यूपी लोकसभा चुनाव 2024 : सियासी नब्ज पहचाने बसपा नेता, पाला बदलकर पहुंचे संसद

UPT | सियासी नब्ज पहचाने बसपा नेता

Jun 08, 2024 16:51

उत्तर प्रदेश में इस बार का चुनाव बड़ा दिलचस्प रहा है। समाजवादी पार्टी ने यूपी की सीट पर शानदार जीत हासिल की। आज हम बात करते हैं उन बसपा नेताओं की जिन्होंने समय की नब्ज को भांप लिया और समय रहते सपा में शामिल हो गए...

UP Politics : उत्तर प्रदेश में इस बार का चुनाव बड़ा दिलचस्प रहा है। समाजवादी पार्टी ने यूपी की सीट पर शानदार जीत हासिल की है। 2019 के चुनाव के मुकाबले इस बार सपा ने 37 सीटों पर जीत हासिल कर आसमान से तारे तोड़ने जैसा काम किया है। आज हम बात करते हैं उन बसपा नेताओं की जिन्होंने समय की नब्ज को भांप लिया और समय रहते सपा में शामिल हो गए। सपा की टिकट पर 2024 का चुनाव लड़े और संसद तक पहुंचे। उत्तर प्रदेश में बसपा के हिस्से एक भी सीट नहीं आई। उन्होंने बसपा की स्थिति को पहले ही भांप लिया था। समय रहते इन नेताओं ने सपा का दामन थाम लिया और संसद भवन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए
पिछले चुनाव में बसपा ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें बसपा को 10 सीटों पर और सपा के हिस्से में 5 सीट आईं थी। लेकिन इस बार मायावती ने बिना किसी के सहारे अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया। 2019 के बाद बसपा के कई ऐसे नेता रहे, जिनको या तो बसपा ने निकाल दिया या फिर किसी ने अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ दी। यूपी से सपा के 37 सासंद इस बार संसद भवन पहुंचे हैं, जिनमें से 7 सासंद ऐसे हैं जो बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं।

अफजाल अंसारी
गाजीपुर वो लोकसभा सीट है, जहां जनता का मिजाज समय-समय पर बदलता रहा है। इस सीट पर कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई सांसद लगातार दो बार चुनाव जीता हो। लेकिन अफजाल अंसारी ने लगातार दो बार चुनाव जीतकर इस बार गाजीपुर के लिए नया रिकॉर्ड बनाया है। सपा प्रत्याशी अफजाल ने इस सीट से भाजपा प्रत्याशी पारसनाथ राय को 124861 वोटों से हराया है। बात करते अफजाल अंसारी की तो 1985 में उन्होंने विधानसभा चुनाव से कम्युनिष्ट से राजनीति की शुरुआत की। अफजाल अंसारी अब तक दस चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें से सात बार जीत हासिल की है। 2019 में अफजाल अंसारी ने सपा-बसपा के गठबंधन में बसपा से चुनाव लड़ा था। उन्होंने रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को हराकर जीत हासिल की थी। 2024 के चुनाव में अफजाल अंसारी ने राजनीतिक मिजाज को देखा और पार्टी बदल ली। अफजाल ने बसपा छोड़ सपा को ज्वाइन किया।  विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने बसपा के लिए कोई चुनाव-प्रचार नहीं किया था। इसके बाद वह बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिवस के कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए। तभी से कयास लगाए जाने लगे कि वह सपा में शामिल हो सकते हैं।

रुचि वीरा
रुचि वीरा ने सपा के टिकट से मुरादाबाद सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने 2024 के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी कुंवर सर्वेश कुमार को 1 लाख पांच हजार वोटों से हराया। रुचि वीरा को 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए सपा ने निलंबित कर दिया था। इसके बाद रुचि वीरा ने बसपा को ज्वाइन किया। लेकिन बसपा ने भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। माना जाता है कि रुचि वीरा आजम की बेहद करीबी हैं। आजम खान के कहने पर रुचि वीरा को 2023 में सपा ने पार्टी में शामिल कर लिया। मुरादाबाद में आजम खान का दबदबा है। आजम खान के कहने पर ही सपा ने रुचि वीरा को मुरादाबाद सीट पर प्रत्याशी बनाया। इस तरह रुचि वीरा ने जीत हासिल की और संसद तक पहुंच गई।

जितेंद्र दोहरे
जितेंद्र दोहरे ने समय रहते बसपा का दामन छोड़कर सपा में शामिल हो गए। अब 2024 के चुनाव में इटावा लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बन गए। सपा के जितेंद्र दोहरे ने भाजपा प्रत्याशी राम शंकर कठेरिया को 58419 वोटों के अंतर से मात दी है। राम शंकर कठेरिया को हराकर उन्होंने भाजपा की हैट्रिक पर ब्रेक लगा दिया। चुनाव जीतने से पहले वह बहुजन समाज पार्टी से इटावा के जिला अध्यक्ष रहे हैं। जितेंद्र इटावा के ही रहने वाले हैं तो यहां पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। जितेंद्र समय के पहिए को पहचान गए और 2020 से सपा के लिए चुनाव-प्रचार करने लगे। 2020 में बसपा को छोड़कर सपा में शामिल हो गए।

नारायण दास अहिरवार
नारायण दास अहिरवार 1984 में बसपा की स्थापना के समय उसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। बसपा में रहकर 2007 से 2011 तक वह यूपी के अंतर्गत जल निगम बोर्ड के दर्जा प्राप्त मंत्री भी रहे। लेकिन 2014 में मोदी लहर आई और यूपी में बसपा एक भी सीट पर नहीं जीत सकी। 2014 से 2022 के बीच पार्टी के कामों में नारायण दास अहिरवार की गतिविधियां काफी कम हो गईं। उन्होंने BSP में बड़ी भूमिका लेना बंद कर दिया। इस दौरान वह सपा के संपर्क में आए और 2022 में सपा का दामन थाम लिया। 2024 लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की तरफ से उन्हें जालौन सीट से समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया। नारायण दास अहिरवार पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे और शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी 53898 वोटों के अंतर से हराकर करारी मात दी है।

लालजी वर्मा
एक समय था जब लालजी वर्मा मायावती के खास हुआ करते थे। 2007 में वह बसपा सरकार में मंत्री भी रहे। लेकिन पंचायत चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाकर पार्टी ने उनको निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले सपा का दामन थाम लिया। सपा की साईकिल पर सवार होकर हाथी को बॉय-बॉय बोल दिया। 2024 के चुनाव में सपा ने लालजी वर्मा पर भरोसा जताया और अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से टिकट दे दिया। लालजी वर्मा ने बीजेपी प्रत्याशी रितेश पांडे को 1,37,247 वोटों से मात दी। इस चुनाव में लालजी वर्मा को 5,44,959 वोट मिले तो वहीं रितेश पांडे को 4,07,712 वोट मिले।

राम शिरोमणि वर्मा
राम शिरोमणि वर्मा की बात करें तो श्रावस्ती लोकसभा सीट से उन्होंने दूसरी बार जीत हासिल की है। 2019 के चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और बीजेपी के दद्दन मिश्रा को हराया था। 2019 में सपा, बसपा और आरएलडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। बसपा के नेता पहले से ही राम शिरोमणि वर्मा पर आरोप लगाते थे कि वह सपा के लिए काम करते हैं। बसपा ने  पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकार उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया और चुनाव के ठीक पहले  राम शिरोमणि वर्मा ने समाजवादी पार्टी को जॉइन कर लिया। राम शिरोमणि ने इस चुनाव में भाजपा के साकेत मिश्रा को 76673 वोटों से हराया। इस चुनाव में राम शिरोमणि वर्मा को 511055 वोट मिले. वहीं साकेत मिश्रा को 434382 मत मिले।

राम भुआल निषाद
सपा के राम भुआल निषाद ने भाजपा प्रत्याशी मेनका संजय गांधी को हराकर बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है। उन्होंने सुलतानपुर लोकसभा सीट से 43174 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। 2014 के लोकसभा चुनाव में रामभुआल निषाद वर्तमान में यूपी के सीएम आदित्यानाथ योगी के खिलाफ खड़े हुए थे, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर पाए थे। इसके बाद उनको बसपा से टिकट मिला था, लेकिन उनके विवादित बयानों के बाद उनका टिकट काट दिया गया था। लेकिन फिर 2024 में सपा ने उनको सुल्तानपुर से टिकट दिया था। सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सपा के राम भुआल निषाद ने 43174 वोटों के अंतर से भाजपा की मेनका गांधी को हराया है। यह बड़ी जीत है। आठ बार सांसद रह चुकी भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी 9वीं बार सांसद बनने से चूक गईं।

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