रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को उनकी 34 वर्षों की सेवा का सम्मान करते हुए आजीवन वेतन देने का निर्णय लिया। बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों से उन्हें कार्यमुक्त किया गया, लेकिन मंदिर में आने-जाने पर कोई रोक नहीं रहेगी।
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी को आजीवन मिलेगा वेतन : 1992 में मिलता था 100 रुपये वेतन, जानिए आज कितनी हुई तनख्वाह
Dec 25, 2024 16:10
Dec 25, 2024 16:10
25 नवंबर की बैठक में लिया गया निर्णय
25 नवंबर 2024 को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में यह निर्णय हुआ कि 87 वर्षीय आचार्य सत्येंद्र दास को उनकी लंबी सेवा का सम्मान करते हुए आजीवन वेतन दिया जाएगा। सत्येंद्र दास ने टेंट, अस्थायी मंदिर और अब भव्य मंदिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी निभाई है। उनकी सेवाओं को देखते हुए यह सहमति बनी कि उन्हें कार्यमुक्त कर राहत दी जाए, लेकिन उनका वेतन जारी रखा जाए।
1992 में 100 रुपये वेतन से शुरुआत
आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 को राममंदिर में मुख्य अर्चक के रूप में सेवा शुरू की थी। उस समय उनका वेतन मात्र 100 रुपये प्रति माह था। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह वेतन बढ़कर 38,500 रुपये प्रति माह हो गया। ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि यह वेतन उन्हें आजीवन मिलता रहेगा।
मंदिर में 14 पुजारी दे रहे सेवा
आचार्य सत्येंद्र दास सहित राममंदिर में कुल 14 पुजारी सेवा कर रहे हैं। इनमें चार सहायक पुजारी शामिल हैं, जो लंबे समय से मंदिर में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, हाल ही में नौ नए पुजारियों की नियुक्ति की गई है। सभी पुजारियों की नियुक्ति और सेवाएं राममंदिर की नियमित पूजा-अर्चना और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
सत्येंद्र दास : विध्वंस से निर्माण तक के साक्षी
आचार्य सत्येंद्र दास राममंदिर के संघर्ष और निर्माण के हर चरण के साक्षी रहे हैं। उन्होंने बाबरी विध्वंस के बाद टेंट में रामलला की 28 वर्षों तक पूजा-अर्चना की। इसके बाद चार वर्षों तक अस्थायी मंदिर में रामलला की सेवा की। रामलला की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद, वह मुख्य पुजारी के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे। उनकी सेवाओं ने राममंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। उनकी मेहनत और समर्पण का यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी पुजारियों के लिए प्रेरणा है, जो मंदिर की सेवा में लगे हुए हैं।
मुख्य अर्चक का वक्तव्य
मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास ने बताया कि ट्रस्ट के सदस्यों ने आश्रम पर आकर उनसे स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र का हवाला देकर कार्य से मुक्ति का निवेदन किया। सत्येंद्र दास ने कहा, "ट्रस्ट ने कहा है कि जब इच्छा हो, मैं मंदिर जा सकता हूं। मेरी सेवा को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन मुझे आजीवन वेतन मिलेगा। फिलहाल, मैं मंदिर जाता हूं, और मुझे कोई रोक नहीं है।"
भविष्य की जिम्मेदारियां और व्यवस्था
राममंदिर ट्रस्ट ने सत्येंद्र दास की जिम्मेदारियों को नए पुजारियों के बीच बांटने का प्रबंध किया है। उनकी लंबी सेवा को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि सत्येंद्र दास जब भी चाहें, मंदिर में अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं। यह निर्णय न केवल उनकी व्यक्तिगत सेवाओं का सम्मान करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ट्रस्ट अपने पुजारियों और मंदिर कर्मचारियों की भलाई के प्रति प्रतिबद्ध है।
राममंदिर एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल
राममंदिर न केवल अयोध्या का, बल्कि पूरे देश का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस मंदिर से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का योगदान इसकी गरिमा और महत्व को बढ़ाने में सहायक रहा है। सत्येंद्र दास जैसे समर्पित पुजारियों की सेवाएं इस मंदिर की परंपरा और प्रतिष्ठा को बनाए रखने में मील का पत्थर साबित हुई हैं।
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