स्वामी यशवीर फिर चर्चा में : वीडियो जारी कर बोले- सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारे लिए नहीं, सनातनी अपने ढाबे में नेमप्लेट लगाएं

UPT | स्वामी यशवीर फिर चर्चा में

Jul 23, 2024 19:33

उत्तर प्रदेश में कावड़ मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों पर नेमप्लेट लगाने वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सोमवार को यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए नोटिस भी जारी किया। इसके बाद मंगलवार को स्वामी यशवीर फिर चर्चा में आ गए ...

Muzaffarnagar News : उत्तर प्रदेश में कावड़ मार्ग पर पड़ने वाले ढाबों पर नेमप्लेट लगाने वाले मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सोमवार को यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए नोटिस भी जारी किया। इसके बाद मंगलवार को स्वामी यशवीर फिर चर्चा में आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद होटल-ढाबों पर नाम लिखने पर उन्होंने बयान दिया है।
 
क्या बोले स्वामी यशवीर?
स्वामी यशवीर ने वीडियो जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारे लिए नहीं है। सभी सनातनी अपने होटल-ढाबों पर अपना नाम मोटे अक्षरों में लिखें। आधार कार्ड की फोटो कॉपी, भगवा झंडा और भगवान वराह की तस्वीर लगाएं। यहां आपको शुद्ध सात्विक भोजन मिलेगा बता दें कि स्वामी यशवीर ने ही प्रशासन से इस कदम को उठाने की अपील की थी और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो आंदोलन करने की धमकी भी दी थी।



कौन हैं स्वामी यशवीर
स्वामी यशवीर महाराज ने मुजफ्फर नगर के बघरा गांव में ‘योग साधना यशवीर आश्रम’ की स्थापना की थी, हाल ही में एक विवादास्पद पहल के कारण चर्चा में हैं। बता दें कि आश्रम का शिलान्यास  2015 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने दुकानों पर नाम प्रदर्शित करने के आदेश दिए, जिसके बाद वे चर्चा में आए। हालांकि, इस निर्णय को लागू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्ति थे स्वामी यशवीर महाराज। स्वामी यशवीर ने मुजफ्फरनगर के अधिकारियों से मिलकर कांवड़ मार्ग पर दुकानों पर संचालकों के नाम प्रदर्शित करने की मांग की थी। उन्होंने एसएसपी अभिषेक सिंह के समक्ष भी यह मुद्दा उठाया और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती, तो वे आंदोलन करेंगे। इसके बाद, पुलिस ने कांवड़ मार्ग की दुकानों और ठेलों पर संचालकों के नाम लिखने की व्यवस्था लागू कर दी।

स्वामी यशवीर ने उठाई थी नाम लिखने की मांग
स्वामी यशवीर का कहना था कि कांवड़ मार्ग पर कई होटल और ढाबों के बोर्ड पर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के नाम अंकित हैं, जबकि इनका संचालन मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा किया जा रहा है। उनका कहना था कि इस स्थिति के कारण खाने में थूकने और गंदगी से संबंधित वीडियो अक्सर वायरल होते रहते हैं, जिससे हिंदू धर्म की छवि प्रभावित हो रही है। इसलिए, उन्होंने दुकानों पर संचालकों के नाम प्रदर्शित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि ऐसी समस्याओं को रोका जा सके।

नाम लिखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बता दें कि यूपी में कांवड़ रास्ते पर होटलों और ढाबों पर नाम लिखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम रोक लगा दी है। इस मामले में कोर्ट ने दुकानदारों को अपनी पहचान पता करने के लिए नाम या पहचान बताने की जरूरत नहीं है, जिससे यात्री या अन्य व्यक्ति को इस तरह की दुकानों में विशेषता पर जानकारी मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, उत्तराखंड, और मध्य प्रदेश सरकारों को इस मुद्दे पर नोटिस जारी किया है और उन्हें शुक्रवार तक इस मामले में अपना जवाब देने को कहा है।

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