Lok Sabha Chunav Result 2024 : जानें कौन हैं रामभुआल निषाद, जिन्होंने बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी को हराया

UPT | रामभुआल निषाद।

Jun 04, 2024 19:11

राजनीति में आने से पहले 64 साल के रामभुआल निषाद कृषि उपज से जीवकोपार्जन करते थे। उनके हलफनामे के अनुसार वर्तमान में कृषि उपज से आय और राजनीतिज्ञ पेंशन पर निर्भर हैं। बड़हलगंज थाने की पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट भी खोल रखी है।

 Lok Sabha Chunav Result 2024 : उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल सुल्तानपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मेनका गांधी को कड़ी टक्कर देने वाले रामभुआल निषाद ने 2014 लोकसभा चुनाव में योगी के गढ़ गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ा था। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में सीएम योगी के खिलाफ मैदान में उतरे थे। गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा बनने के पूर्व कौड़ीराम विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे हैं। वह वर्ष 2007 में बनी बसपा सरकार में मत्स्य राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।

 बड़हलगंज थाने में खुली है हिस्ट्रीशीट
राजनीति में आने से पहले 64 साल के रामभुआल निषाद कृषि उपज से जीवकोपार्जन करते थे। उनके हलफनामे के अनुसार वर्तमान में कृषि उपज से आय और राजनीतिज्ञ पेंशन पर निर्भर हैं। बड़हलगंज थाने की पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट भी खोल रखी है। 
 
रामभुआल निषाद के खिलाफ दर्ज हैं आठ आपराधिक मामले
64 साल के रामभुआल निषाद  Graduate पास हैं। उन्होंने 1984 में गोरखपुर के स्नातकोत्तर बीए नेशनल डिग्री कॉलेज बड़हलगंज से स्नातक किया। चुनावी हलफनाम के हिसाब से उनकी पत्नी जगदीश का पेशा कृषि उपज से आय है। गोरखपुर के दवनाडीह निवासी पूर्व मंत्री के खिलाफ आठ आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनके पास 3.6 लाख की देनदारियां हैं। उनके खिलाफ गोरखपुर के अलग-अलग थानों में गैंगस्टर एक्ट, हत्या का प्रयास, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने, बलवा, मारपीट, गाली-गलौज समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज हैं। बड़हलगंज थाने की पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट भी खोल रखी है। 

हिस्ट्रीशीटरों की सूची में उनका नाम 11वें नंबर पर
थाने में चस्पा सैकड़ों हिस्ट्रीशीटरों की सूची में उनका नाम 11वें नंबर पर नाम है। उनकी हिस्ट्रीशीट नंबर 105A है। शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में भी इनका नाम आ चुका है। पूर्व मंत्री ने दूसरे व्यक्ति के लाइसेंस नंबर का इस्तेमाल कर फर्जी लाइसेंस बनवाया और उस पर एक रायफल भी खरीद ली। पुलिस रिपोर्ट के बाद जब डीएम कोर्ट में मामले की जांच हुई तो प्रथम दृष्टया शस्त्र लाइसेंस फर्जी मिला।

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