जोधपुर की सेंट्रल जेल से बाहर आएंगे आसाराम : 11 साल बाद मिल रही अंतरिम जमानत, 2018 से जेल में बंद

UPT | आसाराम बापू

Jan 14, 2025 12:59

11 साल बाद आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल से बाहर आ सकेंगे। आसाराम जोधपुर में नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में सजायाफ्ता हैं। उनकी सजा स्थगित करने और जमानत से संबंधित याचिका पर...

New Delhi News : राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम बापू को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देने का आदेश जारी किया। अब 11 साल बाद आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल से बाहर आ सकेंगे। आसाराम जोधपुर में नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में सजायाफ्ता हैं। उनकी सजा स्थगित करने और जमानत से संबंधित याचिका पर आज सुनवाई हुई। जिसमें दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने आसाराम को राहत प्रदान की। उनके वकील RS सलूजा ने जमानत मिलने की पुष्टि की और बताया कि आसाराम को 31 मार्च 2025 तक अंतरिम जमानत दी गई है।

महिला अनुयायी से रेप केस में भी मिली थी जमानत
आसाराम बापू को पहले भी महिला अनुयायी से बलात्कार के मामले में जमानत मिल चुकी थी। 7 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दी और 31 मार्च 2025 तक जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया था। हालांकि, जमानत मिलने के साथ कुछ शर्तें भी लागू की गईं। इन शर्तों के अनुसार आसाराम को जेल से बाहर आते ही अपने अनुयायियों और फॉलोअर्स से मिलने की अनुमति नहीं होगी और वह किसी भी तरह से केस के सबूतों या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे।

आसाराम बापू पर दो गंभीर आरोप 
आसाराम बापू पर कुल दो गंभीर आरोप हैं, जिनमें से पहला आरोप राजस्थान के जोधपुर से जुड़ा हुआ है। जोधपुर में नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में आसाराम को 2013 में गिरफ्तार किया गया था। 5 साल तक इस मामले की सुनवाई चली और अंततः 25 अप्रैल 2018 को आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। आसाराम का दूसरा मामला गुजरात के गांधीनगर से संबंधित है। जहां उन पर अपनी महिला अनुयायी से बलात्कार करने का आरोप है। इस मामले में भी आसाराम को 31 जनवरी 2023 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 

जमानत पर जेल से बाहर आ सकते हैं आसाराम
अब 11 साल बाद आसाराम को इस मामले में जमानत मिलने के बाद वह जोधपुर की सेंट्रल जेल से बाहर आ सकते हैं। दोनों मामलों में जमानत मिलने के बाद आसाराम के समर्थक उनके जेल से बाहर आने को लेकर उत्साहित हैं, जबकि आलोचक इस पर सवाल उठाते हैं कि क्या उन्हें इन मामलों में राहत मिलनी चाहिए। 

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