जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद को लेकर उठे विवाद पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संतों और धर्माचार्यों को मंदिरों का नियंत्रण सरकार से स्वतंत्र कराना चाहिए।
तिरुपति मंदिर विवाद : शंकराचार्य ने सरकार पर साधा निशाना, बोले-मंदिरों का प्रबंधन संतों को सौंपा जाए
Sep 22, 2024 02:25
Sep 22, 2024 02:25
- धार्मिक स्थलों की देखरेख का कार्य संतों को सौंपा जाए
- धार्मिक स्थलों से जुड़े प्रसाद में शुद्धता जरूरी
शंकराचार्य का तिरुपति प्रसाद पर बयान
गोध्वजा की स्थापना और रामकोट की परिक्रमा के लिए अयोध्या पहुंचे जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद में गाय व अन्य जानवरों की चर्बी और मछली का तेल इस्तेमाल किए जाने के मामले पर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों से जुड़े प्रसाद में शुद्धता जरूरी है।
मंदिरों के रखरखाव की जिम्मेदारी धर्माचार्य करें
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म का कार्य धर्माचार्यों को ही करने दिया जाना चाहिए। उन्होंने मंदिरों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी धर्माचार्यों को सौंपने की बात की उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह मंदिरों पर से अपना नियंत्रण समाप्त कर ले। ताकि धार्मिक व्यवस्थाएं सही ढंग से संचालित हो सकें।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
शंकराचार्य ने कहा कि तिरुपति प्रसादम मामले में जो भी दोषी हैं। उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए। क्योंकि यह बेहद आपत्तिजनक है कि मंदिर में भगवान को इस प्रकार की वस्तुओं का भोग लगाया जा रहा है।
प्रसाद की पवित्रता पर सवाल
जगदगुरु ने अयोध्या में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जिक्र करते हुए कहा कि तिरुपति मंदिर से तीन टन लड्डू लाए गए, जिसका वितरण रामभक्तों के बीच किया गया। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोग प्रसाद के रूप में लड्डू बांटकर खाते हैं, प्रसाद की पवित्रता का नष्ट होना भक्तों के लिए आहत करने वाला है।
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