Jaunpur News : कृषि अधिकारी का किसानों को सलाह, खेती में नाशीजीव प्रबंधन अपनाना लाभकारी 

UPT | कृषि अधिकारी का किसानों को सलाह।

May 09, 2024 18:19

जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार ने किसानों को सलाह दी है कि खेती में कीट/रोग नियंत्रण कार्य के लिए एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन को अपनाना लाभकारी होगा। एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन...

Jaunpur News : जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार ने किसानों को सलाह दी है कि खेती में कीट/रोग नियंत्रण कार्य के लिए एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन को अपनाना लाभकारी होगा। एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन (आईपीएम) का प्रमुख उद्देश्य रासायनिक कीटनाशकों का कमतर प्रयोग करके प्रदूषण रहित पर्यावरण तथा बिषरहित फसल का उत्पादन करना है। इस विधि में फसल की बुवाई से पूर्व तथा कटाई तक विभिन्न उपायों को अपनाकर कृषि की अन्य शस्य, जैविक और यांत्रिक विधियों द्वारा फसलों में कीटों का नियंत्रण करना है। इस विधा में विभिन्न क्रियायें अपनाया जाना खेती के लिए हितकर है। 

गर्मी की जुताई करने से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है
जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार ने कहा कि गर्मी की जुताई करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है। जिससे मृदा की जलधारण क्षमता बढ़ती है, जो फसलों की बढ़वार के लिए उपयोगी होती हैं। खेतों की ग्रीष्मकालीन जुताई से मृदा के अन्दर छिपे हानिकारक कीड़े मकोड़े और उनके अन्डो/सूंडियो/लार्वा प्यूपा सूर्य की तेज किरणों के सम्पर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं। फसल की साप्ताहिक निगरानी कर मित्र एवं शत्रु कीटों की जानकारी रखना आवश्यक है। कीट/रोग नियंत्रण के लिए प्रमुखत बायोपेस्टीसाइड/बायोएजेंट्स का प्रयोग तथा आर्थिक क्षति स्तर पार करने पर इकोफ्रेंडली रसायनों का प्रयोग किया जाना, फसलों में कीटों का प्रकोप होने पर सर्वप्रथम बायोपेस्टीसाइड-नीम आयल, ट्राइकोडर्मा, ट्राइको कार्ड, ब्यूवेरिया बेसियाना, बीटी आदि का प्रयोग करें। 

अन्न भण्डारण के समय रखें इस बातों का ध्यान 
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि मेड़ों पर उगने वाले खर-पतवारों की सफाई से किनारों की प्रभावित फसलों के बीच खाद एवं उर्वरकों की प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है। खर-पतवारों को अगली फसल में फैलने से रोका जा सकता है। मेड़ों पर उगे हुए खर-पतवारों को नष्ट करने से हानिकारक कीटों एवं सूक्ष्म जीवों के आश्रय नष्ट हो जाते हैं। अन्न भण्डारण करते समय भी किसानों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। भण्डार गृह की दीवार में यदि दरार हो तो उसे भर देना चाहिए। यथासम्भव नये जूट या प्लास्टिक के बोरों का प्रयोग करें और पुराने बोरो को मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी रसायन से उपचारित करें। ध्यान रहे कि भण्डारण के समय अनाज में 12 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए एल्यूमुनियम फास्फाइड का प्रयोग करें।

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