कड़ाके की ठंड के बीच भोर से ही विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान का दौर चलता रहा। भोर में मंगला आरती के बाद जैसे ही मंदिर का कपाट खुला, माता के जयकारे से समूचा मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। हाथों में नारियल, चुनरी, माला-फूल व प्रसाद लिए भक्तों में किसी ने गर्भगृह और किसी ने झांकी से मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन कर अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की।