'या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेश संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:' मंत्र से नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के घर और मंदिर देवीमय हो गए। शारदीय नवरात्र के पहले दिन बृहस्पतिवार को जिले के प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं...
Ballia News : कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र शुरू, पहले दिन हुआ शैलपुत्री का पूजन...
Oct 03, 2024 15:30
Oct 03, 2024 15:30
हर त्योहार का उल्लास
नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में शारदीय नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला। नगर के गुदरी बाजार, जापलिनगंज दुर्गा मंदिर तथा ब्रह्माइन स्थित ब्राह्मणी देवी, शंकरपुर स्थित शांकरी भवानी, फेफना थाना के कपूरी गांव स्थित कपिलेश्वरी भवानी मंदिर, नरहीं थाना के कोरंटाडीह स्थित मंगला भवानी, रसड़ा के काली मंदिर, नीबू कबीरपुर व उचेड़ा स्थित चंडी भवानी, सिकंदरपुर के जल्पा-कल्पा मंदिर, मनियर के बुढ़ऊ बाबा मंदिर, नवका बाबा मंदिर, रेवती के पचरूखा देवी गाय घाट मंदिर पर मां के भक्तों ने नारियल, चुनरी, प्रसाद चढ़ाकर परिवार के सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
मां ब्राह्मणी देवी की दूर तक फैली महिमा
शहर से करीब सात किमी की दूर सुखपुरा थाना क्षेत्र के ब्रह्माइन गांव में मां ब्राह्मणी देवी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर पर शारदीय व वासंतिक नवरात्र में जनपद ही नहीं, गैर जनपदों के भी लोग दर्शन-पूजन करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि राजा सूरथ युद्ध करके थके हाल में सैनिकों के साथ वापस अपने राज्य को लौट रहे थे। रास्ते में जंगल पड़ा, जहां वे सैनिक सहित ठहर गए। राजा को बहुत जोर से प्यास लगी। राजा ने सैनिकों को पानी लाने के लिए भेजा। सैनिक जंगल में पानी ढूंढते हुए एक छोटे से तालाब के पास पहुंचे, जहां पानी लेने के लिए जैसे ही हाथ लगाया, वैसे ही सैनिक का युद्ध के दौरान कटे-फटे हाथ तत्काल ठीक हो गए।
हर मुरादें पूरी करती हैं मां
यह देख सैनिक आश्चर्यचकित हो गए और तत्काल घटना की जानकारी राजा को दी। राजा सूरथ भी सैनिकों के साथ तालाब की ओर गए, जहां पानी में डूबकी लगा कर स्नान किया। स्नान करते ही युद्ध के दौरान राजा के भी जख्म ठीक हो गए। उसके बाद राजा ने एक प्रतिमा स्थापित की, जो वर्तमान में ब्राह्मणी देवी के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि यहां श्रद्धापूर्वक पूजन-अर्चन करने वाले भक्तों की हर मुरादे मां पूरा करती हैं।
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