राम केवल हत्याकांड : सोनभद्र के 7 साल पुराने मामले में 6 दोषियों को उम्रकैद, 27-27 हजार रुपये अर्थदंड

UPT | सत्र न्यायालय

Sep 05, 2024 01:48

सात वर्ष पूर्व हुए रामकेवल हत्याकांड मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जितेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषियों को आजीवन कारावास व 27-27 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।

Short Highlights
  • मवेशियों को चराने गए रामकेवल पर कुल्हाड़ी और लाठियों से वार किया गया था
  • मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है 

Sonbhadra News : सोनभद्र जिले की अदालत ने 7 साल पुराने राम केवल हत्याकांड में 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर दोषियों शंभू धांगर, विनोद धांगर, अच्छेलाल धांगर, धरमू धांगर, जय सिंह चेरो और विजय चेरो को उम्रकैद व 27-27 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 4-4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।

11 जुलाई 2017 को हुई थी हत्या
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शंकर धांगर ने 11 जुलाई 2017 को रामपुर बरकोनिया थाने में एक तहरीर दी थी। तहरीर में अवगत कराया था कि सुबह लगभग 10 बजे उसके पिता राम केवल जंगल में गाय और बैल मवेशियों को चराने गए थे। उनकी चाची शांति देवी घर के सामने पत्थर पर बैठी हुई थीं, जबकि उनकी पत्नी सितारा देवी और मां धन्वंतरि देवी रिश्तेदारी में डोमारिया जा रही थीं, ताकि वे अपने बच्चे की फीस का भुगतान कर सकें।

इसी समय, शंभू धांगर, विनोद धांगर, अच्छेलाल धांगर, धरमू धांगर, लक्षन धांगर, जय सिंह चेरो और विजय चेरो नामक आरोपी एक साथ आए। ये सभी आरोपी गांव दरमा, थाना रामपुर बरकोनिया, सोनभद्र के निवासी थे। इन्होंने राम केवल को घेर लिया और कुल्हाड़ी व लाठी-डंडे से बेरहमी से हमला किया। जब राम केवल के परिवार वाले - उनकी चाची, पत्नी और मां - बीच-बचाव के लिए पहुंचे और शोर मचाया, तो आरोपी गालियां देते हुए जंगल की ओर भाग गए। घटनास्थल पर पहुंचने पर पता चला कि राम केवल की मौत हो चुकी थी। शंभू और विनोद के हाथ में कुल्हाड़ी थी, जबकि अन्य आरोपियों के पास लाठी-डंडे थे। यह भयावह घटना पटना टोला गांडूडीह की थी।

अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी पाया
इस तहरीर पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की और मामले की जांच शुरू की। जांच अधिकारी ने पर्याप्त सबूत जुटाकर अदालत में चार्जशीट दाखिल की। सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों के तर्कों को सुना, गवाहों के बयान लिए और पत्रावली का अवलोकन किया। इसके बाद अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और अर्थदंड की सजा सुनाई। सरकारी वकील विनोद कुमार पाठक ने अभियोजन पक्ष की ओर से बहस की और दोषियों को सजा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

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