2024 लोकसभा चुनाव : ADR रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, 538 सीटों पर वोट गणना में विसंगति उजागर

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Aug 01, 2024 18:17

रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा की कुल 538 संसदीय सीटों पर मतदान और मतगणना के आंकड़ों में भिन्नता पाई गई है। विस्तृत विश्लेषण से पता चला है कि 362 सीटों पर डाले गए कुल मतों से 5 लाख 54 हजार 598 वोट कम गिने गए हैं...

New Delhi News : लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (ADR) द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह रिपोर्ट, जो संगठन के संस्थापक प्रो. जगदीप छोकर द्वारा प्रेस क्लब में जारी की गई, डाले गए और गिने गए वोटों की संख्या में व्यापक विसंगतियों को उजागर करती है।

रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा की कुल 538 संसदीय सीटों पर मतदान और मतगणना के आंकड़ों में भिन्नता पाई गई है। विस्तृत विश्लेषण से पता चला है कि 362 सीटों पर डाले गए कुल मतों से 5 लाख 54 हजार 598 वोट कम गिने गए हैं। यह आंकड़ा एक छोटे से शहर की आबादी के बराबर है। दूसरी ओर, 176 सीटों पर एक विपरीत प्रवृत्ति देखी गई, जहां डाले गए कुल वोटों से 35 हजार 93 वोट अधिक गिने गए। यह विसंगति न केवल संख्यात्मक त्रुटि है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की आत्मा पर एक गहरा आघात है।

2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़ा आंकड़ा 
2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 2024 में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। जहां 2019 में 347 सीटों पर विसंगतियां पाई गई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 538 हो गई। 

प्रो. जगदीप छोकर ने की चिंता व्यक्त
प्रो. जगदीप छोकर ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "मतदान का अंतिम आंकड़ा जारी करने में अत्यधिक देरी, निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्रों के अलग-अलग आंकड़ों का अभाव और अंतिम मिलान किए गए आंकड़ों के आधार पर चुनाव परिणाम घोषित किए जाने की अनिश्चितता - ये सभी ऐसे कारक हैं जो चुनाव परिणामों की सत्यता के बारे में आम लोगों में चिंता और संदेह पैदा कर रहे हैं।" उनका यह बयान लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है।
 
2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़ा आंकड़ा 
वर्ष 2019 में जहां सिर्फ 347 सीटों पर विसंगतियां पाई गई थी, 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर यह आंकड़ा 538 सीट हो गया। प्रो. जगदीप छोकर ने कहा है कि ‘मतदान का अंतिम आंकड़ा जारी करने में अत्यधिक देरी, निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्रों के अलग-अलग आंकड़ों का अभाव और अंतिम मिलान किए गए आंकड़ों के आधार पर चुनाव परिणाम घोषित किए गए या नहीं, ये सभी ऐसे कारक हैं जो चुनाव परिणामों की सत्यता के बारे में आम लोगों में चिंता और संदेह पैदा किया है।’ 

17 वेंआम चुनाव में भी विसंगतियां 
एडीआर ने कहा कि 17वें लोकसभा चुनाव के दौरान भी डाले गए मतों और गिने गए मतों में विसंगतियां पाई गई थी। 2019 के चुनावों के बारे में कहा गया है कि 542 लोकसभा सीटों में से 347 सीटों पर विसंगतियां पाई गई थी।'

राज्यवार जानिए विसंगतिया

उत्तर प्रदेश: कुल सीट-80, सभी सीटों पर विसंगतियां
55 सीटों पर डाले गए कुल मतों से 53960 कम मतों की गिनती।
25 सीटों पर डाले गए कुल मतों में से 6124 वोटों की अधिक गिनती

बिहार: कुल सीट 40, सभी सीटों पर विसंगतियां
19 सीटों पर डाले गए कुल मतों से 9924 कम मतों की गिनती।
21 सीटों पर डाले गए कुल मतों मेंसे 5015 वोटों की अधिक गिनती।

झारखंड: कुल सीट 14, सभी सीटों पर विसंगतियां
12 सीटों पर डाले गए कुल मतों से 26342 कम मतों की गिनती।
2 सीटों पर डालेगए कुल मतों मेंसे 393 वोटों की अधिक गिनती।

दिल्ली: कुल 7 सीट, सभी सीटों पर विसंगतियां
सभी 7 सीटों पर डाले गए कुल मतों से 8159 कम मतों की गिनती।

उत्तराखंड: कुल पांच सीट, सभी में विसंगतियां
सभी 5 सीटों पर डाले गए कुल मतों से 6315 कम मतों की गिनती।

चुनाव आयोग करे इन विसंगतियों की गहन जांच
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि समस्या व्यापक है और किसी एक क्षेत्र या राज्य तक सीमित नहीं है। इन विसंगतियों के कारणों पर गौर करें तो कई संभावनाएं सामने आती हैं। तकनीकी खामियां, मानवीय त्रुटियां या फिर जानबूझकर की गई गड़बड़ी - हर संभावना पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह इन विसंगतियों की गहन जांच करे और उनके कारणों का पता लगाए।

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