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Christmas 2023 : दो सदियों की तारीखें बयां करता मेरठ का सेंट जॉन चर्च

Uttar Pradesh News | Saint John Church Meerut

Dec 24, 2023 11:28

मेरठ के कैंट में स्थित सेंट जॉन चर्च को देखने के लिए विदेश से लोग आते हैं। ईसाई समुदाय के बीच विश्व भर में ये चर्च काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

Meerut : मेरठ सेंट जॉन चर्च मेरठ ही नहीं बल्कि उत्तरी भारत के सबसे बड़े चर्च में शुमार है। चर्च के अंदर की भव्यता और दो सौ साल पुरानी लकड़ी की बेंच और पीतल का ईगल लेक्टर्न के अलावा दीवारों पर लिखी इबारतें पूरा ईसाई धर्म का पूरा इतिहास बयान करती हैं। कहा जाता है कि मेरठ सेंट जॉन चर्च दिल्ली के सेंट जेम्स चर्च से भी पुराना है। मेरठ के इस चर्च को सेंट जॉन जॉन बैपटिस्ट चर्च के नाम से भी जाना जाता है। मेरठ के कैंट में स्थित सेंट जॉन चर्च को देखने के लिए विदेश से लोग आते हैं। ईसाई समुदाय के बीच विश्व भर में ये चर्च काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

तीन साल में बनकर तैयार हुआ चर्च लागत आई 56 हजार
मेरठ सेंट जॉन चर्च का निर्माण 1819 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने शुरू कराया था। उस दौरान इसके निर्माण में 56 हजार रुपए लागत आई थी और ये तीन साल में बनकर तैयार हुआ था। 1821 में चर्च पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था। चर्च की आधार शिला 'रेव हेनरी फिशर' ने रखी थी। रेव हेनरी फिशर, ब्रिटिश सेना चैपलैन और इंग्लैंड के एक चर्च में पादरी थे। रेव हेनरी फिशर ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ कलकत्ता आए थे। उसके बाद उनकी तैनाती मेरठ में की गई थी। जहां पर उन्होंने इस विश्व प्रसिद्ध चर्च की स्थापना की।

इंग्लैंड के चर्चों की दिलाता है याद
मेरठ का सेंट जॉस चर्च इंग्लैंड के चर्चो की चाद दिलाता है। चर्च का डिजाइन और इसके भीतर की भव्यता इंग्लैंड के पुराने चर्चों जैसी ही है। दूर से देखने में चर्च बहुत ही खूबसूरत दिखता है। यह चर्च एंग्लिकन पैरिस चर्च का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है। सेंट जॉस चर्च का आर्किटेक्चर भी पैरिस चर्च के जैसा ही है। चर्च के अंदर और बाहर गोथिक रिवाइवल शैली  देखी जा सकती है। इस विशाल चर्च में करीब 500 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। सेंट जॉस चर्च परिसर में सुंदर लॉन, हरियाली और वातावरण काफी शांत है।

चर्च परिसर में प्राचीन सिमेट्री
चर्च परिसर में ऐतिहासिक प्राचीन सिमेट्री है। मेरठ में 10 मई 1857 को हुए भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मारे गए अंग्रेज सैनिक अधिकारियों और सिपाहियों को यहीं पर दफनाया था। सेंट जोंस सिमेट्री कई एकड़ में फैली है। जहां बहुत सी कब्रें हैं। ये सभी कब्रे 1857 के समय की बनीं हुई हैं। इनमें उत्कीर्ण हेडस्टोन, नक्काशीदार खंभे हैं। उचित रखरखाव ना होने मौसम की मार से अब ये कब्रें खंडहर में बदल गई हैं।

 

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