महाकुंभ 2025 : वैष्णव परंपरा के तीनों अनि अखाड़ों ने किया भव्य छावनी प्रवेश, पुष्पवर्षा से हुआ संतों का स्वागत

UPT | तीनों अनि अखाड़ों का भव्य छावनी प्रवेश

Jan 08, 2025 20:01

महाकुंभ के आगाज से पहले वैष्णव परंपरा के तीन प्रमुख अनि अखाड़ों – निर्वाणी अनि, निर्मोही अनि और दिगंबर अनि की पेशवाई बड़े ही राजसी और भव्य अंदाज में निकाली गई...

Prayagraj News : प्रयागराज की पवित्र संगम नगरी में 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहे महाकुंभ का उत्साह चरम पर है। महाकुंभ के आगाज से पहले वैष्णव परंपरा के तीन प्रमुख अनि अखाड़ों – निर्वाणी अनि, निर्मोही अनि और दिगंबर अनि की पेशवाई बड़े ही राजसी और भव्य अंदाज में निकाली गई। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य की अगुवाई में केपी कॉलेज मैदान से निकली इस महाकुंभ छावनी शोभायात्राने सनातन संस्कृति और धर्म की अद्भुत झलक प्रस्तुत की।   दिखाई दी पेशवाई की भव्यता महाकुंभ छावनी प्रवेश शोभा यात्रा में वैष्णव संप्रदाय के संत-महात्मा, नागा साधु, और धार्मिक ध्वजाओं के साथ हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। ढोल-नगाड़ों की गूंज, बैंड-बाजे की धुन और रथों पर विराजमान अखाड़ों के महामंडलेश्वर और जगद्गुरुओं का राजसी वैभव देखते ही बनता था।     निशान और हनुमान जी की उपस्थिति अनि अखाड़ों की पेशवाई में धर्म ध्वजा की जगह विशिष्ट निशान चलते हैं, जिन पर हनुमान जी विराजमान होते हैं। यह वैष्णव परंपरा की विशेष पहचान है।पेशवाई में वैष्णव संप्रदाय के नागा संन्यासी अस्त्र-शस्त्र के अद्भुत करतब दिखाते हुए आगे बढ़े। उनका प्रदर्शन सनातन परंपराओं के वीरता और शक्ति का प्रतीक था।   हाथी, घोड़े और ऊंट के साथ संतो का आशीर्वाद इस शोभायात्रा में हाथी, घोड़े और ऊंटों की शाही सवारी ने पेशवाई को और अधिक भव्य बना दिया। यात्रा में सजे-धजे शाही रथों पर बैठे अखाड़ों के महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत और जगद्गुरुओं ने श्रद्धालुओं को दर्शन और आशीर्वाद दिया।   सुरक्षा और स्वागत का विशेष प्रबंध वहीं पेशवाई में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सबसे आगे घुड़सवार पुलिस और पुलिस के आला अधिकारी यात्रा का मार्ग प्रशस्त कर रहे थे। महाकुंभ छावनी में प्रवेश पर मेला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने संतों का पुष्पमालाओं से स्वागत किया। पेशवाई मार्ग पर जगह-जगह श्रद्धालु संतों के दर्शन के लिए उमड़ पड़े। सड़क के दोनों किनारों पर भक्तों की भारी भीड़ जमा थी, जो वैष्णव संतों पर पुष्पवर्षा कर रही थी।   धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व  महाकुंभ की पेशवाई भारतीय सनातन परंपरा और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। वैष्णव परंपरा के तीनों अनि अखाड़ों की यह शोभायात्रा न केवल महाकुंभ के धार्मिक महत्व को दर्शाती है, बल्कि यह समाज में धर्म, शौर्य और एकता का संदेश भी देती है।   महाकुंभ 2025 की तैयारी का उत्साह महाकुंभ 2025 के आयोजन को भव्य और यादगार बनाने के लिए प्रशासन, संत समाज और श्रद्धालु पूरी तरह से उत्साहित हैं। संगम की धरती पर आयोजित होने वाला यह महापर्व न केवल भारतीय संस्कृति का गौरव है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह भव्य पेशवाई सनातन संस्कृति के गौरवशाली इतिहास को वर्तमान में जीवंत करने का प्रयास है। श्रद्धालु और संत समाज, दोनों, इस ऐतिहासिक अवसर को अपने जीवन की स्मृति में संजोने को तैयार हैं।

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