दिवाली की तैयारियों के बीच, सोनभद्र के कुम्हार समुदाय को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। मिट्टी के दीपकों और बर्तनों की बिक्री में गिरावट आई है, क्योंकि लोग अब चाइनीज लाइटों और फैंसी सामानों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
Oct 29, 2024 10:13
दिवाली की तैयारियों के बीच, सोनभद्र के कुम्हार समुदाय को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। मिट्टी के दीपकों और बर्तनों की बिक्री में गिरावट आई है, क्योंकि लोग अब चाइनीज लाइटों और फैंसी सामानों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं।
Sonbhadra News : देशभर में दिवाली की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। बाजारों में मिट्टी के दीये पहुंच चुके हैं, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इस दिवाली कुम्हारों को उम्मीद थी कि मिट्टी के दीयों और बर्तनों की बिक्री से उनका कारोबार बढ़ेगा। इसी उम्मीद से कुम्हारों के चाक की गति बढ़ गई और गांवों में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार दिन-रात काम में जुट गए, लेकिन बाजारों में बिक रहे चाइनीज सामान और फैंसी आइटमों की वजह से मिट्टी के दीयों और अन्य सामानों की बिक्री कम हो गई है, जिससे कुम्हारों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
दीपक बनाने की लागत अधिक और मुनाफा कम
रॉबर्ट्सगंज के वार्ड नं 10 जोगिया बीर महाल के कुम्हार रमेश प्रजापति ने बताया कि वह 40 साल से मिट्टी के दीपक बनाने का काम कर रहे हैं। पहले हाथ के चाक से मिट्टी के बर्तन बनाया करते थे। इस बार सरकार की ओर से मशीन का चाक मिला है। मगर इन दिनों मिट्टी बहुत महंगी हो गई। महंगी मिट्टी की वजह से दीपक बनाने में लागत अधिक आ रही है और मुनाफा कम मिल रहा है। बाजारों में रोशनी व सजावट के लिए चाइनीज लाइटें आने की वजह से मिट्टी के दीपकों की डिमांड भी ना के बराबर रह गई है।
मिट्टी के उत्पाद पकाने के लिए ईंधन भी महंगा
रॉबर्ट्सगंज के वार्ड नंबर एक जोगिया बीर मोहल्ले के दीपक कुमार प्रजापति ने बताया कि आबादी बढ़ने के कारण शहर के आसपास खेतों में बड़े-बड़े मकान बन गए हैं। इसलिए अब दूर-दराज के गांवों से मिट्टी लानी पड़ रही है। एक ट्रॉली मिट्टी एक हजार रुपये तक में मिल जाती है। मिट्टी के उत्पाद पकाने के लिए ईंधन भी महंगा है। इस बार हम लोगों ने 20 हजार मिट्टी के दीये बनाए हैं। एक मिट्टी का दीया 30 से 40 पैसे में बिक रहा है। इसमें भी मुनाफा कम है। इसमें भी अगर ग्राहक मोलभाव करता है तो हमें और भी कम दाम में बेचना पड़ रहा है।