महाकुंभ पहुंचे इस्कॉन के श्रद्धालु : हरे कृष्णा... ध्वनि के साथ 45 दिन तक की पैदल यात्रा, जानें वैष्णव अखाड़ों से जुड़कर क्या करेंगे

UPT | प्रयागराज पहुंचे इस्कॉन मंदिर के भक्त।

Jan 08, 2025 14:02

महाकुंभ 2025 में श्रीकृष्ण भक्तों की खास उपस्थिति दिखी। वृंदावन के इस्कॉन मंदिर से आए श्रद्धालु हरे कृष्णा, हरे राम के उद्घोष के साथ प्रयागराज पहुंचे, जिससे माहौल भक्तिमय हो उठा।

Prayagraj News : प्रयागराज महाकुंभ 2025 में इस बार भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों की विशेष उपस्थिति दर्ज हो रही है। वृंदावन स्थित इस्कॉन मंदिर (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) के श्रद्धालु, हरे कृष्णा, हरे राम का उद्घोष कर प्रयागराज पहुंचे। इन भक्तों ने 45 दिनों तक पैदल यात्रा कर यह सफर तय किया। उनका उद्देश्य सनातन धर्म के मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना और महाकुंभ में वैष्णव अखाड़ों के साथ जुड़कर धर्म की सेवा करना है।    इस्कॉन शिविर : महाकुंभ में एक भव्य आकर्षण मेला क्षेत्र में इस्कॉन मंदिर का एक विशाल शिविर स्थापित किया जा रहा है, जो भक्तों और दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगा। इस शिविर में भगवान श्रीकृष्ण की लीला का प्रदर्शन, कीर्तन, प्रवचन और प्रसाद वितरण जैसी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।शिविर का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और इसमें आने वाले श्रद्धालुओं को आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। साथ ही सनातन धर्म के प्रचार के लिए विशेष कार्यक्रम और आध्यात्मिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।   वैष्णव अखाड़ों के साथ जुड़ाव इस्कॉन के भक्त वैष्णव अखाड़ों के साथ जुड़कर महाकुंभ के धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेंगे। इस पहल का उद्देश्य वैदिक परंपरा और आध्यात्मिकता को वैश्विक स्तर पर पहुंचाना है।   45 दिन की पैदल यात्रा : श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक वृंदावन से प्रयागराज तक का यह 45 दिन का सफर इन भक्तों की अटूट श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है। यात्रा के दौरान ये भक्त हर पड़ाव पर हरे कृष्णा, हरे राम" महामंत्र का जाप करते हुए आगे बढ़े। उनकी उपस्थिति से मार्ग में पड़ने वाले गांव और शहरों में भी आध्यात्मिक वातावरण का संचार हुआ।    महाकुंभ में सनातन धर्म का वैश्विक प्रचार इस्कॉन भक्तों की यह पहल न केवल सनातन धर्म की महिमा को उजागर करती है, बल्कि पूरे विश्व के श्रद्धालुओं को इस महापर्व का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित भी करती है। महाकुंभ के माध्यम से सनातन संस्कृति की गूंज एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देगी। इस वर्ष महाकुंभ में इस्कॉन भक्तों का यह योगदान न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सनातन धर्म की वैश्विक पहचान को और सुदृढ़ करने में मदद करेगा। 

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