SC ने हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर जताई चिंता : अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई में हुई देरी, त्वरित कार्रवाई के निर्देश

UPT | प्रतीकात्मक तस्वीर

Jan 09, 2025 14:04

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही पर चिंता जताई...

New Delhi News : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ उच्च न्यायालयों में यह स्पष्ट नहीं होता कि मामले की सुनवाई कब होगी और क्या निर्णय लिया जाएगा और इलाहाबाद हाईकोर्ट उन न्यायालयों में से एक है, जो चिंताजनक स्थिति में है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह अब्बास अंसारी की याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करें।

त्वरित कार्रवाई का दिया निर्देश
इस टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर स्थगन (Status Quo) बनाए रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए कि अंसारी की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट की उचित पीठ के सामने जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए ताकि मामले पर जल्द सुनवाई हो सके। 



जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 2020 में कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की जमीन को अवैध मानते हुए उस पर बुलडोजर चला दिया था। यह जमीन कथित तौर पर मुख्तार अंसारी के बेटे, जिनमें अब्बास अंसारी भी शामिल हैं, के नाम पर थी। उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के अनुसार, इस जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए मकान बनाए जाने थे। इसके खिलाफ अब्बास अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जमीन पर कब्जे से संबंधित याचिका लंबित है, लेकिन उच्च न्यायालय ने अब तक इस पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया है।

हाईकोर्ट ने सुनवाई में की देरी
इसके बाद, 21 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अब्बास अंसारी की याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने का निर्देश दिया था। जब 8 जनवरी 2024 को अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई हुई, तो कपिल सिब्बल ने बताया कि उच्च न्यायालय ने अब तक इस मामले पर सुनवाई नहीं की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। साथ ही, उच्च न्यायालय को अब्बास अंसारी की याचिका पर जल्द सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ताओं को भारी नुकसान होने का दावा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब्बास अंसारी और उनके भाई का यह दावा है कि लखनऊ के जियामऊ गांव में स्थित प्लॉट नंबर 93 पर उनका स्वामित्व है। अगर सरकारी अधिकारियों ने इस भूमि पर निर्माण कार्य जारी रखा, तो इससे याचिकाकर्ताओं को भारी नुकसान होगा, जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी। इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जब तक उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती।

क्या बोले अब्बास अंसारी
अब्बास अंसारी की याचिका में यह दावा किया गया है कि उनके दादा ने जियामऊ में एक भूखंड खरीदा था, जिसे 9 मार्च 2004 को पंजीकृत किया गया था। बाद में, यह संपत्ति उनकी पत्नी राबिया बेगम को उपहार में दी गई, जिन्होंने इसे अपनी वसीयत के माध्यम से 2017 में अब्बास अंसारी और उनके भाई को दे दिया। याचिका में यह भी कहा गया है कि उपविभागीय मजिस्ट्रेट, डालीबाग ने 14 अगस्त 2020 को एक पक्षीय आदेश जारी कर इस भूखंड को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया और अगस्त 2023 में अब्बास अंसारी और उनके भाई को जमीन से बेदखल कर दिया।

अन्य याचिकाकर्ताओं को मिल चुकी राहत
इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय में अन्य सह-मालिकों ने भी याचिका दायर की थी और मामला खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। जब अब्बास अंसारी की याचिका 8 जनवरी 2024 को एकल न्यायाधीश के सामने सुनवाई के लिए आई, तो इसे अन्य मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया। अब्बास अंसारी ने तर्क दिया कि उनकी याचिका को खंडपीठ के समक्ष बार-बार सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन उनके पक्ष में कोई अंतरिम राहत नहीं दी गई, जबकि अन्य याचिकाकर्ताओं को राहत मिल चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों ने उनकी जमीन पर कब्जा लेने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।

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