पुलिस ने अब तक पत्थरबाजी में शामिल 100 लोगों की पहचान कर ली है, जिनमें से 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
Sambhal News : संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने अब तक पत्थरबाजी में शामिल 100 लोगों की पहचान कर ली है, जिनमें से 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में दो महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने हिंसा मामले में अब तक 12 एफआईआर दर्ज की हैं।
14 से 72 वर्ष तक के आरोपियों की गिरफ्तारी
पुलिस के अनुसार, पत्थरबाजों की पहचान सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय सर्विलांस के जरिए की गई है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की उम्र 14 वर्ष से लेकर 72 वर्ष तक है। इन पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों की जानकारी और फोटो जिला प्रशासन के आधिकारिक ग्रुप में साझा की है।
हिंसा में प्रभावित इलाके
सूत्रों के मुताबिक, हिंसा में शाही जामा मस्जिद, नखासा और हिंदूपुरा खेड़ा इलाकों के लोग अधिक शामिल थे। पुलिस ने इन इलाकों में छापेमारी कर दो दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा, हिंसा में मृत चार लोगों के परिवारों ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके आधार पर अलग से एफआईआर दर्ज की गई है।
सांसद और विधायक के बेटे पर आरोप
हिंसा के एक मामले में पुलिस ने सांसद जियाउर्रहमान बर्क और स्थानीय विधायक के बेटे सुहैल इकबाल पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया है। पुलिस ने एफआईआर में दोनों को मुख्य आरोपी बताया है। पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने हिंसा भड़काने और पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला करने की साजिश रची थी।
7 एंगल से हो रही जांच
भीड़ किसके कहने पर इकट्ठा हुई : मस्जिद के आसपास जमा भीड़ के स्रोत का पता लगाया जा रहा है।
किसने हिंसा के लिए उकसाया : मोबाइल डेटा और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच की जा रही है।
सीसीटीवी फुटेज : हिंसा के दौरान तोड़े गए कैमरों के डीवीआर को जब्त कर फुटेज रिकवर की जा रही है।
मोबाइल डेटा की जांच : 27 मोबाइल फोनों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
सोशल मीडिया की भूमिका : हिंसा से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट्स का विश्लेषण किया जा रहा है।
वीडियो फुटेज : सीसीटीवी, मोबाइल वीडियो और ड्रोन कैमरे की फुटेज का गहन विश्लेषण।
स्थानीय लोगों के बयान : घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए जाएंगे।
क्या है मामला?
हिंसा तब भड़की जब कोर्ट के आदेश पर मुगलों के समय की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा रहा था। इस दौरान स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। भाजपा नेताओं ने इसे सुनियोजित हिंसा बताया है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे प्रशासनिक विफलता करार दिया है।