Mirzapur News : विंध्याचल में लूट कर ले गए रावण, नहीं हुआ दहन, जानिए क्यों है ये परंपरा

UPT | रावण का पुतला

Oct 13, 2024 16:52

विंध्याचल में दशहरे पर सदियों पुरानी परंपरा निभाई जाती है। विजयादशमी पर यहां रावण का दहन नहीं किया जाता। स्थानीय निवासी इसे लूटकर ले जाते हैं।

Mirzapur News : विंध्याचल धाम में दशहरा का त्योहार एक विशिष्ट परंपरा के साथ मनाया जाता है। यहां सैकड़ों वर्षों से चली आ रही एक अनूठी प्रथा के अनुसार, रावण के पुतले को जलाया नहीं जाता। इसके बजाय, स्थानीय लोग इस पुतले को लूटने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि सामाजिक एकता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में भी देखी जाती है।

बंगाली चौराहे पर मेले का आयोजन  
बंगाली चौराहे पर आयोजित होने वाला दशहरा मेला इस अनोखी परंपरा का केंद्र बिंदु है। राष्ट्रीय विन्ध्य पर्यावरण सुरक्षा एवं धमोत्थान समिति द्वारा आयोजित इस मेले में हजारों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं। समिति के संरक्षक पं. शिवराम मिश्रा और डॉ. राजेश मिश्रा के मार्गदर्शन में यह आयोजन विजयादशमी के पावन अवसर पर किया जाता है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

लूट की प्रथा का धार्मिक और सामाजिक महत्व 
इस अनूठी परंपरा के पीछे एक गहरा विश्वास छिपा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि रावण के पुतले का एक अंश अपने घर में रखने से सुख-समृद्धि का वास होता है। यह मान्यता इतनी प्रबल है कि लोग पुतले के बांस के टुकड़े तक को अपने घरों में रखते हैं। इस प्रथा से जुड़ी कुछ रोचक मान्यताएं भी हैं, जैसे कि इससे घर में खटमल नहीं लगते और जहरीले जानवर दूर भाग जाते हैं।

विंध्याचल की विशिष्ट पहचान बनी परंपरा  
यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समुदाय के बीच एकता और सामंजस्य को भी बढ़ावा देती है। रावण दहन के बजाय लूट की यह प्रथा, बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक को एक नया आयाम देती है। यह विंध्याचल की विशिष्ट पहचान का हिस्सा बन गई है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती आ रही है।

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