क्या है HMPV : 23 साल बाद भारत में आया ये खतरनाक वायरस, जानिए टीका-उपचार क्या, कितना जोखिम भरा

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Jan 06, 2025 16:25

भारत में HMPV के पहले तीन मामलों की पुष्टि हुई है। कर्नाटक और गुजरात में यह संक्रमण पाया गया है। यह वायरस बेंगलुरु के एक अस्पताल में 3 महीने और 8 महीने के दो बच्चों में पाया गया है...

New Delhi News : चीन में एक बार फिर एक नया वायरस वैश्विक स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बनता नजर आ रहा है। हाल ही में सामने आए वायरल वीडियो और रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में अस्पतालों के बाहर भारी भीड़ और सांस से जुड़ी समस्याओं के मामलों में अचानक वृद्धि हुई है। यह महामारी HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) द्वारा फैल रही बताई जा रही है। इस वायरस के फैलने की वजह से चीन में लोग बड़े स्तर पर सांस संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। वहीं भारत में भी इस वायरस के मामलों का सामने आना शुरू हो गया है।

भारत में अब तक कुल तीन मामले आएं सामने
भारत में HMPV के पहले तीन मामलों की पुष्टि हुई है। कर्नाटक और गुजरात में यह संक्रमण पाया गया है। यह वायरस बेंगलुरु के एक अस्पताल में 3 महीने और 8 महीने के दो बच्चों में पाया गया है, वहीं गुजरात में 2 साल के बच्चे में HMPV वायरस पाया गया। यह मामला अहमदाबाद के चांदखेड़ा इलाके के एक निजी अस्पताल में मिला है। इस घटना के बाद कर्नाटका सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बैठक बुलायी और वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा की। भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले को आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) की नियमित निगरानी प्रणाली के तहत पकड़ा है।

चीन में स्थिति गंभीर
चीन में HMPV वायरस के अलावा अन्य वायरस भी तेजी से फैलने की खबरें हैं। इन वायरसों में इन्फ्लुएंजा ए, माइकोप्लास्मा न्यूमोनिया और कोरोनावायरस के दोबारा फैलने के दावे शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अनौपचारिक रिपोर्ट्स के अनुसार चीन में आपातकाल की घोषणा भी हो सकती है, क्योंकि स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है। खासकर HMPV वायरस को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों ने निगरानी बढ़ा दी है, क्योंकि इसके लक्षण कोरोनावायरस के जैसे ही होते हैं।

क्या है यह वायरस?
HMPV एक प्रकार का RNA वायरस है जो सांस की नलिकाओं को प्रभावित करता है। यह वायरस आमतौर पर सर्दी-खांसी जैसे लक्षण उत्पन्न करता है, लेकिन अगर इसकी चपेट में आने वाला व्यक्ति कमजोर इम्यून सिस्टम का है तो यह गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है, जैसे निमोनिया और ब्रोंकाइटिस। HMPV का इतिहास 2001 से शुरू होता है जब इसे पहली बार नीदरलैंड में पाया गया था। हालांकि, यह वायरस सामान्यत: गंभीर रूप से नहीं फैलता है, लेकिन इसके संक्रमण की गति और प्रभाव के कारण विशेषज्ञों ने इसके प्रसार को लेकर चिंता जताई है। कुछ स्टडीज में दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है।

जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय
किसे करता है प्रभावित?

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) मुख्य रूप से बच्चों, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। यह वायरस श्वसन तंत्र पर हमला करता है और सामान्य से लेकर गंभीर श्वसन समस्याएं पैदा कर सकता है।

क्या हैं लक्षण?
एचएमपीवी के लक्षण कोरोनावायरस और फ्लू से मिलते-जुलते हैं। जिससे इसे पहचानना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके लक्षण सामान्य सर्दी, खांसी, गले में खराश, बुखार और घरघराहट जैसे होते हैं। इस वायरस का मुख्य प्रभाव छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से यह वायरस फैलता है और संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने या किसी वस्तु को छूने से भी यह बीमारी फैल सकती है। वायरस से संक्रमित होने के बाद लक्षण 3 से 5 दिनों के भीतर दिखने लगते हैं। हालांकि, यह वायरस आमतौर पर हल्का प्रभाव डालता है, लेकिन गंभीर मामलों में निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

कितना रहता है असर?
एचएमपीवी के संक्रमण का असर सामान्य मामलों में तीन से पांच दिन तक रहता है। हालांकि, कमजोर स्वास्थ्य वाले व्यक्तियों में यह अधिक समय तक गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। यह वायरस आमतौर पर मौसमी संक्रमण माना जाता है और ठंड के मौसम में अधिक प्रभावी होता है। हालांकि, कुछ स्थानों पर यह पूरे साल सक्रिय रहता है।

वैक्सीन और इलाज की स्थिति
HMPV वायरस के लिए अभी तक कोई एंटीवायरल दवा या वैक्सीन नहीं है। सामान्य तौर पर इसका प्रभाव हल्का होता है और इसे घर पर आराम से प्रबंधित किया जा सकता है। गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी, IV ड्रिप और स्टेरॉयड्स का उपयोग किया जाता है।

किन देशों में हो चुका है असर?
2023 में एचएमपीवी के मामले नीदरलैंड, ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और चीन जैसे देशों में दर्ज किए गए। चीन में यह वायरस बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर चुका है। जहां श्वसन संबंधी समस्याओं में अचानक वृद्धि देखी गई।

चीन में श्वसन रोगों पर बढ़ी चिंता
चीन ने हाल के दिनों में श्वसन रोगों में अप्रत्याशित वृद्धि के बाद एक नई निगरानी प्रणाली लागू की है। चीनी रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने शुक्रवार को घोषणा की कि अज्ञात कारणों से होने वाले निमोनिया और अन्य श्वसन संक्रमणों पर विशेष ध्यान देने के लिए यह प्रणाली शुरू की गई है। सर्दियों के मौसम में इन बीमारियों के बढ़ने की संभावना को देखते हुए यह प्रणाली उन मामलों की पहचान और प्रबंधन में मदद करेगी। जिनके कारण अभी स्पष्ट नहीं हैं। इस नई निगरानी प्रणाली का उद्देश्य अधिकारियों को उन श्वसन रोगों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में मदद करना है, जिनके कारण अस्पष्ट हैं। यह प्रणाली बीमारी की पहचान, त्वरित रिपोर्टिंग, और प्रभावी नियंत्रण उपायों को लागू करने में अहम भूमिका निभाएगी।

पिछले अनुभवों से सबक
कोरोनावायरस महामारी के दौरान चीन को अपने स्वास्थ्य ढांचे पर भारी दबाव का सामना करना पड़ा था। व्यवस्थाओं के चरमराने के बाद, अब चीनी सरकार ने नए प्रोटोकॉल तय करने का निर्णय लिया है। निगरानी प्रणाली के तहत, देशभर की प्रयोगशालाओं में ऐसे नियम स्थापित किए जाएंगे, जो श्वसन रोगों की पहचान और उनके प्रभाव को सीमित करने में सहायक होंगे। नई प्रणाली न केवल बीमारियों की रिपोर्टिंग में सुधार करेगी, बल्कि उनके नियंत्रण और बचाव के तरीकों पर भी तेजी से काम करेगी। चीनी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सर्दियों के दौरान श्वसन संक्रमणों की रोकथाम उनकी प्राथमिकता है। नई निगरानी प्रणाली से न केवल संक्रमणों की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जाएगा, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।

भारत सरकार ने दी जानकारी
चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के तेजी से फैलने की खबरों के बीच भारत ने स्थिति पर सतर्क नजर बनाए रखी है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने कहा है कि देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लुएंजा के मामलों की निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही भारत अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों के संपर्क में है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "हम स्थिति का गहनता से आकलन कर रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर विस्तृत जानकारी साझा करेंगे। फिलहाल किसी भी प्रकार की घबराहट की आवश्यकता नहीं है।"

क्या बोले स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक?
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस सांस संबंधी अन्य वायरस की तरह ही है। जो सामान्य सर्दी और जुकाम का कारण बनता है। उन्होंने कहा, "यह वायरस मुख्य रूप से युवाओं और बुजुर्गों में फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है। हालांकि, भारत में अभी तक इस वायरस के कारण किसी बड़े प्रकोप का संकेत नहीं मिला है।" डॉ. गोयल ने स्पष्ट किया कि दिसंबर 2024 के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में श्वसन संक्रमण के मामलों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने कहा, "देश के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान से बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले सामने नहीं आए हैं। हमारी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह तैयार हैं और मौजूदा स्थिति को लेकर घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।" उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में श्वसन संक्रमण के मामलों में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होती है। "हमारे अस्पतालों में ऐसे प्रकोपों से निपटने के लिए आवश्यक दवाओं, ऑक्सीजन और बिस्तरों की पूरी व्यवस्था है।"

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