने के बाद कारोबारी ने पुलिस कमिश्नर अजय मिश्र से मुलाकात की और मामले की सच्चाई बताई। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया। एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ कि कारोबारी पर लगाए गए आरोप झूठे थे। यह भी पता चला कि पुलिस ने मामले की जांच में लापरवाही बरती थी।

लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की तैयारी
एसआईटी जांच में कौशांबी थाने के तत्कालीन प्रभारी प्रभात दीक्षित, एसआई अंकित तरार, गिरीराज सिंह, अनिल यादव और रीगल देशवाल की लापरवाही उजागर हुई। डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने बताया कि सभी पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी कर दिया गया है और साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।

पीड़ित कारोबारी ने आरटीआई से मांगी जानकारी
पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई में देरी होने पर कारोबारी ने आरटीआई दाखिल कर जानकारी मांगी। 3 नवंबर को पुलिस ने जवाब दिया, जिसमें लापरवाही का स्वीकार किया गया। यदि जल्द कार्रवाई नहीं होती, तो कारोबारी न्यायालय का रुख करेंगे।

 94 दिन की जेल काटने वाला कारोबारी अब न्याय की लड़ाई में जुटा  
यह मामला न केवल झूठे आरोपों के गंभीर परिणामों को दिखाता है, बल्कि पुलिस तंत्र में सुधार की जरूरत की ओर भी इशारा करता है। झूठे आरोपों में 94 दिन की जेल काटने वाले कारोबारी अब न्याय की लड़ाई में जुटे हैं। युवती और उसके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है, लेकिन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का इंतजार है। यह घटना समाज और कानून व्यवस्था दोनों के लिए चेतावनी है कि ऐसी धोखाधड़ी के मामलों में सख्त कदम उठाने की जरूरत है। 

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