आईआईसीटी देगा रेशम उद्योग को बढ़ावा : सीएसटीआरआई के साथ समझौते की तैयारी में जुटा संस्थान

UPT | आईआईसीटी देगा रेशम उद्योग को बढ़ावा

Aug 30, 2024 14:44

संस्थान केंद्रीय रेशम औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसटीआरआई) के साथ एक समझौते पर काम कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य रेशम कालीनों और हस्तशिल्प के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है...

Short Highlights
  • रेशम उद्योग के विकास के लिए  महत्वपूर्ण कदम
  • कालीनों और हस्तशिल्प के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा
  • संस्थान पहले से ही ऊन और जूट के विकास पर काम कर रहा है
Bhadohi News : भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) ने रेशम उद्योग के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। संस्थान केंद्रीय रेशम औद्योगिक अनुसंधान संस्थान (सीएसटीआरआई) के साथ एक समझौते पर काम कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य रेशम कालीनों और हस्तशिल्प के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है। आईआईसीटी के निदेशक डॉ. राजीव कुमार वार्ष्णेय ने बताया कि यह प्रयास कालीन और हस्तशिल्प उद्यमियों के लिए अत्यंत लाभदायक होगा।

ऊन और जूट के विकास पर पहले से कर रहा काम
बता दें कि यह संस्थान पहले से ही ऊन और जूट के विकास पर काम कर रहा है। वस्त्र मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न टेस्टिंग लैब से उद्यमी लाभान्वित हो रहे हैं। जूट उद्योग के विकास के लिए, आईआईसीटी ने जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जेसीआई) के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत, उच्च गुणवत्ता वाले जूट की उपलब्धता, जूट उत्पादों पर अनुसंधान और कालीन एवं फ्लोर कवरिंग में जूट यार्न के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।



कालीनों और हस्तशिल्प के विकास पर जोर
अब आईआईसीटी रेशम (सिल्क) कालीनों और हस्तशिल्प के विकास पर ध्यान दे रहा है। इस उद्देश्य से, संस्थान सीएसटीआरआई, बंगलोर के साथ एक समझौते का मसौदा तैयार कर रहा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों जैसे भदोही, मिर्जापुर, कश्मीर, दिल्ली, पानीपत और जयपुर से रेशमी कालीनों का निर्माण और निर्यात हो रहा है। यह समझौता इन क्षेत्रों में रेशम उद्योग को और अधिक मजबूत करने में मदद करेगा।

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उद्यमियों के लिए खुलेंगे नए अवसर
प्रस्तावित समझौते के तहत, आईआईसीटी और सीएसटीआरआई मिलकर रेशम से निर्मित विभिन्न हस्तशिल्प उत्पादों पर अनुसंधान और विकास करेंगे। यह पहल न केवल रेशम उद्योग को बढ़ावा देगी, बल्कि कालीन और हस्तशिल्प उद्यमियों के लिए नए अवसर भी खोलेगी। इस तरह, आईआईसीटी टेक्सटाइल क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का विस्तार कर रहा है और भारतीय रेशम उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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