महाकुंभ 2025 : इटली की एंजेला बनीं अंजना गिरि, फ्रांसीसी शिव भक्त पास्कल भी पहुंचीं प्रयागराज

UPT | प्रयागराज पहुंची पास्कल

Jan 09, 2025 10:28

इटली की एंजेला अब अंजना गिरि 55 वर्ष की हो चुकी हैं और महाकुंभ में श्री पंच दशनाम शंभू अटल अखाड़े से जुड़ी हैं। उनका आध्यात्मिक सफर 14 वर्ष की उम्र में शुरू हुआ जब उन्होंने अपनी मां के कपड़ों...

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 का आयोजन अपने आध्यात्मिक आकर्षण के लिए देश-विदेश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हर साल यहां साधु-संतों की साधनाएं और गंगा के किनारे होने वाले अनुष्ठान भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इस बार इटली की एंजेला और फ्रांस की पास्कल जैसे विदेशी भक्त महाकुंभ का हिस्सा बनकर सनातन धर्म की ओर बढ़ते वैश्विक आकर्षण को और गहरा कर रहे हैं।


इटली की एंजेला से अंजना गिरि तक का सफर
इटली की एंजेला अब अंजना गिरि 55 वर्ष की हो चुकी हैं और महाकुंभ में श्री पंच दशनाम शंभू अटल अखाड़े से जुड़ी हैं। उनका आध्यात्मिक सफर 14 वर्ष की उम्र में शुरू हुआ जब उन्होंने अपनी मां के कपड़ों के बीच से एक हठयोग की संस्कृत में लिखी किताब पाई। अंजना गिरि बताती हैं, “किताब पढ़ने में मुझे दो साल लग गए क्योंकि संस्कृत समझने में कठिनाई हो रही थी। लेकिन जैसे-जैसे पढ़ती गई। मेरी सोच पूरी तरह बदल गई। हर रविवार चर्च जाने वाली मैं सनातन धर्म की ओर खिंचने लगी।” संस्कृत की किताब से शुरू हुई यह यात्रा धीरे-धीरे गहरी होती गई। दोस्तों की मदद से उन्होंने परमहंस योगानंद और जी. कृष्णमूर्ति के साहित्य का अध्ययन किया। तीन साल तक वे आध्यात्मिक साहित्य में खोई रहीं। 1994 में 24 वर्ष की उम्र में एंजेला पहली बार टूरिस्ट वीजा पर भारत आईं। उन्होंने कश्मीर, उत्तराखंड, काशी और आगरा की यात्रा की। ज्योतिर्लिंगों के प्रति उनकी श्रद्धा उन्हें नागेश्वर ले गई। जो उनकी राशि के अनुसार शुभ माना गया था। इसके बाद सनातन धर्म और योग में उनकी रुचि और गहरी होती गई। अब वे महाकुंभ में एक साध्वी के रूप में अपनी साधना के साथ सनातन धर्म का प्रचार कर रही हैं।

फ्रांसीसी शिव भक्त पास्कल की यात्रा
महाकुंभ में विदेशी भक्तों की सूची में एक और नाम जुड़ा है- फ्रांस की पास्कल। भगवान शिव की अनन्य भक्त पास्कल कुंभ मेले में भाग लेने प्रयागराज पहुंची हैं। पास्कल ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, “मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। कुंभ मेले की कहानी मैंने सुनी थी और यह आत्मा को शुद्ध करने वाला एक पवित्र स्थान है। यहां मुझे योगियों, साधुओं और हिंदू धर्मावलंबियों से मिलने का मौका मिलता है। मैं भगवान शिव में गहरी आस्था रखती हूं और हिंदू धर्म में रुचि बढ़ती जा रही है।”

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