Mirzapur
ऑथर Jyoti Karki

जिले की पहचान : मिर्जापुर में घूमने-फिरने आएं तो यहां जरूर जाएं, महसूस करेंगे सुकून

wikipedia | Mirzapur District

Nov 20, 2023 16:11

विन्‍ध्‍याचल का यह जिला पर्यटन के हिसाब से काफी महत्‍वपूर्ण है। जहां मौजूद दर्शनीय स्‍थल आपके मन को मोह लेंगे। साथ ही यहां की धरा आपको सुकून देगी।

Short Highlights
  • विन्‍ध्‍याचल का यह जिला पर्यटन के हिसाब से काफी महत्‍वपूर्ण है
  • दर्शनीय स्‍थल आपके मन को मोह लेंगे। साथ ही यहां की धरा आपको सुकून देगी
  • मिर्जापुर में घूमने-फिरने आएं तो यहां जरूर जाएं, महसूस करेंगे सुकून

 

Mirzapur : विन्‍ध्‍याचल का यह जिला पर्यटन के हिसाब से काफी महत्‍वपूर्ण है। जहां मौजूद दर्शनीय स्‍थल आपके मन को मोह लेंगे। साथ ही यहां की धरा आपको सुकून देगी। घूमने-फिरने के लिए यहां कई जगह हैं, जहां आप परिवार को लेकर जा सकते हैं और मौज-मस्‍ती कर सकते हैं। साथ ही इच्‍छापूर्ति और मनोकामना के लिए भी यहां यात्रा कर सकते हैं।  
 
तारकेश्‍वर महादेव मंदिर
विन्ध्याचल के पूर्व में स्थित तारकेश्‍वर महादेव का जिक्र पुराण में भी किया गया है। जहां तारकेश्‍वर मंदिर के समीप एक कुण्ड स्थित है। माना जाता है कि तारक नामक असुर ने मंदिर के समीप यह कुण्ड खोदा था। भगवान शिव ने ही तारक का वध किया था। इसलिए उन्हें तारकेश्‍वर महादेव भी कहा जाता है। कुण्ड के समीप काफी सारे शिवलिंग स्थित हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तारकेश्‍वर के पश्चिम दिशा की ओर एक कुण्ड और भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया था। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी कहा जाता है कि तारकेश्‍वर में देवी लक्ष्मी निवास करती हैं। देवी लक्ष्मी यहां अन्य रूप में, देवी सरस्वती और वैष्णवी के रूप में रहती हैं।

महा त्रिकोण मंदिर यात्रा
कहा जाता है कि मिर्जापुर में मौजूद महा त्रिकोण मं‍दिर की परिक्रमा करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं। मंदिर स्थित विन्ध्यावासिनी देवी के दर्शन करने के पश्चात् भक्त संकट मोचन मंदिर जाते हैं। इस मंदिर को कालीखोह के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर विन्ध्याचल रेलवे स्टेशन के दक्षिण दिशा की ओर स्थित है। देवी काली और संकट मोचन के दर्शन करने के बाद भक्त अपनी परिक्रमा संत करनागिरी बावली के दर्शन करके पूरी करते हैं। कालीखोह के आस-पास अन्य कई मंदिर और भी हैं, जिनमें आनन्द भैरव, सिद्धनाथ भैरव, कपाल भैरव और भैरव मंदिर आदि शामिल हैं। विन्ध्याचल मंदिर की परिक्रमा पूरी करने के पश्चात् मन को बेहद सुकून मिलता है। यह पूरी यात्रा महा त्रिकोण के नाम से प्रसिद्ध है।

त्रिकोण यात्रा का महत्‍व
विन्ध्याचल में त्रिकोण यात्रा का काफी महत्त्व है। त्रिकोण का सही क्रम है- सर्वप्रथम गंगास्नान करने के पश्चात् तट पर स्थित विन्ध्यवासिनी देवी के दर्शन। तत्पश्चात् कालीगोह स्थित मां काली के दर्शन। वहां से अष्टभुजी की यात्रा और फिर वापस लौटकर विन्ध्यवासिनी आकर पुनः दर्शन। इस प्रकार लगभग चौहद किलोमीटर की यह यात्रा होती है। ये तीनों स्थल स्पष्ट रूप से त्रिभुज के तीनों कोणों पर अवस्थित हैं। इस यात्रा का अतिशय महत्‍व है। तन्त्र शास्त्रों में इसे बाह्यत्रिकोण की यात्रा के रूप में मान्यता है। इसी पर आधारित अन्तः त्रिकोण की यात्रा भी होती है।

रामेश्‍वर-शिवपुर 
मिर्जापुर में पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम चन्द्र ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध विन्ध्याचल क्षेत्र में ही किया था। माना जाता है कि भगवान श्री राम, भगवान शिव के उपासक थे। इस जगह पर भगवान राम ने पश्चिम दिशा की ओर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की थी। इसी कारण यह जगह रामेश्‍वर नाम से प्रसिद्ध हुई और इस जगह को शिवपुर के नाम से जाना जाता है।

मिर्जापुर के प्रसिद्ध कुंड
अष्टभुजा मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर सीता जी ने एक कुंड खुदवाया था। उस समय से इस जगह को सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। कुंड के समीप ही सीता जी ने भगवान शिव की स्थापना की थी। जिस कारण यह स्थान सीतेश्‍वर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सीता कुंड के पश्चिम दिशा की तरफ भगवान श्री राम चंद्र ने एक कुंड खोदा था। जिसे राम कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त शिवपुर स्थित लक्ष्मण जी ने रामेश्‍वर लिंग के समीप शिवलिंग की स्थापना की थी, जो कि लक्ष्मणेश्‍वर के नाम से प्रसिद्ध है।

चुनार का किला
मिर्जापुर जिले में चुनार स्थित चुनार का किला कैमूर पर्वत की उत्तरी दिशा में स्थित है। इस प्रसिद्ध किले का निर्माण शेरशाह सूरी द्वारा करवाया गया था। इस किले के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें मौजूद हैं। यहां से सूर्यास्त का नजारा देखना बहुत मनोहारी प्रतीत होता है। कहा जाता है कि एक बार इस किले पर अकबर ने कब्‍जा कर लिया था। उस समय यह किला अवध के नवाबों के अधीन था। किले में सोनवा मण्डप, सूर्य धूपघड़ी और विशाल कुंआ मौजूद है।

गुरूद्वारा बाग
श्री गुरू तेग बहादुर जी का यह गुरूद्वारा मिर्जापुर जिले स्थित वाराणसी के दक्षिण से 40 किलोमीटर की दूरी पर अहरौड़ गांव में स्थित है। यह गुरूद्वारा नौवें सिख गुरू, तेग बहादुर को समर्पित है। यह गुरूद्वारा बाग साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि 1666 में वाराणसी की यात्रा के दौरान गुरू जी इस जगह पर आए थे। इस गुरूद्वारे में एक वर्गाकार हॉल और कई छोटे-छोटे कमरें हैं। गुरूद्वारे की इमारत बेहद खूबसूरत है। गुरूद्वारे के ठीक पीछे एक छोटा सा बगीचा स्थित है। 1742 में प्रकाशित पवित्र गुरू ग्रंथ साहिब की हस्तलिपि आज भी यहां संरक्षित है। इसके अतिरिक्त, गुरूद्वारा बाग साहिब में हाथ से लिखी हुई पोथी मौजूद है। जिसपर गुरू गोविन्द सिंह के हस्ताक्षर हुए हैं। यह पोथी लोगों के सामने केवल गुरू तेग बहादुर और गुरू गोविन्द सिंह की जयन्ती पर ही प्रदर्शित की जाती है।

पुण्यजल नदी
मिर्जापुर और विन्ध्याचल के मध्य बहने वाली इस नदी को पुण्यजल अथवा ओझल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जिस प्रकार सभी यज्ञों में अश्वमेघ यज्ञ और सभी पर्वतों में हिमालय पर्वत प्रसिद्ध है, उसी प्रकार सभी तीर्थो में ओझल सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस नदी का जल गंगा नदी के जल के समान ही पवित्र माना जाता है। यह जगह देवी काली का मंदिर, महालक्ष्मी, महासरस्वती और तारकेश्‍वर महादेव के मंदिर से घिरी हुई है।

टंडा जलप्रपात
टंडा जलप्रपाल शहर से लगभग सात मील की दूरी पर स्थित है। टंडा जलप्रपात से कुछ दूरी पर खजूरी बांध और विन्ध्याम झरना भी स्थित है। विन्ध्याम झरना वन विभाग के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। झरने के पास ही पार्क और वन विहार का निर्माण भी किया गया है। प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए काफी संख्या में पर्यटक इस जगह पर आते हैं।

कांतित शरीफ
मिर्जापुर में ख्वाजा इस्माइल चिस्ती का मकबरा, कांतित शरीफ में स्थित है। प्रत्येक वर्ष हिन्दू व मुस्लिम दोनों मिलकर उर्स का पर्व मनाते हैं। मकबरे के समीप ही मुगल काल की एक मस्जिद स्थित है। यह मस्जिद काफी लंबी है। जिस कारण इसे लॉगी पहलवान मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

गुरूद्वारा गुरू दा बाघ
मिर्जापुर स्थित गुरूद्वारा, गुरू दा बाघ काफी प्रमुख गुरूद्वारों में से एक है। इस गुरूद्वारे का निर्माण दसवें सिख गुरू,  गुरू गोविन्द सिंह की याद में करवाया गया था। गुरूद्वारा गुरू दा बाघ शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रामेश्‍वर महादेव मंदिर
रामेश्‍वर महादेव मंदिर मिर्जापुर जिले के विन्ध्याचल में स्थित है। यह जगह राम गया घाट पर, मिर्जापुर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना की थी।

सैलानियों का सैलाब
मिर्जापुर जिले में कुशियारा, सिरसी बांध, विंढम फाल, सिद्धनाथ की दरी, खड़ंजा फाल जैसे प्रमुख जलप्रपात है। इन जगहों पर पूरे वर्ष सैलानी आते हैं। यह जगह घूमने फिरने के लिए काफी सुकूनदायी हैं। जहां आपको आनंद आएगा।

यहां की यात्रा
इस जिले में आने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा बाबतपुर (वाराणसी विमानक्षेत्र) है। मिर्जापुर से वाराणसी 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, आगरा,  मुम्बई,  चेन्नई,  बंगलौर,  लखनऊ और काठमांडू आदि से वायुमार्ग द्वारा मिर्जापुर पहुंचा जा सकता है। अगर आपको मिर्जापुर रेलमार्ग द्वारा आना है तो यह शहर भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां आने वाली कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनों में जैसे कालका मेल, पुरूषोतम एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, गंगा-ताप्‍ती, त्रिवेणी, महानगरी एक्सप्रेस,  हावड़-मुम्बई,  संघमित्रा एक्सप्रेस आदि शामिल हैं। जिनके द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।

यहां पहुंचने का सड़क मार्ग
मिर्जापुर आने के लिए सड़क मार्ग की बात करें तो यह पूरे भारत से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, दिल्ली और कलकत्ता आदि जगहों से सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। (जौनपुर से भदोही वाया मीरजापुर) ग्रांड ट्रंक रोड (शेरशाह सूरी रोड) जो वाराणसी से लेकर कन्याकुमारी तक जाती है, जिसे मिर्ज़ापुर के बाद रीवां रोड के नाम से भी जानते हैं। यह मिर्ज़ापुर का दक्षिणी छोर मध्यप्रदेश को भी जोड़ता है।
 

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