दीपोत्सव के आगमन के साथ, कुम्हार परिवार के युवा अब बाहर जाने की बजाय इलेक्ट्रिक चाक का उपयोग करना अधिक पसंद कर रहे हैं, जिससे उनका काम और भी सुगम हो गया है...
रामनगरी में दीपोत्सव का आठवां संस्करण : 25 लाख दीये जलाने का लक्ष्य, कुम्हारों को मिला रोजगार
Oct 05, 2024 16:24
Oct 05, 2024 16:24
- अयोध्या में दीपोत्सव का काउंटडाउन शुरू
- इस बार दीपोत्सव के आठवें संस्करण की तैयारी की जा रही है
- दीपोत्सव में 25 लाख दीप जलाने की योजना है
दीपोत्सव के आठवें संस्करण की तैयारी
जब से 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है, अयोध्या को सजाने का कार्य प्राथमिकता में रखा गया है। मुख्यमंत्री ने भगवान राम के वनवास से लौटने की खुशी में हर वर्ष दीवाली और दीपोत्सव मनाने का निर्णय लिया। इस आयोजन का केंद्र राम की पैड़ी है, जहां लाखों दीये जलाए जाते हैं। इस बार दीपोत्सव के आठवें संस्करण की तैयारी की जा रही है, जिसमें कुम्हारों को विशेष महत्व दिया गया है।
25 लाख दीप जलाने का लक्ष्य
इस साल दीपोत्सव में 25 लाख दीप जलाने की योजना है, खासकर जब रामलला अब भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। कुम्हारों ने बड़ी संख्या में दीयों का निर्माण शुरू कर दिया है और वे इस आयोजन को यादगार बनाने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं। दीपोत्सव के माध्यम से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि यह उनके कौशल और संस्कृति को भी एक नई पहचान दे रहा है।
दीयों को बनाने की तैयारी में जुटा परिवार
अयोध्या के विद्याकुण्ड के पास स्थित जयसिंहपुर गांव में कुम्हारों का एक बड़ा समूह दीयों के निर्माण में व्यस्त है। यहां के 40 परिवार दीपोत्सव के लिए मिट्टी के दीये बना रहे हैं। इन कुम्हारों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। दीपोत्सव के दौरान दीयों की बिक्री हमेशा होती है, लेकिन हाल ही में स्थानीय कुम्हारों की अपील के बाद, लोग मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता देने लगे हैं।
आमदनी में हुई बढ़ोतरी
दीपोत्सव को लेकर, जयसिंहपुर गांव की लक्ष्मी प्रजापति का कहना है कि योगी सरकार की योजनाओं ने उनके परिवार की जिंदगी में रोशनी ला दी है। दीपोत्सव के दौरान, जब भी उन्हें दीये बनाने का ऑर्डर मिलता है, तो पूरा परिवार मिलकर काम करता है। इस दौरान वे 30 से 35 हजार दीये तैयार कर लेते हैं। वहीं, राकेश प्रजापति बताते हैं कि हालांकि उन्हें अभी कोई ठेका नहीं मिला है, लेकिन पिछले वर्षों में मिले ऑर्डरों के अनुभव के आधार पर उन्होंने दीये बनाना शुरू कर दिया है। उनके अनुसार, मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई है।
समुदाय को मिली पहचान
इसके अलावा, गांव की आशा प्रजापति बताती हैं कि वे हर साल लगभग 20 से 25 हजार दीये दीपोत्सव के लिए बनाती हैं। त्योहार के दौरान, लोग मिट्टी के दीयों से अपने घर सजाते हैं, जबकि पहले चाइनीज़ झालरों का चलन था। राजेश प्रजापति ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मदद से प्रजापति समुदाय को पहचान मिली है, जो पहले नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल टेंडर नहीं हुआ है, लेकिन अब तक वे 2 लाख से अधिक दीये तैयार कर चुके हैं।
दीपोत्सव का काउंटडाउन शुरू
अयोध्या में आठवें दीपोत्सव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और अब केवल कुछ ही दिन शेष हैं। इस बार अयोध्या एक नया कीर्तिमान स्थापित करने की तैयारी कर रही है। दीपोत्सव के आयोजन को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी, अवध विश्वविद्यालय का प्रशासन और वहां के छात्र सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं।
दीपों की संख्या का ऐतिहासिक आंकड़ा
पिछले वर्षों में दीपोत्सव के दौरान जलाए गए दीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 2017 में 1.71 लाख दीये जलाए गए, जबकि 2018 में यह संख्या बढ़कर 3.01 लाख हो गई। 2019 में 4.04 लाख, 2020 में 6.06 लाख और 2021 में 9.41 लाख दीये जलाए गए। 2022 में यह संख्या 15.76 लाख तक पहुंच गई और इस वर्ष 2023 में 22.23 लाख दीये जलाने का लक्ष्य रखा गया है।
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