महाकुंभ में अनाज वाले बाबा का अनोखा संकल्प : सिर पर उगा रहे फसल, दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश, जानिए कितने वर्ष से ऐसा कर रहे वह

UPT | अनाज वाले बाबा।

Jan 07, 2025 16:40

महाकुंभ 2025 के आयोजन से पहले मेला क्षेत्र में विभिन्न साधु-संतों के अद्भुत रूप देखने को मिल रहे हैं। इनमें से सोनभद्र से आए अनाज वाले बाबा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 के आयोजन से पहले ही मेला क्षेत्र में विभिन्न साधु-संतों के अद्भुत रूप देखने को मिल रहे हैं। इन दिनों सोनभद्र से आए अमरजीत उर्फ अनाज वाले बाबा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बाबा अपने सिर पर गेहूं, बाजरा, चना जैसी फसलें उगाकर पर्यावरण संरक्षण और विश्व शांति का संदेश दे रहे हैं। पिछले पांच सालों से अनाज वाले बाबा ने अपने इस अनोखे प्रयास से लोगों को हरियाली का महत्व समझाने का बीड़ा उठाया है।    कैसे बने अनाज वाले बाबा  अमरजीत बाबा जो 28 साल पहले संन्यासी बन गए थे। उन्होंने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने और प्रकृति की महत्ता को समझाने के लिए सिर पर खेती करने का अनोखा संकल्प लिया। बाबा का कहना है कि जिस तरह से वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और पर्यावरण संकट गहरा रहा है, उसने उन्हें इस पहल के लिए प्रेरित किया। बाबा ने बताया कि वे हठ योगी हैं और हठयोग के माध्यम से यह अनोखा प्रयोग कर रहे हैं। पिछले पांच वर्षों से बाबा अपने सिर पर गेहूं, बाजरा, चना, मटर, और धान जैसी फसलें उगा चुके हैं। फसल को हरा-भरा बनाए रखने के लिए वे नियमित रूप से अपने सिर पर पानी डालते हैं। उनके इस अनोखे कार्य को देखकर श्रद्धालु हैरान रह जाते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं।    बाबा का जीवन और अनोखा अनुशासन  बाबा ने बताया कि वे पिछले पांच सालों से लेट कर नहीं सोए हैं। उनका कहना है कि अगर वे लेटेंगे तो उनकी फसल खराब हो जाएगी। इसी कारण वे बैठे-बैठे ही सोते हैं। यह अनोखा अनुशासन और तपस्या उनकी दृढ़ता को दर्शाता है। बाबा मेला क्षेत्र के किला घाट के पास एकांत में कल्पवास कर रहे हैं।    श्रद्धालुओं में हैरानी और प्रशंसा  महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु बाबा के इस अनोखे रूप को देखकर आश्चर्यचकित हैं। सोनभद्र से आईं श्रद्धालु श्रेया शर्मा ने कहा, मैंने पहली बार किसी को सिर पर फसल उगाते हुए देखा है। बाबा के इस अनोखे कार्य ने मुझे प्रेरित किया है। यह संकल्प वास्तव में अद्भुत है। बाबा के पास आने वाले श्रद्धालु उन्हें चावल और अनाज भेंट में देते हैं, जिसे बाबा आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करते हैं।    हरियाली और शांति का महत्व बता रहे  अनाज वाले बाबा का मानना है कि मानवता का कल्याण तभी संभव है जब हम प्रकृति के महत्व को समझेंगे, वे जहां भी जाते हैं, हरियाली का संदेश देते हैं। उनके अनुसार, पेड़ों की कटाई और पर्यावरण को हो रहे नुकसान ने उन्हें यह संदेश फैलाने के लिए प्रेरित किया।   महाकुंभ में अनाज वाले बाबा की लोकप्रियता  महाकुंभ 2025 में अनाज वाले बाबा श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बाबा का यह अनोखा प्रयास पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक जागरूकता अभियान है। मेला खत्म होने के बाद बाबा वापस सोनभद्र लौट जाएंगे, जहां वे अपने मिशन को जारी रखेंगे। अनाज वाले बाबा का यह कार्य न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक नई सोच को जन्म देता है। बाबा का संदेश हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के बिना हमारा अस्तित्व संभव नहीं है और हमें इसे सहेजने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। 

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