पॉक्सो एक्ट के दोषी को 10 साल की कैद : चाकू दिखाकर नाबालिग के साथ किया दुष्कर्म, पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश

UPT | जनपद एवं सत्र न्यायालय सोनभद्र

Oct 18, 2024 00:33

सोनभद्र के अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट, अमित वीर सिंह की अदालत ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान भगवान दास को दोषी ठहराते हुए 10 वर्ष की कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया...

Sonbhadra News : सोनभद्र के अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट, अमित वीर सिंह की अदालत ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान भगवान दास को दोषी ठहराते हुए 10 वर्ष की कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अपराधी पर साढ़े सात साल पहले 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है। यदि वह दोषी जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे एक महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इस जुर्माने की राशि में से 80,000 रुपये पीड़िता को प्रदान किए जाएंगे।

घर छोड़ने के बहाने किया दुष्कर्म
अभियोजन पक्ष के अनुसार, रॉबर्ट्सगंज थाना क्षेत्र के एक गांव के निवासी ने 22 अप्रैल 2017 को थाने में तहरीर दी थी। इसमें बताया गया कि 19 अप्रैल 2017 को दोपहर करीब दो बजे भगवान दास, जो घुवास गांव का निवासी है, उसकी 15 वर्षीय नाबालिग बेटी को घर छोड़ने के बहाने बाइक पर बैठा ले गया। उसने उसे शाहगंज थाना क्षेत्र के एक गांव में अपनी साली के घर पहुंचाया।




चाकू दिखाकर उनकी बेटी के साथ जबरजस्ती बलात्कार किया। दूसरे दिन सुबह 10 बजे उनकी बेटी को जहां से ले गया था, वहीं छोड़कर भाग गया। जब बेटी घर आयी तो रो-रोकर अपनी मां से सारी बात बताई। इस तहरीर पर पुलिस ने 22 अप्रैल 2017 को एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।

पीड़िता को 80,000 रुपये का मुआवजा
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों के तर्कों को सुनने के बाद, 6 गवाहों के बयान और संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया। इस प्रक्रिया के बाद, दोषी भगवान दास को 10 वर्ष की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। यदि वह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे एक महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। जुर्माने की राशि में से 80,000 रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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